मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में एक अभिभावक ने NCERT की पर्यावरण की किताब पर लव जिहाद का आरोप लगाया है और छतरपुर पुलिस को लिखित शिकायत देकर कार्रवाई की मांग की है. अभिभावक का कहना है कि दीप्ति रीना को पत्र लिख सकती है. रीना राम को पत्र लिख सकती है, लेकिन मुझे रीना द्वारा अहमद को लिखे गए पत्र पर आपत्ति है.
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NCERT की पुस्तक में छपी चिट्ठी.
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में एक अभिभावक ने NCERT की पर्यावरण की किताब पर लव जिहाद का आरोप लगाया है और छतरपुर पुलिस को लिखित शिकायत देकर कार्रवाई की मांग की है. यह आपत्ति डॉ. राघव पाठक नाम के व्यक्ति ने दर्ज कराई है. राघव पाठक का आरोप है कि उन्हें NCERT की कक्षा 3 के पर्यावरण विषय के पेज नंबर 17 पर आपत्ति है. इस पेज में चिट्ठी आई है नाम से एक हेडिंग है, जिसमें रीना नाम की लड़की अहमद को छुट्टियों में अगरतला आने का निमंत्रण देती है और अंत में लिखती है तुम्हारी रीना.
दरअसल, शिकायतकर्ता राघव पाठक ने खजुराहो एसडीओपी को लिखित शिकायती आवेदन देकर आपत्ति दर्ज कराई है. डॉ. राघव पाठक का कहना है कि NCERT की कक्षा 3 की पर्यावरण की किताब है और मैं अपने बच्चों का सिलेबस चेक करता हूं. मेरी बेटी हिंदी मीडियम में कक्षा तीन में पढ़ती है, तो एनसीईआरटी की पर्यावरण की पुस्तक में 17 अध्याय का प्रकरण है. 'एक चिट्ठी आई है' शीर्षक अध्याय में रीना नाम की सहेली ने अहमद नाम के दोस्त को पत्र लिखा है.
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'हिंदू लड़की मुस्लिम दोस्त को पत्र लिख रही है'
मुझे उस पर आपत्ति है. उस आपत्ति के संदर्भ में आजकल लव जिहाद का मुद्दा चल रहा है, तो हमारे मासूम बच्चों के मन में क्या प्रभाव या असर पैदा हो रहा है. मुझे इस बात पर भी संदेह है कि कहीं यह पाठ्यक्रम किसी सोची-समझी साजिश के तहत तो शामिल नहीं किया गया है, जहां एक हिंदू लड़की मुस्लिम दोस्त को पत्र लिख रही है. मुझे इस पर आपत्ति है, इसीलिए मैं यहां ज्ञापन देने आया हूं. दीप्ति रीना को पत्र लिख सकती है. रीना राम को पत्र लिख सकती है, लेकिन मुझे रीना द्वारा अहमद को लिखे गए पत्र पर आपत्ति है. इसकी जांच होनी चाहिए. इस मामले को लेकर एसडीओपी को आवेदन दिया गया है.
मामले में SDPO ने कही ये बात
खजुराहो एसडीओपी सलिल शर्मा का कहना है कि आवेदक राघव पाठक द्वारा एक आवेदन दिया गया है. उनका कहना है कि एनसीईआरटी में कुछ ऐसी सामग्री है जो उन्हें आपत्तिजनक लगती है. इस संबंध में उन्होंने आवेदन दिया है. मैंने उन्हें समझाया है कि राज्य सरकार या स्थानीय निकायों का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है. वे इसे उचित फोरम में प्रस्तुत करें. इसके बाद आवेदक को वरिष्ठ अधिकारियों के पास भेज दिया गया है.