धौलपुर जिले में आज भी कई गांव ऐसे हैं, जहां आजादी के बाद भी बिजली नहीं पहुंची है. ग्रामीण कई बार विद्युत निगम और जनप्रतिनिधियों से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन अब तक उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ है. यहां रहने वाले ग्रामीणों ने कभी फ्रीज, पंखा या टीवी जैसे साधनों का उपयोग नहीं किया है.
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लैंप की रोशनी में पढ़ाने को मजबूर बच्चे
राजस्थान के धौलपुर जिले के कई गांव विकास की दौड़ में आज भी पिछड़े हुए हैं. जिले के कुदिन्ना ग्राम पंचायत के पछेड़ियापुरा, मगजीपुरा, सिंघर्रा, उटुआ पुरा, लेसपुरा, डाबर, और इनके साथ की ढाणियाें में आज भी बिजली नहीं आई है. यहां रहने वाले ग्रामीणों ने कई बार विद्युत निगम और जनप्रतिनिधियों से संपर्क किया, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई.
ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में भी आवेदन किया, लेकिन नतीजा वही रहा अंधेरा ही रहा. विद्युत निगम ने 9 लाख रुपये का डिमांड नोटिस भेजा है, जिसे ग्रामीण जमा नहीं कर सकते. इन गांवों के बच्चे आज भी दीपक और लैंप की रोशनी में पढ़ाई करते हैं और ग्रामीणों ने कभी फ्रीज, पंखा या टीवी जैसे साधनों का उपयोग नहीं किया है.
आजादी के बाद से गांव में नहीं आई बिजली
गांव वालों का कहना है कि कई सरकारें आईं और चली गईं, लेकिन आज भी उनके गांवों तक बिजली नहीं पहुंची है. चुनाव के समय नेता वादे तो करते हैं, लेकिन चुनाव खत्म होते ही उन वादों को भूल जाते हैं.
बिजली विभाग ने ग्रामीणों से मांगे 9 लाख रुपये
धौलपुर विद्युत निगम के अधीक्षण अभियंता राजेश वर्मा ने कहा कि वह इन गांवों की समीक्षा कराकर जांच कराएंगे और सरकार की योजनाओं के तहत बिजली पहुंचाने का प्रयास करेंगे. 9 लाख रुपये के डिमांड नोटिस के बारे में उनका कहना था कि राशि जमा होने के बाद ही कनेक्शन दिए जा सकते हैं.