हिंडनबर्ग खुलासों पर अब संसदीय एक्शन, SEBI चीफ को समन भेज सकती है लोक लेखा समिति

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हिंडनबर्ग के आरोपों के बाद बाजार नियामक सेबी (SEBI) चीफ माधरी पुरी बुच चर्चा के केंद्र में बनी हुई हैं. इनपर एक के बाद एक आरोप लग रहे हैं. हालांकि, अभी तक लगे सभी आरोपों को SEBI प्रमुख ने निराधार बताया है और सफाई पेश की है. पिछले दिनों कांग्रेस नेता पवन खेड़ा (Pawan Khera) ने भी SEBI चेयरपर्सन पर आरोप लगाए थे. अब सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि इन खुलासों पर संसदीय एक्शन होने जा रहा है.

सीनियर कांग्रेस नेता और लोकसभा सदस्य केसी वेणुगोपाल की अध्यक्षता वाली लोक लेखा समिति (PAC) 'संसद के अधिनियम द्वारा स्थापित नियामक निकायों' जैसे कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के प्रदर्शन की समीक्षा करेगी. वहीं, सेबी से जुड़े मामले के लिए इसके चेयरपर्सन को समन किया जाएगा.

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PAC की 10 सितंबर को होने वाली बैठक में तय होगा कि किस मंत्रालय से जुड़े विभाग की CAG रिपोर्ट समिति में चर्चा होगी. 10 सितंबर को जलशक्ति मंत्रालय की CAG रिपोर्ट पर चर्चा होगी.

SEBI चीफ पर हिंडनबर्ग ने क्‍या लगाया था आरोप? 

हिंडनबर्ग का आरोप था कि अडानी ग्रुप के विदेशी फंड में सेबी चीफ माधवी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) और उनके पति की हिस्सेदारी है. रिपोर्ट में अडानी ग्रुप और सेबी के बीच मिलीभगत का भी आरोप लगाया था. हालांकि, सेबी चीफ माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने आरोपों को खारिज कर चुके हैं. बुच दंपति का कहना है कि कुछ भी नहीं छिपाया गया. आरोपों में कोई सच्चाई नहीं. वहीं, अडानी ग्रुप ने आरोपों को आधारहीन बताया और इसे मुनाफा कमाने और बदनाम करने की साजिश करार दिया था. इसी आरोप के बाद सेबी चीफ पर एक के बाद एक आरोपों का सिलसिला शुरू हुआ. 

कंस्‍टेंसी फर्म से रेवेन्‍यू कमाने का आरोप 

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, माधवी बुच ने अपने सात साल के कार्यकाल के दौरान एक कंसल्टेंसी फर्म से रेवेन्यू कमाना जारी रखा, जो संभावित रूप से नियामक अधिकारियों के लिए नियमों का उल्लंघन था. रॉयटर्स ने सार्वजनिक दस्तावेजों के रिव्यू के बाद ये रिपोर्ट जारी की थी. कुछ इसी से मिलता-जुलता आरोप हिंडनबर्ग ने भी लगाया था, जिसके बाद बुच ने कहा था कि कल्सटेंसी फर्म की जानकारी सेबी को दी गई थी. 2019 में उनके पति यूनिलीवर से रिटायर होने के बाद इस कंसल्टेंसी बिजनेस को संभाल रहे थे.

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सेबी चीफ रहते हुए ICICI बैंक से सैलरी लेने का आरोप 

कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि बुच ने 2017 से 2024 के बीच आईसीआईसीआई बैंक, आईसीआईसीआई प्रुडेंशियल, ईएसओपी से 16.80 करोड़ रुपये हासिल किए थे. कांग्रेस का दावा था कि बुच ने सेबी चीफ रहते इतनी सैलरी नहीं पाई, जितनी कि उन्हें प्राइवेट बैंक से मिल रहे थे. हालांकि बैंक ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा था कि रिटायरमेंट के बाद उन्हें सैलरी नहीं दी जा रही थी, बल्कि रिटायरमेंट बेनिफिट दिए जा रहे थे.

कर्मचारियों के लिए टॉक्सिक माहौल 

वित्त मंत्रालय को सेबी के 500 कर्मचारियों ने पत्र लिखा था कि माधबी पुरी बुच मीटिंग्स में चिल्लाती है और डांटती है. सेबी प्रमुख पब्लिकली बेइज्‍जती भी करती हैं. उनका आरोप था कि पिछले दो-तीन साल से सेबी में टॉक्सिक माहौल है. वर्क कल्‍चर खराब हो चुका है. कर्मचारियों ने वित्त मंत्रालय को यह लेटर 5 पन्‍नों में दिया था. वहीं बुधवार को सेबी ने एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस की गई, जिसमें कर्मचारियों को 'बाहरी तत्‍वों द्वारा गुमराह' बताया गया, जिसे लेकर कर्मचारियों ने कर्मचारियों ने मुंबई में प्रदर्शन किया और माधवी पुरी बुच से इस्‍तीफे की मांग की है. इन सभी आरोपों के बाद सेबी प्रमुख माधवी पुरी बुच चौतरफा घिरती हुई नजर आ रही हैं.

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Article From: www.aajtak.in
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