मशहूर ऑनलाइन कोचिंग टीचर अवध ओझा की राजनीति में एंट्री हो चुकी है. अवध ओझा (Avadh Ojha) आज आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं. वह पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की मौजूदगी में AAP में शामिल हुए. छात्रों के बीच उनकी पहचान न सिर्फ एक शिक्षक के रूप में, बल्कि एक प्रेरणास्त्रोत के तौर पर भी है. उनके जीवन की कहानी संघर्ष, परिश्रम और दृढ़संकल्प छात्रों के लिए एक मिसाल है. ऐसे में आइए जानते हैं कि उनकी कहानी क्या है.
यूपी से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे अवध ओझा
अवध ओझा ने पहले भी राजनीति में उतरने की इच्छा जाहिर की थी. इस साल हुए लोकसभा चुनाव में उनके चुनावी मैदान में उतरने की चर्चाएं उठी थीं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुख्य राजनीतिक दलों से टिकट न मिलने के कारण वे चुनावी समर में शामिल नहीं हो पाए थे. दरअसल, अवध ओझा यूपी से बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे, और उनके मन में विशेष रूप से प्रयागराज से बीजेपी का टिकट लेने की उम्मीद थी. हालांकि, टिकट न मिलने के कारण उन्होंने अपना प्लान बदल लिया. इसके अलावा, यह भी चर्चा में था कि कांग्रेस की तरफ से उन्हें अमेठी से टिकट दिए जाने की संभावना थी. हालांकि अब अवध ओझा आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं.
अवध ओझा का जन्म उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में हुआ था. उनकी मां एक वकील थीं और पिता सरकारी पोस्टमास्टर थे. अवध ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गोंडा के फातिमा स्कूल से प्राप्त की है. उनके माता-पिता चाहते थे कि उनका बेटा डॉक्टर बने, लेकिन अवध का सपना कुछ और था. उनका उद्देश्य था यूपीएससी (IAS) परीक्षा पास करना और देश की सेवा करना.
स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, अवध ओझा ने उच्च शिक्षा के लिए प्रयागराज का रुख किया. यहीं पर उन्होंने यूपीएससी के बारे में सुना और इस क्षेत्र में करियर बनाने का फैसला किया लेकिन उनकी राह आसान नहीं थी. पहले प्रयास में यूपीएससी परीक्षा में असफल होने के बाद, उनके माता-पिता काफी नाराज हुए. फिर भी, अवध ने हार नहीं मानी और अपनी मेहनत और लगन से पढ़ाई करते रहे.
यूपीएससी में असफलता के बाद, उन्होंने नौकरी न करने का फैसला किया और अपनी कोचिंग शुरू करने की योजना बनाई. अवध ओझा ने एक इंटरव्यू में बताया कि "घर से निकाले जाने के बाद मुझे एक कोचिंग संस्थान में इतिहास पढ़ाने का मौका मिला, लेकिन मुझे यह नहीं पता था कि कैसे पढ़ाना है। फिर भी मैंने पढ़ाना शुरू किया और धीरे-धीरे बच्चों को मेरा तरीका पसंद आने लगा." इसी के साथ उनकी कोचिंग यात्रा की शुरुआत हुई, और साल 2005 में दिल्ली के मुखर्जी नगर में उन्होंने यूपीएससी कोचिंग का संस्थान खोला.
अवध ओझा के जीवन में कई संघर्षों का सामना करना पड़ा. एक समय ऐसा भी आया जब उनके पास पैसे का कोई स्रोत नहीं था. कोचिंग सेंटर का किराया और घर का खर्च उठाने के लिए उन्हें कठिनाई का सामना करना पड़ा. शादी हो चुकी थी और जिम्मेदारियां बढ़ चुकी थीं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. सात महीने तक रात में बारटेंडर का काम किया और दिन में बच्चों को पढ़ाया. इस कठिन समय ने उनके जीवन को नया मोड़ दिया और धीरे-धीरे उनकी पहचान बढ़ने लगी. यही संघर्ष उनके जीवन का अहम टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ.
हिस्ट्री के बेस्ट टीचर माने जाते हैं अवध ओझा
अवध ओझा को लेकर छात्रों का यह मानना है कि इतिहास के बारे में उनसे बेहतर कोई नहीं पढ़ा सकता. ओझा सर ने 2005 में दिल्ली में अपने शिक्षण करियर की शुरुआत की थी. उन्होंने चाणक्य आईएएस अकादमी और वाजीराम और रवि आईएएस जैसे प्रमुख कोचिंग संस्थानों में कार्य किया. 2019 में, उन्होंने पुणे, महाराष्ट्र में अपना कोचिंग संस्थान, IQRA अकादमी की स्थापना की, जो जल्द ही यूपीएससी उम्मीदवारों के बीच लोकप्रिय हो गया. पारंपरिक कक्षा शिक्षण के साथ-साथ, ओझा ने 2020 में एक YouTube चैनल, 'रे अवध ओझा' लॉन्च किया, जहां वे शैक्षिक सामग्री और प्रेरक वार्ता साझा करते हैं. उनके चैनल पर 909,000 से ज्यादा सबस्क्राइबर हैं.
लॉकडाउन में यू-ट्यूब चैनल से मिली लोकप्रियता
COVID-19 महामारी के दौरान, जब ऑफलाइन कक्षाएं बंद हो गईं, तो ओझा ने अपनी अनूठी शिक्षण पद्धति के कारण YouTube पर जबरदस्त लोकप्रियता हासिल की थी. उनके चैनल पर ऐतिहासिक घटनाओं, भू-राजनीतिक रुझानों और समसामयिक मामलों पर गहन विचार-विमर्श किया जाता है, जिसे छात्रों ने खूब सराहा. इसके अलावा, ओझा ने वंचित और गरीब छात्रों के लिए मुफ्त शिक्षा प्रदान करने के कार्यक्रम भी शुरू किए हैं, जो शिक्षा में सामाजिक समानता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है.