अरविंद केजरीवाल, अनिल देशमुख और चिदंबरम... जमानत के बावजूद रिहा क्यों नहीं हुए ये नेता

4 months ago 16

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाले मामले में सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई है, लेकिन ईडी की ओर से उनकी गिरफ्तारी के मामले को सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच को सौंप दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका को बड़ी बेंच के पास भेज दिया है.

अब सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई करेगी. इस मामले में चीफ जस्टिस तीन जज नियुक्त करेंगे. केजरीवाल को तब तक अंतरिम जमानत दी गई है, जब तक मामला बड़ी बेंच के समक्ष लंबित रहेगा. इस वजह से फिलहाल केजरीवाल जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे. वह मौजूदा समय में सीबीआई की कस्टडी में हैं लेकिन उन्हें जमानत ईडी केस में मिली है. ऐसे में अभी वह जेल में ही रहेंगे.

25 जुलाई तक बढ़ी सीएम केजरीवाल की न्यायिक हिरासत
उधर, दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 25 जुलाई तक बढ़ा दी गई है. केजरीवाल की न्यायिक हिरासत सीबीआई केस में बढ़ाई गई है. शुक्रवार को कोर्ट ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मामले पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान अरविंद केजरीवाल कोर्ट में पेश हुए. बता दें कि शुक्रवार को ही केजरीवाल को शराब घोटाले में सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिली है. लेकिन ईडी की ओर से उनकी गिरफ्तारी के मामले को सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच को सौंप दिया.

बता दें कि सीबीआई ने 25 जून को, तिहाड़ जेल में सीबीआई से पूछताछ की थी, जहां वह ईडी की उत्पाद शुल्क नीति मामले की जांच से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में न्यायिक हिरासत में थे. 26 जून को, सीबीआई ने भ्रष्टाचार के मामले में केजरीवाल को "औपचारिक" गिरफ्तार कर लिया और उन्हें विशेष न्यायाधीश अमिताभ रावत की राउज़ एवेन्यू अदालत में पेश किया था. शुक्रवार को दिल्ली की राउज़ एवेन्यू अदालत ने उत्पाद शुल्क नीति घोटाले से संबंधित केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) मामले में केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 25 जुलाई तक बढ़ा दी.

इससे पहले, कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम और एनसीपी (शरद पवार) नेता अनिल देशमुख भी एक जांच एजेंसी से लंबित मामले के कारण जमानत मिलने के बावजूद जेल में रहे थे. पी.चिदंबरम 106 दिन बाद जेल से रिहा हुए जबकि अनिल देशमुख की रिहाई 13 महीने बाद हो सकी थी. 

पी चिदम्बरम का क्या था केस?
21 अगस्त 2019 को पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम को INX मीडिया भ्रष्टाचार मामले में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था. पूर्ववर्ती कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में वित्त मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान 2007 में विदेशों से 305 करोड़ रुपये प्राप्त करने के लिए आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी देने में अनियमितताओं के आरोपों का सामना करना पड़ा. सीबीआई ने आरोप लगाया था कि ये पैसा चिदंबरम के बेटे कार्ति द्वारा ट्रांसफर किया गया था. इसके अलावा कार्ति के हस्तक्षेप पर एफआईपीबी मंजूरी दी गई थी.

16 अक्टूबर 2019 को, ED ने INX मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हिरासत में पूछताछ के लिए चिदंबरम को गिरफ्तार किया, जो पहले से ही तिहाड़ जेल में थे. 58 दिन हिरासत में बिताने के बाद, 15 दिन की सीबीआई हिरासत और 53 दिन की न्यायिक हिरासत के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 22 अक्टूबर को सीबीआई द्वारा दर्ज मामले में जमानत दे दी थी. हालाँकि, वह जेल में ही रहे क्योंकि वह ईडी की हिरासत में थे. 21 अगस्त को गिरफ्तारी के बाद से 106 दिन जेल में बिताने के बाद 4 दिसंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें ईडी द्वारा दर्ज मामले में जमानत दे दी.

अनिल देशमुख को भी रहना पड़ा था जेल में
वही, अनिल देशमुख को पहली बार ईडी ने कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 2 नवंबर, 2021 को गिरफ्तार किया था. 11 मई 2021 को दर्ज किया गया ईडी का मनी लॉन्ड्रिंग मामला, 21 अप्रैल को सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एफआईआर पर आधारित था. ईडी भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का आरोप लगाते हुए सीबीआई द्वारा दायर एफआईआर के आधार पर देशमुख के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच कर रही थी. बाद में, सीबीआई ने उन्हें 6 अप्रैल 2022 को औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया और 12 जुलाई को उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया.

4 अक्टूबर 2022 को बॉम्बे हाई कोर्ट ने उन्हें ईडी मामले में जमानत दे दी, लेकिन वह सीबीआई मामले में आर्थर रोड जेल में ही रहे. उन्हें 12 दिसंबर 2022 को सीबीआई मामले में जमानत दे दी गई थी लेकिन आदेश पर दस दिनों के लिए रोक लगा दी गई थी, क्योंकि केंद्रीय एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के लिए समय मांगा था. 27 दिसंबर को बॉम्बे HC द्वारा रोक की अवधि बढ़ाने से इनकार करने के बाद, अंततः 13 महीने से अधिक समय तक जेल में रहने के बाद 28 दिसंबर को उन्हें रिहा कर दिया गया.

ईडी मामले बनाम सीबीआई मामले में जमानत
ईडी मामलों में जमानत देने के लिए कड़ी शर्तें मौजूद हैं, जबकि सीबीआई मामले में, अदालत जमानत देने में एक अलग दृष्टिकोण देखेगी. पी.चिदंबरम को जमानत देते समय, जस्टिस आर भानुमति, एएस बोपन्ना और हृषिकेश रॉय की सुप्रीम कोर्ट बेंच ने कहा कि चिदंबरम जमानत देने के लिए ट्रिपल टेस्ट से संतुष्ट करते हैं. उनके भागने का जोखिम नहीं, सबूतों के साथ छेड़छाड़ की कोई संभावना नहीं, और गवाहों को प्रभावित करने की कोई आशंका नहीं है.

पीएमएलए की धारा 45 के अनुसार, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में किसी आरोपी को जमानत तभी दी जा सकती है, जब दो शर्तें पूरी हों, प्रथम दृष्टया तो ये कि आरोपी ने अपराध नहीं किया है और उसके जमानत पर रहते हुए अपराध करने की कोई संभावना नहीं है. ईडी मामले में जमानत पाना सीबीआई मामले में जमानत पाने की तुलना में बहुत चुनौतीपूर्ण हो सकता है.

Article From: www.aajtak.in
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