सरकारी कर्मचारियों के पेंशन को लेकर कैबिनेट ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को मंजूरी दे दी है. यह NDA गवर्नमेंट की एक नई योजना हैं, जिसे नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) के समांतर पेश किया गया है. अब सरकारी कर्मचारियों के लिए NPS और UPS चुनने का विकल्प होगा.
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UPS, NPS और OPS में क्या अंतर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट ने शनिवार को एक बड़ा फैसला लिया. सरकारी कर्मचारियों के पेंशन को लेकर कैबिनेट ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को मंजूरी दे दी है. यह NDA गवर्नमेंट की एक नई योजना हैं, जिसे नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) के समांतर पेश किया गया है. अब सरकारी कर्मचारियों के लिए NPS और UPS चुनने का विकल्प होगा. वहीं देश के कई राज्यों में ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) भी संचालित है. ऐसे में अभी ज्यादातर लोगों को OPS, NPS और UPS में अंतर और लाभ के बारे में जानकारी नहीं है. अगर आप भी इन तीनों पेंशन योजनाओं को लेकर कंफ्यूज हो रहे हैं या फिर यह जानना चाहते हैं कि कौन सी पेंशन योजना आपके लिए बेस्ट होगी तो आइए आपके हर एक सवाल का जवाब देते हैं.
क्या है यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS)?
सरकारी कर्मचारियों के लिए पेश की गई यह नई पेंशन योजना अगले साल 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी. यूपीएस के तहत अब केंद्रीय कर्मचारियों को एक निश्चित पेंशन दिया जाएगा, जो लास्ट 12 महीने की ऐवरेज बेसिक सैलरी का 50% होगा. कर्मचारी को यह पेंशन पाने के लिए कम से कम 25 साल तक सर्विस करनी होगी. वहीं अगर कर्मचारी की मौत हो जाती है तो परिवार को भी एक निश्चित पेंशन दिया जाएगा, जो कर्मचारी को मिलने वाले पेंशन का 60 फीसदी होगा. इसके अलावा, मिनिमम एश्योर्ड पेंशन भी दिया जाएगा, जिसका मतलब है कि जो लोग 10 साल तक नौकरी करते हैं तो उन्हें कम से कम 10 हजार रुपये की पेंशन दी जाएगी.
महंगाई के आधार पर बढ़ेगी पेंशन
यूनिफाइड पेंशन स्कीम के तहत इंडेक्सेशन को भी जोड़ा गया है. इसका मतलब है कि महंगाई के हिसाब से रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंशन बढ़ती रहेगी. यह बढ़ोतरी महंगाई राहत (Dearness Alloawance) के तौर पर पेंशन में जोड़ी जाएगी. यह ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स फॉर इंडस्ट्रियल वर्कर्स (AICPI-W) के आधार कैलकुलेट होगा. वहीं रिटायमेंट पर एकमुश्त रकम भी दी जाएगी. इसका कैलकुलेशन कर्मचारियों के हर 6 महीने की सेवा पर मूल वेतन और महंगाई भत्ते के 10वें हिस्से के तौर पर किया जाएगा. यह ग्रेच्युटी से अलग राशि होगी.
UPS, NPS और OPS में क्या अंतर?
- UPS के तहत केंद्र सरकार के कर्मचारियों को लाभ दिया जाएगा. NPS के तहत प्राइवेट और सरकारी दोनों कर्मचारी अकाउंट ओपन करा सकते हैं. जबकि OPS सिर्फ सरकारी कर्मचारियों के लिए है.
- OPS में पेंशन के लिए वेतन से कोई कटौती नहीं होती है, जबकि NPS में वेतन से 10% (बेसिक+डीए) की कटौती होती है. वहीं UPS में यही अमाउंट कटेगा. लेकिन सरकार की तरफ से 18.5 प्रतिशत का योगदान किया जाएगा.
- OPS में GPF (Government Provident Fund) की सुविधा है, जबकि NPS में यह सुविधा नहीं है. वहीं UPS में एकमुश्त राशि रिटायरमेंट के बाद दिया जाएगा.
- NPS शेयर बाजार से लिंक योजना है, जिसमें कंट्रीब्यूशन करने पर रिटायरमेंट के वक्त 60 फीसदी तक अमाउंट एकमुश्त और बाकी बचा 40 प्रतिशत अमाउंट एन्युटी के तौर पर दिया जाता है. वहीं यूपीएस और OPS एक सुरक्षित योजना है.
- UPS में रिटायरमेंट के तहत एक निश्चित पेंशन दी जाएगी, जो 12 महीने के एवरेज बेसिक पे का 50 फीसदी होगा. OPS में रिटायरमेंट के समय में भी निश्चित पेंशन दी जाएगी, जो अंतिम मूल वेतन का 50 फीसदी होगा, जबकि NPS में रिटायरमेंट के समय निश्चित पेंशन की कोई गारंटी नहीं है.
- OPS में 6 महीने के बाद मिलने वाला महंगाई भत्ता (DA) लागू होता है, जबकि NPS में 6 महीने के बाद मिलने वाला महंगाई भत्ता लागू नहीं होता है. वहीं UPS में महंगाई के हिसाब से मंहगाई राहत (DR) दिया जाएगा.
- UPS में ग्रेच्युटी के अलावा एकमुश्त राशि रिटार्यमेंट के वक्त दिया जाएगा. OPS में रिटायरमेंट के बाद 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी मिलती है, जबकि NPS में रिटायरमेंट के समय ग्रेच्युटी का अस्थायी प्रावधान है.
- UPS में कर्मचारी की मौत हो जाने पर फैमिली पेंशन दिया जाएगा. OPS में सेवा के दौरान मौत होने पर फैमिली पेंशन का प्रावधान है, जबकि NPS में सेवा के दौरान मौत होने पर फैमिली पेंशन का प्रावधान है, लेकिन NPS के तहत जमा पैसे को सरकार जब्त कर लेती है.
- UPS में ब्याज पर टैक्स लगेगा या नहीं ये अभी क्लियर नहीं है, जबकि OPS में रिटायरमेंट पर GPF के ब्याज पर किसी प्रकार का इनकम टैक्स नहीं लगता है. वहीं NPS में रिटायरमेंट पर शेयर बाजार के आधार पर जो पैसा मिलेगा, उस पर टैक्स देना पड़ेगा.
- OPS में रिटायरमेंट के समय पेंशन पाने के लिए किसी प्रकार का इनवेस्ट नहीं करना पड़ता है, जबकि NPS में रिटायरमेंट के समय पेंशन प्राप्ति के लिए NPS फंड से 40 फीसदी पैसा इन्वेस्ट करना पड़ता है. वहीं UPS में भी इन्वेस्ट करने का कोई प्रावधान नहीं है.
- UPS में 10 साल की सर्विस पर कम से कम 10 हजार रुपये पेंशन का प्रावधान है. OPS में 40 फीसदी पेंशन कम्यूटेशन का प्रावधान है, जबकि NPS में यह प्रावधान नहीं है.
- यूपीएस में मेडिकल फैसिलिटी दी जाएगी, जबकि OPS में रिटायरमेंट के बाद मेडिकल फैसिलिटी (FMA) है, लेकिन NPS में इसका स्पष्ट प्रावधान नहीं है.
- UPS और OPS का लाभ सिर्फ सरकारी कर्मचारी ही उठा सकते हैं, जबकि NPS प्राइवेट से लेकर सरकारी कर्मचारियों तक कोई भी कर सकता है.
UPS और NPS में कुछ बड़े अंतर?
- सरकार ने कर्मचारियों के लिए UPS और NPS में से कोई एक विकल्प चुनने का विकल्प रखा है. अगर आप एक बार एनपीएस चुन लेते हैं तो दोबारा यूपीएस में नहीं जा सकते हैं.
- यूपीएस का लाभ सिर्फ सरकारी कर्मचारियों के लिए होगा, जिसके तहत 23 लाख कर्मचारियों को लाभ मिलेगा. वहीं NPS के तहत दो अकाउंट होते हैं, टियर 1 और टियर 2, जिसे कोई भी खोल सकता है और निवेश कर सकता है.
- यूपीएस एक निश्चित पेंशन स्कीम है. साथ ही फैमिली पेंशन भी मिलेगा. मिनिमम निश्चित पेंशन का भी प्रावधान है. जबकि एनपीएस में ऐसा नहीं है. यूपीएस एक सुरक्षित पेंशन योजना है, जबकि एनपीएस एक मार्केट लिंक योजना है.
- NPS में वेतन से 10% (बेसिक+डीए) की कटौती होती है. वहीं UPS में यही अमाउंट कटेगा. लेकिन सरकार की तरफ से 18.5 प्रतिशत का योगदान किया जाएगा.
- UPS में सरकारी कर्मचारी को 25 साल नौकरी के बाद फिक्स पेंशन के अलावा एकमुश्त राशि भी मिलेगी. महंगाई दर के हिसाब से ये पेंशन बढ़ेगी. NPS में बहुत कर्मचारियों को बहुत कम रुपए ही मिल रहे थे.
- NPS में कोई सुनिश्चित पेंशन नहीं था. UPS में 25 साल की सेवा के बाद आखिरी सैलरी का कम से कम 50 फीसदी पेंशन सुनिश्चित होगा.
- UPS में 10 साल की सेवा के बाद 10 हजार रूपए सुनिश्चित पेंशन मिलेगी. NPS में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है.
UPS के तहत बकाया भी मिलेगा
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार रात को यूनिफाइड पेंशन योजना का ऐलान करते हुए कहा कि इस योजना का लाभ सरकारी कर्मचारियों को दिया जाएगा. साथ ही यह भी कहा गया कि 2004 के बाद रिटायर्ड सरकारी कर्मचारियों को भी इसका लाभ मिलेगा. साल 2004 से अभी तक रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी इस योजना के तहत बकाया पाने के लिए योग्य होंगे. उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत बकाया राशि का भुगतान 800 करोड़ रुपये तक किया जाएगा.