देश में साइबर ठगी मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. कभी डिजिटिल अरेस्ट, तो कभी व्हाट्सएप कॉल, या वीडियो कॉल तो कभी मैसेज पर लिंक, साइबर क्रिमिनल ठगी के लिए लगातार नए-नए तरीके ईजाद कर रहे हैं. अब इस कड़ी में एक और तरीका जुड़ा है जिसके तहत साइबर ठग अब निजी कंपनियों को टारगेट करते हुए ठगी कर रहे हैं.
ताजा मामला कंपनी के सीईओ, एमडी या मालिक बनकर व्हाट्सएप के जरिए ठगी करने का सामने आया है. इसके जरिए साइबर क्रिमिनल्स कंपनी की वेबसाइट या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कंपनी के सीईओ, एमडी या मालिक की तस्वीर का इस्तेमाल करके फर्जी व्हाट्सएप अकाउंट बनाते हैं. इसके बाद व्हाट्सएप या अन्य मैसेजिंग ऐप के जरिए कंपनी के अकाउंटेंट/फाइनेंस हेड या फाइनेंस मैनेजर से संपर्क करते हैं और आपातकालीन स्थितियों का हवाला देते हुए फंड ट्रांसफर का अनुरोध करते हैं.
इस तरह के साइबर ठगों के रडार पर उन कंपनियों के मालिक हैं जिनकी नेटवर्थ अच्छी-खासी है. कंपनी के प्रबंध निदेशक (एमडी)/सीईओ/मालिक आदि की तस्वीर का इस्तेमाल करके सबसे पहले ये फर्जी व्हाट्सएप अकाउंट बनाते हैं. इसके बाद इस अकाउंट का इस्तेमाल अकाउंटेंट/वित्तीय शाखाओं/ऑफिसों को संदेश भेजने के लिए करते हैं. साइबर अपराधी अकाउंटेंट/कर्मचारियों को महत्वपूर्ण बैठकों या परियोजनाओं की आड़ में तत्काल फंड ट्रांसफर करने का निर्देश देते हैं.
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ठगी का नया तरीका
आईएफएसओ (पुलिस) के डीसीपी हेमंत तिवारी ने कहा, "धोखाधड़ी का एक नया चलन हमारे संज्ञान में आया है, जिसमें धोखेबाज खुद को कंपनी का सीईओ/एमडी/मालिक बताकर व्हाट्सऐप पर फर्जी प्रोफाइल बनाता है और कंपनी के अकाउंटेंट से संपर्क करता है और उन्हें आपातकालीन/असाधारण स्थिति का हवाला देकर पैसे ट्रांसफर करने को कहता है. आईएफएसओ में पिछले 10 दिनों में कुल तीन मामले सामने आए हैं."
पहली घटना: धोखेबाज ने कंपनी के अकाउंट मैनेजर से व्हाट्सएप के जरिए संपर्क किया और खुद को प्रबंध निदेशक बताकर संपर्क किया. व्हाट्सएप प्रोफाइल पिक्चर में कंपनी का लोगो शामिल था, जिससे मामले की प्रामाणिकता और भी बढ़ गई. धोखेबाज ने मैनेजर पर "नए प्रोजेक्ट" के लिए 1.15 करोड़ रुपये के अग्रिम भुगतान को तत्काल ट्रांसफर करने का दबाव डाला. इस दौरान तत्काल जरूरत का हवाला दिया गया. इस दबाव में, मैनेजर ने अनुरोधित राशि को लाभार्थी के खाते में ट्रांसफर कर दिया, कुल ₹1.15 करोड़ का नुकसान हुआ.
दूसरी घटना: इस मामले में, जालसाज ने प्रबंध निदेशक के रूप में कॉल किया और कंपनी के मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ)/अकाउंटेंट को संदेश भेजा. जालसाज ने सीएफओ को एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करने से संबंधित "नई परियोजना" के लिए ₹1.96 करोड़ और ₹3 करोड़ की राशि के दो लेनदेन को प्रोसेस करने का निर्देश दिया। लाभार्थी का विवरण दिया गया और बार-बार आग्रह किया गया कि एमडी सरकारी अधिकारियों के साथ व्यस्त हैं. जालसाज ने विश्वसनीयता बनाने के लिए कंपनी के वर्तमान फंड की स्थिति का भी हवाला दिया. कुल 4.96 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
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तीसरी घटना: जालसाज ने एक प्रतिष्ठित कंपनी, टेली-मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक के भाई का छद्म रूप धारण किया और व्हाट्सएप के माध्यम से अकाउंटेंट से संपर्क किया. सरकारी अधिकारियों के साथ तत्काल बैठकों में होने का दावा करते हुए, जालसाज ने कंपनी के पास मौजूद फंड का विवरण मांगा और अकाउंटेंट को अग्रिम भुगतान करने का निर्देश दिया. परिणामस्वरूप, अकाउंटेंट ने जालसाज द्वारा दिए गए खातों में 50 लाख रुपये और 40 लाख रुपये दो किस्तों में ट्रांसफर कर दिए. कुल मिलाकर 90 लाख ट्रांसफर कर दिए.
रखें सावधानी
ऐसे मामलों में सलाह दी जाती है कि मालिक से अल्टरनेट नंबर पर जरूर संपर्क करें या फिजिकल वैरिफिकेशन करें. फंड ट्रांसफर के लिए असामान्य या तत्काल अनुरोधों को हमेशा फिजिकल या मौखिक रूप से सत्यापित करें, खासकर व्हाट्सएप या इसी तरह के प्लेटफॉर्म के माध्यम से प्राप्त होने वाले अनुरोधों को.
असामान्य अनुरोधों के मामले में हमेशा किसी भी फंड को ट्रांसफर करने से पहले कंपनी के किसी अन्य उच्च अधिकारी से विवरणों को क्रॉस-चेक कर लें.