झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय ने हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है. निदेशालय ने अपनी एसएलपी अर्जी में कहा है कि हाईकोर्ट का आदेश गैर-कानूनी है. केंद्रीय एजेंसी के कहने का मतलब है कि जमानत के लिए पीएमएलए एक्ट के प्रावधानों के खिलाफ है.
जमानत आदेश में हाईकोर्ट की टिप्पणियों पर भी ईडी ने आपत्ति जाहिर की है. मसलन, ईडी ने कहा कि हाईकोर्ट का यह कहना गलत है कि हेमंत सोरेन के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता. निदेशालय ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश में कई प्रक्रियागत चूक और अनदेखी है जिस पर शीघ्र सुनवाई की जरूरत है.
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जेल से रिहाई के बाद झारखंड के सीएम बने हेमंत सोरेन
हाईकोर्ट के आदेश पर हेमंत सोरेन को जमानत मिली थी. इसके बाद वह फिर से झारखंड के मुख्यमंत्री बन गए हैं. चंपई सोरेन की जगह उन्होंने राज्य की कमान संभाल ली है. इनके अलावा सोमवार को उन्होंने विधानसभा में विश्वास मत भी हासिल कर लिया. यहां उन्हें 45 विधायकों ने अपना समर्थन दिया है. इनके अलावा वह अपने मंत्रिमंडल का विस्तार भी कर चुके हैं. विधायकों को सोमवार को ही मंत्री पद की भी शपथ दिलाई गई.
ईडी ने फरवरी में हेमंत सोरेन को किया था अरेस्ट
झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कथित भूमि घोटाला मामले में झारखंड हाई कोर्ट ने बीते शुक्रवार को जमानत दी थी. जस्टिस रोंगोन मुखोपाध्याय की अदालत ने उन्हें नियमित जमानत दी. ईडी ने 31 जनवरी को सात घंटे से ज्यादा की पूछताछ करने के बाद हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया था. इसके बाद वह राजभवन गए और राज्य के शीर्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. उनके इस्तीफे के बाद चंपई सोरेन को सीएम बनाया गया था.