संसद में माइक विवाद फिर चर्चा में है. सोमवार को संसद की कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर नीट पेपर लीक का मुद्दा गरमाया. इस बीच, लोकसभा से लेकर राज्यसभा तक माइक बंद पर भी माहौल में तल्खी देखने को मिली है. लोकसभा में स्पीकर ओम बिरला ने माइक बंद पर फिर सफाई दी है. जबकि राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ ने कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी पर खुलकर नाराजगी जताई. आइए जानते हैं संसद के माइक पर हंगामा क्यों मचा है? किसके पास माइक के ऑन-ऑफ का कंट्रोल होता है और माइक को लेकर प्रोटोकॉल क्या है...
दरअसल, कांग्रेस ने शुक्रवार को दावा किया कि लोकसभा में NEET पेपर लीक का मुद्दा उठाते समय विपक्ष के नेता राहुल गांधी का माइक बंद कर दिया गया. विपक्ष ने इसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया. कांग्रेस ने अपने एक्स हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया. इससे पहले भी कांग्रेस राहुल गांधी का माइक बंद किए जाने का दावा कर चुकी है. सोमवार को लोकसभा में माइक 'कंट्रोल' के आरोप पर स्पीकर बिरला ने विपक्षी सांसदों को पूरी बात बताई. बिरला का कहना था कि माइक का कंट्रोल मेरे पास नहीं होता है. आसन की व्यवस्था के अनुसार चलता है.
माइक को लेकर क्या प्रोटोकॉल है?
हर सांसद के लिए एक निर्धारित सीट होती है. माइक्रोफोन डेस्क से जुड़े होते हैं और उनका एक नंबर होता है. संसद के दोनों सदनों में एक चैंबर है, जहां साउंड टेक्निशियन बैठते हैं. यही कर्मचारी लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही को लिपिबद्ध और रिकॉर्ड करते हैं. इसी चैंबर में एक इलेक्ट्रॉनिक बोर्ड है, जिस पर सभी सीटों के नंबर लिखे होते हैं. माइक्रोफोन को वहां से चालू या बंद किया जा सकता है. चैंबर के सामने का हिस्सा कांच का है और यही टीम स्पीकर और सांसदों को बोलते हुए और सदन की पूरी कार्यवाही देखती है.
निचले सदन (लोकसभा) के मामले में इसका संचालन लोकसभा सचिवालय के कर्मचारियों द्वारा किया जाता है. जबकि उच्च सदन (राज्यसभा) के मामले में इसका संचालन राज्यसभा सचिवालय के कर्मचारियों द्वारा किया जाता है.
सिर्फ स्पीकर ही निर्देश दे सकते हैं...
संसद की कार्यवाही को कवर करने वाले एक्सपर्ट और वरिष्ठ पत्रकारों का कहना है कि माइक्रोफोन को चालू और बंद करने की एक निर्धारित प्रक्रिया होती है. सिर्फ स्पीकर ही माइक्रोफोन को बंद करने का निर्देश दे सकते हैं और वो भी नियमों के अनुसार. कार्यवाही बाधित होने पर इस पावर का इस्तेमाल किया जा सकता है. दोनों सदनों में माइक्रोफोन मैन्युअल रूप से चालू और बंद किए जाते हैं.
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कब चालू किए जाते हैं माइक?
डीएमके के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता पी विल्सन कहते हैं, राज्यसभा के सभापति के निर्देश पर माइक्रोफोन चालू किए जाते हैं. जब सभापति किसी सदस्य को बुलाते हैं, तभी माइक चालू किया जाता है. विल्सन कहते हैं, शून्य काल में एक सदस्य को तीन मिनट का समय दिया जाता है और जब तीन मिनट पूरे हो जाते हैं तो माइक्रोफोन अपने आप बंद हो जाता है. विधेयकों आदि पर बहस के मामले में प्रत्येक पार्टी को समय दिया जाता है. स्पीकर उस समय के अनुसार चलते हैं और अपने विवेक से सदस्य को बात पूरी करने के लिए एक या दो मिनट का समय देते हैं.
एक सदस्य को सिर्फ 250 शब्द पढ़ने की सीमा
संसद की कार्यवाही को कवर करने वाले एक पत्रकार के अनुसार, यदि किसी सांसद की बोलने की बारी नहीं आई है तो उसका माइक बंद किया जा सकता है. स्पेशल मेंशन के मामले में सांसदों के पास 250 शब्द पढ़ने की सीमा होती है. जैसे ही इसे सदस्य द्वारा पढ़ा जाता है, चैंबर में मौजूद कर्मचारियों द्वारा उस सदस्य का माइक बंद कर दिया जाता है.
गाइडलाइन के तहत काम करता है स्टाफ
एक एक्सपर्ट के अनुसार, सांसदों के लिए अलग-अलग सीट नंबर निर्धारित हैं. सांसदों से अनुरोध किया जाता है कि वे अपनी निर्धारित सीटों से ही बोलें. हालांकि, नई संसद में सीट निर्धारित किए जाने की प्रक्रिया चल रही है. ऐसे में सांसदों को स्क्रीन या सीसीटीवी में देखकर उनका माइक ऑन या ऑफ करना होता है. जब प्रत्येक सांसद को डिवीजन नंबर मिल जाएगा तो साउंड इंजीनियर का काम बेहद आसान हो जाएगा. एक्सपर्ट का कहना है कि जो लोकसभा और राज्यसभा में पूरे माइक्रोफोन सिस्टम की देखभाल करता है, वो समर्पित और वेल ट्रेंड स्टाफ होता है. ये टीम गाइडलाइन के अनुसार काम करती है.
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लेकिन जब सांसदों की बोलने की बारी ही नहीं आती है तो उनकी आवाज कैसे सुनी जा सकती है?
पी विल्सन कहते हैं, व्यवधान के दौरान चूंकि विपक्ष की आवाजें जोर से सुनाई देती हैं. इसका कारण यह है कि जो सदस्य खड़ा होता है, उसका माइक्रोफोन आवाज को कैच कर लेता है और इस तरह उसकी आवाज पूरे सदन में सुनने को मिलती है.
सिर्फ चेयर यानी लोकसभा के मामले में स्पीकर और राज्यसभा के मामले में सभापति को ही असाधारण परिस्थितियों में माइक बंद करने का निर्देश देने का अधिकार है. लोकसभा में वरिष्ठ पद से रिटायर एक अफसर ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा, यह दावा करना कि माइक बंद कर दिए जाते हैं, काफी हैरान करने वाला है. मुझे यकीन नहीं है कि ऐसा कुछ किया जाता है.
संसद के माइक पर विवाद क्यों....
सोमवार को लोकसभा में स्पीकर ओम बिरला ने सदन के बाहर माइक बंद करने के आरोप लगाए जाने पर चिंता जताई और कहा कि माइक का कंट्रोल आसन की व्यवस्था के अनुसार चलता है. सभी दल के सदस्य बैठते हैं. आसन की मर्यादा रही है. आप जब भी सभापति के आसन पर बैठें, आक्षेप नहीं करेंगे तो सही रहेगा. आसन पर सुरेश जी (कांग्रेस सांसद) भी बैठते हैं, कंट्रोल है क्या... सुरेश जी कह रहे हैं कि नहीं है.. आप सुरेश जी की बात नहीं मानते.
बिरला का कहना था कि बाहर कई सदस्य आरोप लगाते हैं कि पीठासीन अधिकारी या आसन पर बैठे व्यक्ति माइक बंद कर देते हैं. बिरला ने कहा, आसन से व्यवस्था रहती कि जिसका नाम पुकारा जाता है, वो अपनी बात कहता है. इसी व्यवस्था पर माइक का कंट्रोल चलता है. माइक का कंट्रोल आसन पर बैठे व्यक्ति के पास नहीं होता है. आसन पर सभी दल के व्यक्ति बैठते हैं. सभी दल के सदस्य ऐसे ही सदन चलाते हैं. यह आसन की हमेशा मर्यादा रही है. इस तरह का आरोप ना लगाएं. बिरला ने पूछा- जब आप आसन पर बैठते हैं तो क्या आपके पास कंट्रोल रहता है.
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प्रमोद तिवारी पर भड़के सभापति
सभापति जगदीप धनखड़ ने मल्लिकार्जुन खड़गे को संबोधित करते हुए कहा कि मेरा अनुरोध है आपसे, कृपा करके... सभापति खड़गे से बोल ही रहे थे कि प्रमोद तिवारी ने कुछ कहा. इस पर सभापति धनखड़ भड़क गए. सभापति ने प्रमोद तिवारी को चेतावनी देते हुए कहा कि आई टुक स्टॉन्ग एक्शन. धनखड़ ने सवाल पूछा- यहां माइक बंद होता है क्या? जब मैं बोलता हूं तो माइक किसी का चालू नहीं रहता है. ये जानते हैं आप. आपका इतना लंबा अनुभव है. आप ज्यादा जानते हैं.
राहुल गांधी बनाम जगदीप धनखड़
कांग्रेस ने एक्स पर एक वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो में देखा गया कि राहुल गांधी लोकसभा में अपनी बात रख रहे थे कि अचानक उनके माइक से आवाज नहीं आती है, जिसके बाद विपक्षी दलों के नेता 'माइक-माइक' चिल्लाने लगते हैं. इस पर स्पीकर कहते हैं कि मैं माइक बंद नहीं करता हूं. पूर्व में आपको व्यवस्था दी गई थी. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि लोकसभा में नीट पेपर लीक पर चर्चा की मांग को लेकर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का माइक बंद किया गया था.
इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लंदन स्थित हाउस ऑफ पार्लियामेंट के परिसर में ब्रिटिश सांसदों को संबोधित किया था और कहा था कि भारत में संसद में विपक्षी नेताओं के माइक्रोफोन बंद कर दिए जाते हैं. राहुल ने कहा, हमारे माइक खराब नहीं हैं, वे काम कर रहे हैं, लेकिन फिर भी आप उन्हें चालू नहीं कर सकते. क्योंकि मैं जब संसद में अपनी बात रखता हूं तो वहां ऐसा कई बार हुआ है. भारत में विपक्ष का दमन किया जा रहा रहा है.
उसके बाद उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने राहुल के बयान पर पलटवार किया था और कहा था, इमरजेंसी के 'काले अध्याय' के दौरान ऐसा किया गया था, लेकिन अब यह संभव नहीं है. धनखड़ ने राहुल गांधी का नाम लिए बिना कहा, 'कुछ लोगों ने एक नैरेटिव सेट कर दिया है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की संसद में माइक्रोफोन बंद हैं. इससे ज्यादा झूठ कुछ नहीं हो सकता.