ट्रंप ने कहा कि 75 से ज्यादा देशों ने बातचीत की और घोषित टैरिफ के खिलाफ कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की है. ऐसे में इन देशों पर सिर्फ 10 प्रतिशत का काफी कम पारस्परिक टैरिफ लागू रहेगा. अमेरिका का कहना है कि भारत, जापान और दक्षिण कोरिया से नेगोशिएशन को लेकर बातचीत हो रही है, ये इस रेस में सबसे आगे हैं.
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने बुधवार को चीन को छोड़कर सभी देशों के लिए 2 अप्रैल को घोषित 'छूट वाले' पारस्परिक शुल्क (Reciprocal Tariff) पर 90 दिनों की रोक की घोषणा की. जबकि ट्रंप ने चीन पर टैरिफ को पहले 104% से बढ़ाकर 125% अतिरिक्त टैरिफ का ऐलान कर दिया है. अब चीन पर कुल 145 फीसदी टैरिफ लग चुका है. आइए जानते हैं डोनाल्ड ट्रंप ने भारत समेत सभी देशों को 90 दिन की क्यों छूट दी और चीन पर 145 प्रतिशत टैरिफ का ऐलान क्यों किया?
ट्रंप ने कहा कि 75 से ज्यादा देशों ने बातचीत की और घोषित टैरिफ के खिलाफ कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की है. ऐसे में इन देशों पर सिर्फ 10 प्रतिशत का काफी कम पारस्परिक टैरिफ लागू रहेगा. अमेरिका का कहना है कि भारत, जापान और दक्षिण कोरिया से नेगोशिएशन को लेकर बातचीत हो रही है, ये इस रेस में सबसे आगे हैं.
सभी देशों को 90 दिनों की क्यों मिली छूट?
- शेयर बाजार में भारी गिरावट: पिछले कुछ दिनों से डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिकी शेयर बाजार (US Stock Market) में भारी बिकवाली के बाद रिपब्लिकन और बिजनेस एग्जीक्यूटिव्स से दबाव का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने बड़े ट्रेड वॉर की आशंका को देखते हुए टैरिफ को रोकने पर जोर दिया. निवेशकों ने कहा कि घोषित टैरिफ वैश्विक बाजार में मंदी ला सकते हैं और वैश्विक मंदी के आने की चिंता बढ़ा सकते हैं.
- बॉन्ड मार्केट में तेज बिकवाली: ट्रंप के इस कदम के पीछे एक और कारण अमेरिकी सरकारी बॉन्ड बाजारों में भारी बिकवाली है. अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट और व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने बॉन्ड बाजारों में बढ़ती बिकवाली की चिंता जताई. ट्रंप ने कहा, 'बॉन्ड मार्केट बहुत पेचीदा है, मैं इसे देख रहा था. बॉन्ड मार्केट अभी खूबसूरत है. लेकिन हां, मैंने कल रात देखा कि लोग थोड़े बेचैन हो रहे थे.
- चीन को अलग करने की राजनीति: एक्सिओस ने एक अधिकारी के हवाले से बताया कि राष्ट्रपति और उनके सलाहकार इस बात पर सहमत हुए कि अमेरिका पर जवाबी टैरिफ लगाने के चीन के फैसले से उन्हें मित्रता के प्रतीक के रूप में अन्य देशों पर टैरिफ वृद्धि को रोकने और चीन को अलग-थलग करने का अवसर मिला है.
भारत की क्या होगी रणनीति?
शुरुआती सौदे में आवश्यक और गैर-संवेदनशील उत्पादों को शामिल किए जाने की उम्मीद है. सरकार अमेरिका से आयातित कई वस्तुओं पर शुल्क में कटौती पर भी विचार कर रही है. इससे अमेरिका टैरिफ में कुछ कटौती कर सकता है. इसके अलावा, सरकार जल्द से जल्द यूरोपीय संघ और यूनाइटेड किंगडम के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने पर भी विचार कर रही है. घरेलू बाजारों की सुरक्षा के लिए भारत चीन जैसे देशों द्वारा डंपिंग को रोकने के लिए एक सख्त तैयारी कर रहा है. इससे चीन के आयतित समानों के रोक से गुणवत्ता में सुधार होगा.