यूपी के हाथरस में 2 जुलाई को हुई भगदड़ में 123 लोगों के मारे जाने के बाद स्वयंभू संत नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा की प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने कहा है कि वो इस घटना के बाद से बहुत परेशान चल रहे हैं. लेकिन होनी को कोई नहीं टाल सकता. जो इस धरती पर आया है, उसे जाना ही है. भोले बाबा ने कहा, ''2 जुलाई को हुई घटना से परेशान हूं, लेकिन होनी को कौन टाल सकता है. जो आया है, उसे जाना ही है, भले ही आगे पीछे हो.''
भोले बाबा ने अपने वकील एसपी सिंह के उस दावे को सच बताया, जिसमें उन्होंने कहा था कि सत्संग में जहरीले स्प्रे का छिड़काव किया गया था. इस वजह से वहां भगदड़ मची और लोग मारे गए. बाबा ने कहा, ''प्रत्यक्षदर्शियों ने विषैले स्प्रे के बारे बताया है. वो सत्य है. कोई न कोई साजिश हुई है. लोग बदनाम करने में लगे हुए हैं. लेकिन हमें इस मामले की जांच कर रही एसआईटी पर भरोसा है.'' हाथरस में हुए हादसे के बाद से ही बाबा गायब चल रहे हैं.
इस मामले की जांच कर रही पुलिस अभी तक बाबा की लोकेशन तो ट्रेस नहीं कर पाई, लेकिन नारायण हरि के 'नए कांड' का खुलासा जरूर हो गया है. हादसे के बाद उसने बयान जारी करके भगदड़ में मारे गए भक्तों की मदद करने का ऐलान किया था. ये दावा किया था कि मारे गए भक्तों के परिजनों की पूरी जिम्मेदारी उठाएंगे. उनकी हर संभव मदद करेंगे. लेकिन पीड़ितों का कहना है कि न तो उनकी तरफ से कोई मिलने आया, ना किसी ने मदद की है.
अपने प्रवचनों की तरह एक बार फिर बाबा ने भक्तों को अपने मायाजाल में फंसा दिया. क्योंकि भगदड़ में जान गवाने वाले भक्तों के परिवार को अब तक बाबा की तरफ से भेजी जाने वाली मदद का इंतजार है. एक मृतक चंद्रप्रभा के परिजनों ने बताया कि बाबा की तरफ से किसी ने संपर्क नहीं किया है और ना ही कोई मदद की गई है. अलबत्ता सरकार की तरफ से भेजी गई मदद पहुंच गई. उनकी तरफ सो पीड़ित परिवारों को 2-2 लाख चेक मिल गया है.
17 साल की खुशबू घरवालों के साथ सतसंग में गई थी, लेकिन फिर जिंदा नहीं लौटी. घरवालों का आरोप है कि बाबा नारायण हरि की तरफ से झूठा दावा किया गया, क्योंकि अब तक मदद तो छोड़िए बाबा की संस्था की तरफ से कोई घर तक नहीं आया है. खुशबू के पिता राजकुमार ने बताया कि सरकार की तरफ से दो लाख रुपए आए हैं. बाबा की तरफ से कोई नहीं है. यही हाल मीरा और सुधा के घरवालों का है. पूरा परिवार भोले बाबा का सत्संग सुनने गया था.
उनके घरवालों का कहना है कि सरकार की तरफ से 2-2 लाख का चेक घर पहुंच गया, लेकिन बाबा नारायण हरि की ओर से कोई मदद नहीं मिली है. परिवार ने दो बेटियों को हमेशा-हमेशा के लिए खो दिया. मीरा और सुधा अब इस दुनिया में नहीं है. घरवालों उस घड़ी को कोस रहे हैं, जब सत्संग में जाने का फैसला लिया था. मृतक आशा देवी के परिजनों का दर्द भी यही है. बेटे का आरोप है बाबा तो बाबा, तमाम दलों के नेताओं ने भी मदद के नाम पर सब्जबाग दिखाया.
यूपी सरकार ने इस हादसे की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया है. उसकी शुरुआती जांच में ही कई सनसनीखेज खुलासे हुए हैं. इसके मुताबिक, इस भगदड़ की वजह कोई और नहीं, बल्कि खुद भोले बाबा और उसका एक ऐलान था. 2 जुलाई के दोपहर 1.30 बजे तक सब कुछ शांत था. 2 लाख से ज्यादा की भीड़ पूरी शांति और भक्ति भाव के साथ भोले बाबा का प्रवचन सुन रही थी. अमूमन बाबा सत्संग के दौरान डेढ़ दो घंटे तक प्रवचन देता है.
2 जुलाई की दोपहर उमस भरी बहुत तेज गर्मी थी. ऊपर से सत्संग स्थल पर जितने लोगों की क्षमता थी उससे तीन गुना ज्यादा भक्त इकट्ठा हो चुके थे. इन्हीं दो वजहों से भोले बाबा ने अपना प्रवचन छोटा कर दिया. दोपहर 12.30 बजे अपना प्रवचन शुरु किया था और ठीक 1.30 बजे यानि एक घंटे में ही प्रवचन समाप्त भी कर दिया. अब भी सब कुछ ठीक और शांत था. भक्त अपनी अपनी जगह पर ही बैठे थे. लेकिन प्रवचन समाप्त करने से ऐन पहले भोले बाबा भक्तों को ऐलानिया आदेश दिया कि अब वो उनके चरणों की धूल ले सकते हैं. भोले बाबा का बस इतना कहना था कि दो 2.5 लाख का हुजूम अचानक खड़ा हो गया.
अब हर चरण बाबा के चरणों की धूल की तरफ लपकने लगा और बस यहीं से हाल के वक्त की सबसे ख़ूनी भगदड़ शुरू हो गई. इसकी कहानी खुद उन लोगों ने बयां कि है, जो उस वक्त सत्संग स्थल पर मौजूद थे. इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज बृजेश कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में जांच कर रही तीन सदस्यीय कमेटी ने अपनी जांच की शुरुआत उन चश्मदीदों के बयान से की, जो भगदड़ के वक्त सत्संग में मौजूद थे. इस कमेटी में बृजेश कुमार श्रीवास्तव के अलावा रिटायर्ड आईएएस अफसर हेमंत राव और भावेश कुमार भी शामिल हैं. इस न्यायिक कमेटी को दो महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपनी है.