वायरल बाबा, सायन लाहिड़ी और डॉ. अख्तर अली... ममता के खिलाफ बंगाल प्रोटेस्ट के पोस्टर बॉय कौन-कौन?

2 months ago 14

कोलकाता के आरजीकर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और फिर उनकी हत्या के बाद देशभर में विरोध की जो चिंगारी सुलगी है, कोलकाता उसका एपि सेंटर है. 9 अगस्त को सामने आई घटना के बाद से जारी विरोध प्रदर्शन अब तक थमा नहीं है, बल्कि इसका दायरा और लोगों के बीच आक्रोश लगातार बढ़ता ही जा रहा है. पहले कोलकाता सहित देशभर में डॉक्टरों का प्रदर्शन, फिर इस मामले में छात्र संगठनों के विरोध प्रदर्शन ने लोगों के गुस्से को आंदोलन की शक्ल दे दी है, और बीते 20 दिनों में इस आंदोलन में कुछ ऐसे चेहरे उभर कर आए हैं, जो इन विरोध-प्रदर्शनों के लिए पोस्टर बॉय बन गए हैं. 

इन पोस्टर बॉय में पांच नाम खास तौर पर लिए जा रहे हैं. पहले हैं सायन लाहिड़ी, दूसरे शुभांकर हलदार, तीसरे पलाश घोष और चौथे हैं बलराम घोष और पांचवें हैं अख्तर अली. ये पांचों वो शख्सियत हैं, जिन्होंने इस दुर्दांत कांड के बाद पब्लिक के गुस्से को विरोध की शक्ल दी है. 

सायन लाहिड़ीः नबन्ना अभियान के लीडर
पश्चिम बंगाल में बीते मंगलवार को नबन्ना अभियान शुरू किया गया था. इस अभियान के पीछे सायन लाहिड़ी ही थे. लाहिड़ी को इस अभियान का आयोजनकर्ता बताया जा रहा है. वह पश्चिम बंग छात्र समाज से जुड़े हैं. छात्र आंदोलन कर रहे संगठन का कहना है कि उनका अभियान राजनीतिक नहीं है. हालांकि, सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने कहा है कि सायन लाहिड़ी बीजेपी, आरएसएस से सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं.

पुलिस ने भी सायन की राजनीतिक पहचान के बारे में भी संदेह जताया था. पुलिस ने दावा किया कि सायन एक राजनीतिक नेता के साथ सीक्रेट मीटिंग के लिए फाइव स्टार होटल में गए थे. सायन लाहिड़ी मकाउत (MAKAUT) से एमबीए कर रहे हैं. और जाधवपुर की श्री कॉलोनी के निवासी हैं. आशुतोष कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस की पढ़ाई की है. सयान ने किसी भी राजनीतिक विंग से जुड़ाव को लेकर इनकार किया है.

शुभांकर हलदारः नबन्ना अभियान से जुड़े
मंगलवार को हुए नबन्ना अभियान में एक और नाम उभरकर सामने आया था, शुभांकर हलदार. शुभांकर 'पश्चिमबंग छात्र समाज' संगठन से जुड़े हैं. ये एक नया और अनरजिस्टर्ड संगठन है. शुभांकर कल्याणी यूनिवर्सिटी के छात्र हैं. यहां से वह बी.एड कर रहे हैं और नबाद्वीप के रहने वाले हैं. 

पलाश घोषः  हावड़ा निवासी पलाश घोष नरसिंहा दत्त विश्वविद्यालय के छात्र हैं. वह यहां से बंगाली साहित्य में बीए (ऑनर्स) कर रहे हैं. पलाश पीड़िता डॉक्टर को न्याय दिलाने के लिए 'पश्चिम बंग छात्र समाज' से जुड़े हैं और उन्होंने भी किसी राजनीतिक संगठन से जुड़ाव होने से इनकार किया है.

बलराम बोस

बाबा बलराम बोसः नबन्ना प्रोटेस्ट में हुए वायरल
नबन्ना प्रोटेस्ट में जो सबसे बड़े प्रोटेस्ट बॉय बनकर उभरे हैं वह हैं बलराम बोस, जिनकी हाथ में तिरंगा लेकर वाटर कैनन का सामना करने की वीडियो काफी वायरल हो रही है. बलराम बोस कहते हैं, "यह आंदोलन छात्रों द्वारा आयोजित किया गया था लेकिन यह कहा गया था कि हर घर से एक व्यक्ति को इसमें भाग लेना चाहिए. मेरे घर में भी महिलाएं हैं. इसलिए हमें उनकी सुरक्षा के लिए चिंतित होना चाहिए. अगर समाज स्वस्थ और सुरक्षित रहेगा, तो महिलाएं सम्मानित होंगी.

जहां महिलाओं का सम्मान नहीं होता, वहां देवी-देवता नहीं रहते. जब मैंने आंदोलन में हिस्सा लिया, तो मेरा मानना था कि हमें अपनी आवाज नबन्ना (पश्चिम बंगाल सरकार का अस्थायी राज्य सचिवालय) तक पहुंचानी होगी." उन्होंने कहा मैं  एक सनातनी हूं, भगवान शिव का भक्त हूं... मैं नहीं चाहता कि कोई राजनीतिक पार्टी इस आंदोलन को प्रभावित या विचलित करे. हम सिर्फ न्याय चाहते हैं और कुछ नहीं."

आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व उपाधीक्षक अख्तर अली
इस पूरे मामले को शुरू से देखें तो विरोध का सबसे बड़ा चेहरा तो अख्तर अली बनकर उभरे हैं. वह आरजीकर मेडिकल कॉलेज के पूर्व उपाधीक्षक रहे हैं और उन्होंने ताबड़ तोड़ जिस तरह के खुलासे किए और आरजीकर अस्पताल का असली सच उजागर किया, उसके कारण ही डॉ. संदीप घोष शक के घेरे में आए, और तबसे ही लगातार मुश्किलों में फंसते दिख रहे हैं. 

अख्तर अली ने दावा किया था कि संदीप घोष लावारिस शवों को बेचने सहित कई अवैध गतिविधियों में शामिल थे. उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि घोष बांग्लादेश में बायोमेडिकल अपशिष्ट और मेडिकल उपकरणों की तस्करी में लगे हुए थे. अख्तर अली 2023 तक आरजी कर अस्पताल में ही नियुक्त थे. उन्होंने कहा कि राज्य सतर्कता आयोग के समक्ष इसको लेकर शिकायत भी की गई थी. लेकिन जांच में दोषी पाए जाने के बावजूद पूर्व प्रिंसिपल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई थी.

अख्तर अली ने दावा किया कि उन्होंने डॉ. संदीप घोष के खिलाफ राज्य स्वास्थ्य विभाग को एक जांच रिपोर्ट भी भेजी थी, लेकिन इसके बाद उनका आरजी कर अस्पताल से ट्रांसफर कर दिया गया था. उन्होंने कहा, 'जिस दिन मैंने जांच रिपोर्ट सौंपी, उसी दिन मेरा तबादला कर दिया गया. जांच समिति के अन्य दो सदस्यों का भी तबादला कर दिया गया. मैंने छात्रों को इस आदमी से बचाने के लिए जो कुछ भी कर सकता था वह किया, लेकिन मैं असफल रहा.'

सामने आया है कि डॉ. अख्तर अली ने अस्पताल के एक और ऑफिसर अफसर अली के खिलाफ भी साल 2023 में शिकायत दी थी. अफसर अली खान पर बाहरी लोगों को मेडिकल कचरा बेचने के आरोप लगाए थे. 

Article From: www.aajtak.in
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