संसद की कार्यवाही के दौरान एक आवाज आम है, वह बेल बजाए जाने की आवाज. किसी सदस्य की स्पीच जब उसे आवंटित समय से अधिक लंबी चलने लगती है तो ये गूंजती आवाज उसे इस बात का इशारा होती है कि समय पूरा हो चुका है और वह अपनी बात अब खत्म करे. कई बार तो ऐसा भी देखने को मिलता है जब एक सदस्य बोलता ही रहता है कि पीठासीन अगले वक्ता को बोलने के लिए कह देते हैं लेकिन संसद के चालू सत्र के पांचवे दिन उच्च सदन राज्यसभा में एक अलग ही नजारा देखने को मिला.
राज्यसभा में वक्ताओं का टोटा नजर आया और अपनी स्पीच पूरी कर चुके वक्ता से पीठासीन ने कहा- अपनी बात पूरी कहें. वक्ता चौंके, फिर पीठासीन ने दोहराया- अपनी बात पूरी कहें, और भी कुछ कहना चाहें तो. हुआ ये कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के महाराष्ट्र से राज्यसभा सांसद डॉक्टर अनिल सुखदेवराव बोंडे सदन में अपनी बात रख रहे थे. बीजेपी सांसद ने अपनी बात पूरी करने के बाद जैसे ही कहा- अपने शब्दों को विराम देता हूं, जय हिंद जय भारत. आसन से घनश्याम तिवाड़ी ने कहा- अपनी बात पूरी कहें. अनिल बोंडे को जब समझ नहीं आया तब पीठासीन ने फिर दोहराया- अपनी बात पूरी कहें, और भी कुछ कहना चाहें तो.
पीठासीन के इतना कहने के बाद बीजेपी सांसद ने फिर से बोलना शुरू किया. हालांकि, जल्द ही बीजेपी सांसद अनिल सुखदेवराव बोंडे ने कहा कि वह अपनी बात अब पूरी करना चाहते हैं. जब उन्होंने कहा- सम ऑफ करना चाहता हूं, तब तक आसन पर आ चुके सभापति जगदीप धनखड़ भी हंस पड़े. अनिल के ठीक पहले बिहार के बीजेपी सांसद भीम सिंह अपनी बात रख रहे थे. तब आसन पर उपसभापति हरिवंश थे. हरिवंश ने भीम सिंह को टोका और कहा कि आपका समय पूरा हो गया है, अपनी बात पूरी करिए. भीम सिंह ने इस पर कहा- समय पूरा हो गया है तो मैं अपनी बात भी पूरी कर दे रहा हूं. भीम सिंह ने वहीं अपनी बात समाप्त कर दी.
कुछ ऐसा ही नजारा मिलिंद देवड़ा की स्पीच के दौरान भी देखने को मिला. मिलिंद देवड़ा ने अपने संबोधन के दौरान ये बोला- मैं अपना भाषण समाप्त करने के पहले, तब तक देवड़ा की नजर टाइम पर पड़ी. उन्होंने कहा- सॉरी सर मैं पहले ही 22 मिनट ले चुका हूं. इस पर पीठासीन सभापति जगदीप धनखड़ ने उनसे अपना भाषण जारी रखने के लिए कहा और बोले- ये मेडेन स्पीच है. फिर मिलिंद देवड़ा ने अपना भाषण पूरा किया.
क्यों हो गई समय की अधिकता
दरअसल विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा से वॉकआउट कर दिया है. बीजेपी सांसद डॉक्टर सुधांशु त्रिवेदी ने विपक्ष के हंगामे के बीच राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा शुरू की. विपक्ष के हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी. सुधांशु त्रिवेदी की स्पीच के दौरान ही विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और अन्य विपक्षी नेता वेल में आ गए.
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सभापति ने इसे संसदीय इतिहास का सबसे दागी दिन बताया. मल्लिकार्जुन खड़गे ने सदन के बाहर इसे लेकर कहा कि सभापति ने अनदेखा किया. सभापति ने सदन की कार्यवाही शुरू होने पर खड़गे के बयान और आचरण को पीड़ादायक बताते हुए कहा कि जो कदम उठाने चाहिए, उठाए जा रहे हैं. हमारा ऑफिस एक्शन में है.
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विपक्षी सांसदों ने इसके बाद वॉकआउट कर दिया. विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, राजीव शुक्ला समेत विपक्ष के तमाम नेता जिन्हें राज्यसभा में बोलना था, उनके मौजूद नहीं होने से समय की अधिकता हो गई. गौरतलब है कि वक्ताओं की संख्या के आधार पर ही समय आवंटित किया जाता है कि किसे कितनी देर बोलने की इजाजत दी जाए. विपक्षी सांसदों के सदन में न होने से समय की अधिकता हो गई.