बहराइच जिले (bahraich) में आखिरी बचा हुआ अल्फा भेड़िया मृत पाया गया और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है. इससे पहले 10 सितंबर को महसी में पांचवा नरभक्षी भेड़िया पकड़ा गया था. छठे भेड़िये की मौत होने से भयभीत ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है.
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मृत पाया गया खूंखार भेड़िया.
उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले (bahraich) में आखिरी बचा हुआ अल्फा भेड़िया मृत पाया गया और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है. प्रशासन के मुताबिक अब भेड़ियों का आतंक नियंत्रित हो गया है. आखिरी बचा हुआ भेड़िया भी अब खत्म हो गया है. उम्मीद है कि अब भेड़ियों के आतंक पर काबू पा लिया जाएगा. सीएम ऑफिस से यह जानकारी दी गई है.
बता दें कि इससे पहले 10 सितंबर को महसी में पांचवा नरभक्षी भेड़िया पकड़ा गया था. छठे भेड़िये की मौत होने से भयभीत ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है. खूंखार भेड़ियों ने अब तक 9 मासूम और एक महिला समेत 10 लोगों को बना शिकार बना चुका था. वहीं, 50 से ज्यादा लोगों को इस भेड़िए ने घायल भी कर दिया था.
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कबसे शुरू हुआ भेड़ियों का आतंक?
बहराइच के औराही गांव से भेड़ियों के आतंक की शुरुआत हुई थी. यहां भेड़ियों ने पहला अटैक 7-7 साल के दो बच्चों पर किया था. फिरोज नाम के बच्चे पर करीब दो महीने पहले भेड़ियों के झुंड ने हमला कर दिया था. वो अपनी मां के साथ सोया था तभी रात करीब 12 बजे एक भेड़िया घर के बरामदे में घुसा और उसकी गर्दन दबोचकर भाग गया.
आज भी भेड़िए के नाम से ही सिहर जाता है बच्चा
इस दौरान उसकी मां दोनों पैर पकड़कर बच्चों को बचाने की कोशिश करती रही. भेड़िया बच्चे को करीब 200 मीटर दूर तक खेत में घसीटकर ले गया. जब उसकी मां ने शोर मचाया तो गांव के लोग जुटे और फिर वो भेड़िया बच्चे को गांव के पास खेत में छोड़कर भाग गया. लहू लुहान फिरोज को फिर परिवार और गांव के लोग अस्पताल ले गए, जहां 13 दिनों तक इलाज के बाद उसकी जान बची. उसके चेहरे, गर्दन, सिर, कान, पीठ और छाती पर भेड़िए के काटे हुए निशान आज भी मौजूद हैं और वह बच्चा भेड़िए के नाम से ही सिहर जाता है.