महबूबा मुफ्ती ने रविवार को कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार हो रहे हैं, अगर भारत में भी अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार हो रहे हैं तो फिर भारत और बांग्लादेश में क्या अंतर है? मुझे भारत और बांग्लादेश में कोई अंतर नहीं दिखता.
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महबूबा मुफ्ती (फोटो- PTI)
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों के हालातों की तुलना भारत में अल्पसंख्यकों से की है. इससे नया राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की मुखिया महबूबा मुफ्ती के बयान की भाजपा के कई नेताओं ने निंदा की है, साथ ही जम्मू-कश्मीर सरकार से उनके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है और महबूबा मुफ्ती की टिप्पणी को 'राष्ट्र-विरोधी' करार दिया है.
क्या कहा था महबूबा ने?
महबूबा मुफ्ती ने रविवार को कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार हो रहे हैं, अगर भारत में भी अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार हो रहे हैं तो फिर भारत और बांग्लादेश में क्या अंतर है? मुझे भारत और बांग्लादेश में कोई अंतर नहीं दिखता.
महबूबा मुफ्ती का यह बयान बांग्लादेश में हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच आया है.
संभल मस्जिद सर्वे को लेकर उठे विवाद को लेकर महबूबा ने कहा कि "संभल की घटना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, कुछ लोग दुकानों में काम कर रहे थे और उन्हें गोली मार दी गई. अजमेर शरीफ दरगाह, जहां सभी धर्मों के लोग प्रार्थना करते हैं और जो भाईचारे की सबसे बड़ी मिसाल है, वे वहां भी मंदिर खोजने के लिए खुदाई करने की कोशिश कर रहे हैं.
महबूबा ने दावा किया कि देश 1947 की स्थिति में लौट रहा है, पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया कि हमें उसी दिशा (1947) में ले जाया जा रहा है, जब युवा नौकरी की बात करते हैं, तो उन्हें नौकरी नहीं मिलती. हमारे पास अच्छे अस्पताल या शिक्षा नहीं हैं. वे (सरकार) सड़कों की हालत नहीं सुधार रहे हैं, बल्कि मंदिर की तलाश में मस्जिद को ध्वस्त करने की कोशिश कर रहे हैं.