पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार और कोलकाता पुलिस के खिलाफ आक्रोश अपने चरम पर है. 9 अगस्त को कोलकाता के RG Kar मेडिकल कॉलेज में एक जूनियर डॉक्टर के साथ हुई नृशंस बलात्कार और हत्या की घटना ने पूरे राज्य में भारी विरोध प्रदर्शन को जन्म दिया. इस मामले में ममता बनर्जी सरकार और कोलकाता पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं. जनता और विपक्ष का आरोप है कि इस जघन्य अपराध को लेकर सरकार और पुलिस ने कई बड़ी गलतियां कीं, जिससे स्थिति और भी बिगड़ गई.
10 दिन से ज्यादा बीत चुके हैं. देशभर में विरोध प्रदर्शन और भी तेज होते जा रहे हैं. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को फटकार लगाई. आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 9 अगस्त को हुए जघन्य अपराध के बाद से कम से कम 10 ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जो ममता बनर्जी प्रशासन और कोलकाता पुलिस की गलतियों को उजागर करती हैं.
आइए जानते हैं ममता बनर्जी और कोलकाता पुलिस की वो 10 बड़ी गलतियां जिसने स्थिति को शांत करने के बजाय, हालात को और भी गंभीर बना दिया.
1. मामला दबाने का प्रयास
घटना के दिन से ही इस मामले को आत्महत्या के रूप में पेश करने की कोशिश की गई. RG Kar मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों ने डॉक्टर की हत्या को आत्महत्या बताने का प्रयास किया, जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से स्पष्ट हुआ कि डॉक्टर का पहले बलात्कार हुआ और फिर उसकी हत्या की गई. रिपोर्ट में 16 बाहरी और 9 आंतरिक चोटों के निशान, गला घोंटकर और मुंह बंद करके हत्या की पुष्टि हुई.
2. माता-पिता को बेटी का शव देखने के लिए करना पड़ा लंबा इंतजार
डॉक्टर के माता-पिता को उनकी बेटी का शव देखने के लिए अस्पताल में तीन घंटे से अधिक समय तक इंतजार कराया गया. इसके बाद, जब उन्हें शव दिखाया गया, तो पुलिस ने जल्दबाजी में शव का अंतिम संस्कार करने का दबाव बनाया. पीड़िता की मां ने पुलिस पर जांच को जल्द से जल्द समाप्त करने का आरोप लगाया और कहा कि उन्हें इस मामले में पुलिस की ओर से किसी तरह का सहयोग नहीं मिला.
3. जांच में लापरवाही और 10 लाख रुपये का मुआवजा
कोलकाता और पश्चिम बंगाल पुलिस के उपर ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के नेताओं का सीधा नियंत्रण है. इस मामले में भी पुलिस ने पहले पीड़िता के माता-पिता को आत्महत्या की जानकारी दी और बाद में बलात्कार और हत्या की बात कही. इसके अलावा पीड़िता की डायरी का एक पन्ना गायब था, जिससे यह आशंका जताई जा रही है कि इसमें महत्वपूर्ण जानकारी हो सकती थी. ममता बनर्जी द्वारा पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने की पेशकश की गई, लेकिन पीड़िता के पिता ने इसे न्याय के लिए उनके संघर्ष का अपमान बताया.
4. घटना स्थल के पास निर्माण कार्य
आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल में हुई इस क्रूर घटना के कुछ समय बाद ही घटना स्थल के पास चिनाई का काम शुरू करा दिया गया. सेमिनार हॉल से सटे बाथरूम की दीवार का एक हिस्सा तोड़ा जा रहा था. स्वाभाविक रूप से इन सब से सबूतों को नष्ट करने के प्रयास का संदेह पैदा हुआ. इस पर विपक्ष ने भी सवाल उठाए और अदालत ने भी इस पर नाराजगी जताई.
5. मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल का इस्तीफा और नई पोस्टिंग
घटना के बाद RG Kar मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप घोष ने इस्तीफा दे दिया, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसके बजाय, उन्हें कोलकाता के नेशनल मेडिकल कॉलेज में एक उच्च पद पर स्थानांतरित कर दिया गया. घोष पर आरोप था कि उन्होंने शुरुआत में घटना को आत्महत्या बताकर दबाने की कोशिश की थी. उनके सहकर्मियों ने भी उनके कार्यों पर सवाल उठाए और उनको करियर में तेजी से मिले प्रमोशन पर संदेह व्यक्त किया.
6. विरोध प्रदर्शन की गलत हैंडलिंग
घटना के बाद डॉक्टरों और छात्रों में गुस्सा था. उन्होंने तुरंत विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. लेकिन सरकार ने उनकी मांगों को अनसुना करते हुए उनपर वापस काम पर लौटने का दबाव डाला. सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा और कार्यस्थल की सुरक्षा जैसे मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया, बल्कि प्रदर्शनकारियों पर ही दोष मढ़ दिया. विरोध प्रदर्शन के दौरान 14 अगस्त की रात को RG Kar मेडिकल कॉलेज में तोड़फोड़ हुई, लेकिन पुलिस इसे रोकने में असफल रही.
7. मेडिकल कॉलेज में तोड़फोड़
14 अगस्त की रात को कोलकाता में चल रहे आंदोलन के तहत हजारों लोग सड़कों पर उतरे. इसी दौरान RG Kar मेडिकल कॉलेज में तोड़फोड़ की घटना हुई. इस दौरान पुलिस ने न केवल कार्रवाई करने में देरी की, बल्कि आरोप है कि पुलिस अपने कर्तव्यों का पालन करने के बजाय चुपचाप देखती रही.
8. कोलकाता डर्बी रद्द
ममता बनर्जी सरकार पर विरोध प्रदर्शन को दबाने का आरोप लगा. कोलकाता में मोहन बागान और ईस्ट बंगाल के बीच होने वाले डर्बी मैच को सुरक्षा कारणों का हवाला देकर रद्द कर दिया गया और मैच का स्थान झारखंड के जमशेदपुर कर दिया गया. आलोचकों का कहना है कि यह निर्णय इसलिए लिया गया ताकि मैच के दौरान कोई बड़ा विरोध प्रदर्शन न हो सके.
9. मीडिया और सोशल मीडिया पर कार्रवाई
सरकार और पुलिस ने मीडिया और सोशल मीडिया पर इस मामले को लेकर उठ रहे सवालों को दबाने का प्रयास किया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों से कुल 280 लोगों को नोटिस जारी किए गए तथा विरोध प्रदर्शन के सिलसिले में राज्य के एक 23 वर्षीय छात्र को पुलिस ने गिरफ्तार किया. यहां तक कि तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद सुखेंदु शेखर रॉय को भी पुलिस ने नोटिस भेजा.
10. ममता बनर्जी का ममता बनर्जी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
इस मामले में जनता का आक्रोश बढ़ने पर ममता बनर्जी खुद सड़कों पर उतरीं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की. उन्होंने CBI को मामले की जांच में तेजी लाने का अल्टीमेटम भी दिया. लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह विरोध प्रदर्शन केवल राजनीतिक दबाव से प्रेरित था, क्योंकि कोलकाता पुलिस ममता बनर्जी के ही अधीन आती है.
इन घटनाओं और गलतियों के कारण ममता बनर्जी सरकार की साख पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लग गया है. राज्य में जनता का आक्रोश बढ़ता जा रहा है और सरकार की स्थिति लगातार कमजोर हो रही है.