महंगाई (Inflation) के मोर्चे पर बीते महीने राहत मिली है और ये अब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के तय दायरे में है. दूसरी ओर अमेरिका में भी फेडरल रिजर्व की ओर से पॉलिसी रेट में कटौती के संकेत मिल रहे हैं. ऐसे में भारत में भी केंद्रीय बैंक बड़ा तोहफा देते हुए अगली MPC बैठक में रेपो रेट (Repo Rate) में कटौती का तोहफा दे सकता है. ये उम्मीद स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के अर्थशास्त्रियों ने जताई है. इसके साथ ही एसबीआई इकोरैप रिपोर्ट में जीडीपी ग्रोथ को लेकर भी नया अनुमान जाहिर किया गया है.
महंगाई में नरमी से बढ़ गई आस
SBI Ecowrap Report में अनुमान जताया गया है कि महंगाई दर में नरमी के साथ ऐसे सिग्नल मिल रहे हैं, जिससे अगली मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक (MPC Meeting) में रेपो रेट में राहत मिलने की उम्मीद है. इसके पीछे के कारणों का जिक्र करते हुए अर्थशास्त्रियों ने रिपोर्ट में कहा है कि अभी मानसून की जो चाल है, वो इकोनॉमी के लिए पॉजिटिव है. बारिश सामान्य से अधिक है, जबकि बीते साल की समान अवधि में इसमें कमी देखने को मिली थी. अगर देश में महंगाई की बात करें तो रिटेल महंगाई (Reltail Inflation) जुलाई महीने में सालाना आधार पर घटकर 3.54% पर आ गई है. ये इसका 59 महीने का निचला स्तर है, इससे पहले जून महीने में महंगाई दर 5.08% रही थी. बता दें कि इससे पहले, खुदरा मुद्रास्फीति सितंबर- 2019 में चार फीसदी से नीचे रही थी.
रिटेल के साथ ही थोक महंगाई दर भी 3 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई है. WPI जून 2024 में 3.36 फीसदी थी, जो कि जुलाई में घटकर 2.04 फीसदी पर आ गई. इस हिसाब से गौर करें तो अब देश में महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के टारगेट 2-4 फीसदी के दायरे में बनी हुई है. इन सकारात्मक संकेतों का असर अक्टूबर महीने में होने वाली आरबीआई एमपीसी बैठक में देखने को मिल सकता है.
9 बार से लगातार रेपो रेट यथावत
अगर रेपो रेट (Repo Rate) की बात करें, तो बीते 9 बार की एमपीसी बैठक में लगातार नीतिगत दरों को यथावत रखा गया है यानी इसमें किसी प्रकार का कोई बदलाव नहीं किया गया है. फिलहाल ये 6.5 फीसदी पर बना हुआ है. इससे पहले जब देश में महंगाई बेकाबू हो गई थी और 7 फीसदी के पार पहुंच गई थी. तब इसे काबू में लाने के लिए RBI ने लगातार रेपो रेट बढ़ाया था. इसमें मई 2022 से फरवरी 2023 तक कई बार बढ़ोतरी की गई थी और ये 2.5 फीसदी बढ़ा था. अब जबकि महंगाई आरबीआई के तय दायरे से भी नीचे आ गई है, तो ऐसे में इसमें कटौती की उम्मीद जागी है.
जीडीपी की रफ्तार सुस्त होने का अनुमान
SBI की इकोरैप रिपोर्ट में रेपो रेट और महंगाई के साथ ही जीडीपी ग्रोथ (GDP Growth) को लेकर भी अनुमान जताया गया है. इसमें अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में इकोनॉमी की रफ्तार में सुस्ती देखने को मिल सकती है. जून तिमाही में देश की रियल जीडीपी ग्रोथ 7.0-7.1 फीसदी के दायरे में रह सकती है. जबकि ग्रॉस वैल्यू एडेड ग्रोथ (GVA Growth) 7 फीसदी से नीचे 6.7-6.8 फीसदी के करीब आ सकती है.
इसके पीछे एसबीआई रिपोर्ट में मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटीज घटने को वजह बताया है. FY25 की दूसरी तिमाही में 7.2 फीसदी, तीसरी तिमाही में 7.3 फीसदी और चौथी तिमाही में 7.2 फीसदी जीडीपी ग्रोथ का अनुमान जताया गया है. गौरतलब है कि सरकार इसी हफ्ते GDP Groth Data जारी कर सकती है.