NDA या INDIA ब्लॉक? नतीजों की घड़ी आई, महाराष्ट्र और झारखंड में सस्पेंस का मीटर हाई

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बॉलीवुड की फिल्म साहिब, बीबी व गुलाम का एक गाना है- 'साकिया, आज मुझे नींद नहीं आएगी, सुना है तेरी महफिल में रतजगा है.' यही हाल तमाम सियासी पार्टियों के नेताओं का है, क्योंकि शनिवार 23 नवंबर को नतीजों का दिन है. काउंटिंग में क्या होगा, बेचैनी इतनी है कि प्रत्याशियों से लेकर पार्टियों के नेताओं की धड़कनें तेज हैं. आंखों से नींद गायब है. महाराष्ट्र से लेकर झारखंड तक, यूपी से लेकर बिहार तक, राजस्थान से लेकर बंगाल तक... शुक्रवार की रात नेताओं के लिए बहुत भारी है. चंद घंटों के बाद ईवीएम खुलेगी, नतीजे बाहर आएंगे, पता चलेगा कि विधानसभा चुनाव और उपचुनाव में कौन जीतेगा. 

काउंटिंग से पहले सियासी हलके का माहौल क्या है? इस पर गौर करने की जरूरत है. सियासी हलकों में एक ही सवाल गूंज रहा है कि महाराष्ट्र में सरकार महायुति की बनेगी या महाविकास अघाड़ी की अबकी बार महाराष्ट्र में सत्ता का स्वाद चखेगा? दरअसल, इस बार महाराष्ट्र के चुनाव में 6 बड़ी पार्टियों ने चुनाव लड़ा है. एकनाथ शिंदे की शिवसेना, उद्धव ठाकरे की शिवसेना. शरद पवार की एनसीपी और अजित पवार की एनसीपी. बीजेपी और कांग्रेस ने भी अपने अपने गठबंधन में सबसे ज़्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा है. 

इस वक्त सस्पेंस का मीटर हाई है, तो पार्टियां अपनी जीत की दुहाई भी दे रही हैं. सुबह ईवीएम खुलेगी, पता नहीं किसकी लॉटरी लगेगी? ऐसे में महाराष्ट्र के अंदर, नतीजों से पहले ही, विधायकों को संभालकर रखने की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों को लेकर ज्यादातर एग्जिट पोल में महायुति और महाविकास अघाड़ी में कांटे की टक्कर दिखाई गई है. दोनों खेमे सरकार बनाने का दावा पेश कर रहे हैं. और इसीलिए महाराष्ट्र में रिज़ॉर्ट पॉलिटिक्स भी शुरू हो गई है. 

संजय राउत का दावा है कि महाविकास अघाड़ी के 160 से ज़्यादा विधायक जीतकर आ रहे हैं. ऐसे में उनके ठहरने के लिए होटल और रिजॉर्ट का इंतज़ाम किया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक खबर है कि उद्धव ठाकरे और शरद पवार ने अपने अपने नेताओं से ऑनलाइन मीटिंग की और नेताओं से कहा गया कि जो भी विधायक जीते वो महायुति के बहकावे में न आए. सभी विजयी उम्मीदवारों को ये कहा गया है कि वो शनिवार शाम तक मुंबई पहुंच जाएं. 

महाराष्ट्र में बंपर वोटिंग का मतलब क्या?

आपको बता दें कि मुंबई में शिवडी सीट से एमएनएस के उम्मीदवार बाबा नंदगांवकर ने फडणवीस से मुलाकात की है. तो कांग्रेस नेता बाला साहेब थोराट ने भी कहा है कि महाविकास अघाड़ी में सबका स्वागत है, यानी जो विधायक आना चाहे, फिर वो किसी भी पार्टी के हों, आ सकते हैं. महाराष्ट्र में इस बार के चुनाव में 29 साल बाद सबसे ज्यादा वोटिंग हुई है. अब इस बंपर वोटिंग का मतलब क्या निकाला जाए? जिस तरह से ढाई साल की उद्धव सरकार के बाद महाराष्ट्र में विधायकों की जोड़-तोड़ और पार्टियां दो फाड़ हो गईं. ऐसे में नतीजों से पहले ही अपने अपने विधायकों को बचाने के लिए, पार्टियां पूरी तरह से तैयार हैं.

महाराष्ट्र में रिसॉर्ड पॉलिटिक्स की जरूरत नहीं: डीके शिवकुमार

कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार का बड़ा दावा है कि महाराष्ट्र में रिसॉर्ट पॉलिटिक्स की जरूरत नहीं है. बिना रिसॉर्ट पॉलिटिक्स के सरकार बनेगी और महाविकास अघाड़ी की जीत पक्की है. उधर, शरद पवार का पार्टी प्रत्याशियों को निर्देश है कि काउंटिंग खत्म होने तक मतदगणना स्थल पर रहें. आधिकारिक रूप से घोषणा होने तक रुके रहें.

वहीं झारखंड की बात करें तो यहां के नेताओं को भी बेचैनी है कि पता नहीं शनिवार को क्या होगा. शुक्रवार का पूरा दिन NDA और इंडिया ब्लॉक के नेताओं का सीटों का गुणा-गणित लगाने में गुजरा और पूरी रात बेचैनी में कटी. झारखंड में भी 23 नवंबर की सुबह का सूरज तय कर देगा कि राज्य में हेमंत सोरने की कुर्सी बचेगी या फिर बाबू लाल मरांडी की वापसी होगी. यही वजह है कि नेताओं की धड़कनें तेज है. सीएम की कुर्सी पर बैठने का अरमान इधर भी है और उधर भी. बाबू लाल मराडी को उम्मीद है कि शनिवार का दिन अच्छी खबर लाएगा और पांच साल का वनवास खत्म होगा. दावा यही है कि कुल 81 सीटों में 50 से ज्यादा सीट एनडीए की झोली में आएगी.

JMM ने जताया जीत का भरोसा

बीजेपी की उम्मीदों को कांग्रेस और जेएमएम मुंगेरी लाल का सपना बता रही है. जेएमएम को यकीन है कि ईवीएम खुलेगा तो इंडिया ब्लॉक की जीत बाहर निकलेगी. एक बार फिर 2 तिहाई बहुमत के साथ इंडिया ब्लॉक की सरकार बनेगी, यानी एक बार फिर हेमंत सोरेन को सीएम की कुर्सी पर इंडिया ब्लॉक के नेता देख रहे हैं. नतीजों से पहले दोनों तरफ से अपनी-अपनी जीत के दावे हैं, लेकिन झारखंड चुनाव में महिला वोटरों के बढ़े हुए प्रतिशत ने सस्पेंस बढ़ा दिया है. यानी महिला वोटरों का रुख जिस गठबंधन की तरफ होगा, उसी गठबंधन की जीत तय है. 

इसी तरह केरल की वायनाड लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजे भी शनिवार को ही जारी होंगे. इस सीट पर भी सभी की नजरें टिकी हैं. क्योंकि यहां से प्रियंका गांधी ने चुनाव लड़ा है. और बड़ी बात ये है कि प्रियंका गांधी की वायनाड से चुनावी लॉन्चिंग हुई है. अब गांधी परिवार से लेकर पूरी कांग्रेस को वायनाड के रिजल्ट का इंतजार है. क्योंकि अगर यहां से प्रियंका गांधी जीतती हैं तो वो पहली बार सांसद बनेंगी. पॉलिटिक्स में तो प्रियंका गांधी बहुत से सक्रिय हैं. पार्टी और राहुल गांधी के लिए प्रचार भी खूब करती हैं. लेकिन चुनाव पहली बार लड़ा है. अब अगर प्रियंका गांधी वायनाड से सांसद बनती हैं तो दोनों भाई-बहन लोकसभा में होंगे. राहुल गांधी उत्तर से, प्रियंका गांधी दक्षिण से, और मां सोनियां गांधी पश्चिमी हिस्से का नेतृत्व करती हुई नज़र आएंगी. क्योंकि सोनिया गांधी राजस्थान से राज्यसभा के लिए चुनी गई हैं. 

वहीं यूपी में नतीजों से पहले ही बीजेपी और समाजवादी पार्टी की भविष्यवाणी आ चुकी है. दोनों ही पाटियों नौ की नौ सीटें जीतने का दावा कर रही है, लेकिन कौन जीतेगा कौन हारेगा ये शनिवार को EVM में कैद जनादेश से तय होगा. वैसे तो UP की सिर्फ 9 सीटों पर उपचुनाव के नतीजे आने हैं, लेकिन छोटे चुनाव के परिणाम में 2027 विधानसभा चुनाव का बड़ा संदेश छिपा हुआ है. अखिलेश यादव के सामने लोकसभा चुनाव में मिली ऐतिहासिक जीत के रिकॉर्ड को उपचुनाव में दोहराने की चुनौती है तो सीएम योगी को खिसकी हुई सियासी जमीन पर फिर कमल खिलाना है. यही वजह है कि सत्ता के फाइनल से पहले 9 सीटों के उपचुनाव योगी और अखिलेश की साख का सवाल है. 

हालांकि समाजवादी पार्टी नौ सीटों में से तीन सीटों पर हुए चुनाव को रद्द करने की मांग कर चुकी है. दावा यही है कि पुलिस प्रशासन की निष्पक्ष चुनाव नहीं करवाए. BJP इन आरोपों को सिरे से खारिज कर रही है. अखिलेश यादव ने कार्यकत्ताओं को निर्देश दिया है कि मतगणना स्थल पर आखिरी तक डटे रहें और अपना जीत का प्रमाणपत्र लेकर ही लौटें. 

राजस्थान में हुए उपचुनाव के नतीजों पर भी सबकी नजरें

और अब बात राजस्थान की, क्योंकि राजस्थान में भी 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुआ है. और बड़ी बात ये है कि 2023 के विधानसभा चुनावों के बाद 11 महीने के भीतर ही उपचुनाव हो रहे हैं. जिन 7 विधानसभा सीटों पर राजस्थान में उपचुनाव हुआ है, उनमें से सिर्फ एक ही सीट पर बीजेपी जीत पाई थी. इसलिए अब मुकाबला बड़ा है, और नतीजों में कौन बाजी मारता है, इंतजार इसी का है. राजस्थान में 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए हैं. और यहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच, नाक की लड़ाई है. 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खाते में सिर्फ सलूंबर सीट थी, जबकि 6 सीटों में से 4 पर कांग्रेस के प्रत्याशी विजयी रहे थे. और एक सीट भारतीय आदिवासी पार्टी, एक सीट राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी जीती थी. 2023 के विधानसभा चुनाव में शेखावाटी की झुंझुनू सीट, दौसा, देवली-उनियारा और रामगढ़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस के एमएलए बने थे. 

लेकिन 2023 में सत्ता परिवर्तन हुआ, कांग्रेस की गहलोत सरकार गई और बीजेपी ने सत्ता हासिक करते हुए राजस्थान की कमान भजन लाल को दे दी. अब उपचुनाव में बीजेपी और भजनलाल दोनों की अग्नि परीक्षा है. तो कांग्रेस के लिए, 4 की 4 सीट बचाने की चुनौती है. राजस्थान में 5 सीटें विधायकों के सांसद बनने के बाद खाली हुई हैं. जबकि 2 सीटें विधायकों के निधन के चलते खाली हुई हैं. 2023 में हुए विधानसभा चुनाव के 11 महीने के भीतर ही इन सीटों पर फिर इलेक्शन हो रहे हैं. मुकाबला तगड़ा है, और अब कल क्या होगा, ये दिलचस्प होगा? 23 नवंबर को नतीजों में बाजी कौन मारेगा? 

नेताओं के लिए शुक्रवार की रात रतजगा बिहार में भी है. बिहार की चार सीटों पर हो रहे उपचुनाव के नतीजे भी शनिवार को आएंगे. सवाल यही है कि उपचुनाव में किसकी जीत होगी. परिवारवाद हारेगा या जीतेगा? प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज का क्या होगा? ओवैसी की पार्टी किसकी बेड़ा गर्क करेगा या जीत का ककहरा दक्षिण बिहार में भी खोलेगा?दरअसल, बिहार के उपचुनाव के नतीजे, अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव का ट्रेलर है. बेलागंज, इमामगंज, रामगढ़ और तरारी विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के नतीजे बिहार.की राजनीति में प्रशांत किशोर और तेजस्वी यादव के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं. वजह है पार्टी लॉच करने के बाद ये पहला मौका है जब प्रशांत किशोर की पार्टी ने चुनावी दंगल में ताल ठोक रही है. दूसरी तरफ जिन 4 सीटों पर उपचुनाव हुए हैं, उनमे से 3 सीटें महागठबंधन के पास थी, यानी तेजस्वी की सबसे बड़ी चुनौती अपनी तीनों सीट बचाए रखने की है. 

बंगाल की 6 सीटों के उपचुनाव के नतीजे भी होंगे जारी

और अब बात पश्चिम बंगाल की करते हैं. यहां 6 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज डॉक्टर बिटिया के साथ जो दरिंदगी हुई. उसके बाद सियासत में काफी उबाल आया. और उसके बाद ये उपचुनाव आया. भले ही टीएमसी ने लोकसभा में बीजेपी को बुरी तरह से पछाडा़, लेकिन उपचुनाव में क्या होगा, अब इसका फैसला भी शनिवार को होगा. पश्चिम बंगाल में 2024 के लोकसभा चुनाव की जंग तो सबने देखी. कैसे टीएमसी और बीजेपी के बीच आर-पार की लड़ाई हुई, लेकिन बाजी ममता बनर्जी मारकर ले गईं. जी हां टीएमसी ने लोकसभा में 29 सीटों जीतीं तो बीजेपी सिर्फ 12 सीटें ही जीत पाईं. और अब 13 नवंबर को पश्चिम बंगाल में 5 ज़िलों की 6 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए हैं. जिसके नतीजे कल यानी 23 नवंबर को आ रहे हैं. लेकिन उस उपचुनाव से पहले बंगाल में जिस तरह से आरजी कर मेडिकल कॉलेज की डॉक्टर बिटिया के साथ गैंगरेप और फिर हत्या की गई. सवाल ये है कि क्या उससे बीजेपी को उपचुनाव में फायदा होगा? 

जिन 6 सीटों पर पश्चिम बंगाल में उपचुनाव हुए हैं, उनमें कोलकाता के नजदीक शहरी केंदर नौहाटी अल्पसंख्यक बहुल हरोआ, महत्वपूर्ण आदिवासी आबादी वाला तालडांगरा, अल्पसंख्यक और राजबंशी वोटों वाला सीताई, उत्तर बंगाल की चाय बागान सीट, मडियाहाट और मेदिनीपुर शामिल हैं. जिन छह सीटों पर चुनाव होने हैं, उनमें से पांच तृणमूल और एक बीजेपी के पास है. हालांकि टीएमसी ने दावा किया है कि वो सभी 6 सीटें जीतेगी. लेकिन बीजेपी ने भी इस उपचुनाव को जीतने के लिए पूरा ज़ोर लगाया है, क्योंकि बीजेपी ये बताना चाहती है कि डॉक्टर बिटिया के साथ हुई, सबसे घिनौनी वारदात के बाद, बंगाल की राजनीतिक हवा बदली है. 

Article From: www.aajtak.in
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