NASA's Europa Clipper: 290 करोड़ km की दूरी... 6 साल की यात्रा, बृहस्पति ग्रह के चांद की ओर रवाना नासा का यान

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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने बृहस्पति ग्रह के चंद्रमा यूरोपा (Europa) की स्टडी के लिए यान लॉन्च कर दिया है. फ्लोरिडा के केप केनवरल स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर से यूरोपा क्लिपर (Europa Clipper) नाम का स्पेसक्राफ्ट SpaceX के फॉल्कन हैवी रॉकेट से लॉन्च किया गया. इस यान को यूरोपा तक पहुंचने में 2030 तक का समय लगेगा.

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यहां नीचे देखिए इस यात्रा का वीडियो

290 करोड़ km दूरी, साढ़े पांच साल की खतरनाक यात्रा

यूरोपा क्लिपर एक रोबोटिक सोलर पावर्ड यान है. यह बृहस्पति ग्रह की कक्षा यानी ऑर्बिट में 2030 में प्रवेश करेगा. इस दौरान यह 290 करोड़ किलोमीटर की यात्रा करेगा. इस यात्रा में उसे करीब साढ़े पांच साल लगेंगे. अगर सबकुछ सही रहा तो. इस लॉन्चिंग को पहले किया जाना था लेकिन Hurricane Milton की वजह से टाल दिया गया था. 

बृहस्पति ग्रह की ऑर्बिट में पहुंचने के बाद नासा का यान तीन साल में यूरोपा चंद्रमा के नजदीक से 49 बार गुजरेगा. इसकी सबसे नजदीकी यात्रा यूरोपा मून की सतह से 25 किलोमीटर ऊंचाई की होगी. यूरोपा क्लिपर को वहां पर धरती से 20 हजार गुना ज्यादा मैग्नेटिक फील्ड का सामना करना पड़ेगा. साथ ही भयानक रेडिशन का भी. 

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इस ताकतवर मैग्नेटिक फील्ड की वजह से सौर कण को बृहस्पति खींचता है. इसलिए रेडिशएन बहुत ज्यादा होता है. ऐसे में यूरोपा क्लिपर को खतरा भी है. यूरोपा क्लिपर में 2750 किलोग्राम ईंधन है. जो इसे बृहस्पति तक लेकर जाएगा. 

100 फीट लंबा, 58 फीट चौड़ा है यूरोपा क्लिपर यान

यूरोपा क्लिपर स्पेसक्राफ्ट को नासा ने बेहद बड़ा बनाया है. यह 100 फीट लंबा है. जब इसके सोलर पैनल और एंटीना खुल जाते हैं, तब इसकी चौड़ाई कुल मिलाकर 58 फीट होती है. तब यह एक बास्केटबॉल कोर्ट के आकार का हो जाता है. इसका वजन करीब 6000 किलोग्राम है. 

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बृहस्पति के पास 95 चंद्रमा, चौथे सबसे बड़े मून की स्टडी

बृहस्पति ग्रह के पास 95 चंद्रमा है. बर्फीला यूरोपा चौथा सबसे बड़ा चांद है. यह धरती के व्यास का एक चौथाई है. इसकी सतह पर नमकीन पानी का बर्फीला समंदर है. माना जाता है कि इस चंद्रमा पर पृथ्वी से दोगुना पानी है. यह उम्मीद भी लगाई जाती है कि यहां पर जीवन मौजूद हो सकता है. या पनप रहा हो. या कभी पहले रहा हो. 

यूरोपा का व्यास 3100 किलोमीटर है. पृथ्वी के बाद इस चंद्रमा पर जीवन का संकेत मिल सकता है. क्योंकि इसकी सह पर 15 से 25 किलोमीटर मोटी बर्फ की चादर है. जिसके नीचे 60 से 165 किलोमीटर गहरा समंदर है. इस समंदर में जीवन की उम्मीद है. यूरोपा क्लिपर हमारे सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह की यात्रा पर है. 

Article From: www.aajtak.in
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