दिल्ली हाईकोर्ट ने सीएम केजरीवाल की जमानत और रिहाई पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट ने शुक्रवार शाम ईडी की अर्जी पर फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा कि केजरीवाल अभी जेल में ही रहेंगे. इस तरह ट्रायल कोर्ट की ओर से दी गई जमानत को हाईकोर्ट ने 24 घंटे के अंदर ही खारिज कर दिया. अब हाईकोर्ट में एक बार फिर बहस का दौर चलेगा और इस पर दो से तीन दिन में फैसला आ सकता है.
मनी लॉन्ड्रिंग में आरोपी हैं सीएम केजरीवाल
बता दें कि सीएम केजरीवाल को ईडी ने शराब घोटाला मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का आरोपी बनाया था. गुरुवार को ट्रायल कोर्ट में वैकेशन जज न्याय बिंदु ने दोनों पक्षों की दलील सुनते हुए सीएम केजरीवाल को जमानत दी थी और यह भी कहा था कि वह 1 लाख के मुचलके पर जमानत पर रिहा हो सकते हैं.
हाईकोर्ट ने शुक्रवार सुबह ही लगाया था जमानत पर स्टे
लेकिन शुक्रवार को सुबह ही ईडी ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में दलील दी. हाईकोर्ट में मामला जाते है कोर्ट ने सबसे पहले केजरीवाल की जमानत पर स्टे लगा दिया और फिर दिन भर जो बहस चली उसके आधार पर शुक्रवार शाम को भी स्टे ऑर्डर पर फैसला सुरक्षित रखा है. इस फैसले का असर ये होगा की सीएम केजरीवाल को अभी तिहाड़ से रिहाई नहीं मिल रही है कोर्ट अब इस विषय पर विस्तृत सुनवाई करेगी और फिर जमानत मिलने और न मिलने पर फैसला होगा. हाईकोर्ट ने अभी स्टे ऑर्डर बरकरार रखा है. ट्रायल कोर्ट के आदेश पर एक हफ्ते तक की रोक लगाई गई है.
निचली अदालत में नहीं दिया गया बहस के लिए समयः ईडी
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अरविंद केजरीवाल की जमानत के आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है जिस पर आज सुनवाई हुई. जस्टिस सुधीर कुमार जैन और रविंदर डुडेजा की अवकाश पीठ ने मामले की सुनवाई की.कोर्ट ने मामले की सुनवाई होने तक जमानत के आदेश को रोक दिया था. ईडी की तरफ से पेश वकील ने कहा था कि निचली अदालत में हमें इस मामले पर बहस करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया. इसके बाद कोर्ट में क्या-क्या हुआ, जानिए यहां...
ईडी की दलीलों पर नहीं दिया गया ध्यानः ASG
ASG राजू ने मगुंटा रेड्डी का बयान पढ़ते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट ने ईडी द्वारा की गई दलीलों पर ध्यान नहीं दिया. उन्होंने कहा, 'मैं हैरान हूं कि लिखित नोट जमा करने के बावजूद कोर्ट कह रहा है कि ईडी मामले की जांच नहीं कर पाया. निचली कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि ईडी प्रत्यक्ष सबूत देने में विफल रहा. हमने प्रत्यक्ष प्रमाण दिया है.'
जमानत के फैसले पर उठाए सवाल
ASG राजू ने दलील देते हुए कहा, 'निचली कोर्ट का आदेश चौंकाने वाला है हमारे पास शराब नीति मामले में उस आदमी का बयान है जिसने कहा है कि हमने 100 करोड रुपए दिए हैं लेकिन कोर्ट यह कह रही है यह प्रोसीड ऑफ क्राइम नही है. इस मामले में सेक्शन 45 PMLA पर ज्यादा बात ही नहीं सुनी गई. किस तरह इस मामले में सेक्शन 45 PMLA बनता है. ऐसे में किस तरह जमानत दी गयी है वो भी बिना दलील को सुने.'
कोर्ट ने कही ये बात
इस दलील पर बेंच ने कहा, 'तो आप दो-तीन दलीलें दे रहे हैं- आपकी बात नहीं सुनी गई और धारा 45 पीएमएलए पर ठीक से कार्रवाई नहीं की गई और हाईकोर्ट के निष्कर्षों पर विचार नहीं किया गया.' एएसजी राजू ने कहा, 'संवैधानिक कुर्सी पर बैठना जमानत का आधार है? इसका मतलब है कि हर मंत्री को जमानत मिलेगी. आप सीएम हैं, इसलिए आपको जमानत मिलेगी.'
हमें निचली अदालत ने ज़मानत के विरोध का मौका नहीं दियाः ईडी
ASG राजू ने कहा, 'लिखित प्रस्तुतियाँ दाखिल करने के लिए समय नहीं दिया गया यह बिल्कुल भी उचित नहीं है'. ईडी ने पीएमएलए की धारा 45 का हवाला दिया है. ASG ने कहा, 'इसमें ज़रूरी शर्त है कि कोर्ट ज़मानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए सरकारी वकील को अपनी दलील रखने का पूरा मौका देता है. पर इस केस में ऐसा नहीं हुआ. हमें निचली अदालत ने ज़मानत का विरोध करने का पूरा मौका नहीं दिया.ASG ने कहा कि केजरीवाल की तरफ से कभी भी असल मुद्दे नहीं उठाए गए, लेकिन जवाब में उन्होंने बिल्कुल नए मुद्दे उठाए. जवाब के बाद मुझे कोई मौका नहीं दिया गया.'
ED की दलील
एएसजी राजू ने कहा कि हमारा मामला काफी मजबूत है. उन्होंने सिंघवी की मौजूदगी का विरोध किया. ED ने अपनी एसएलपी में कहा है कि जांच के महत्वपूर्ण पड़ाव पर केजरीवाल को रिहा करने से जांच पर असर पड़ेगा क्योंकि केजरीवाल मुख्यमंत्री जैसे अहम पद पर हैं.
जमानत खारिज करने का आधार क्या? ASG ने दी यह दलील
एएसजी एसवी राजू ने कहा कि यह कैसा आदेश है? इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है. गवाहों के बयान में खुलासा हुआ है कि केजरीवाल ने कहा कि मुझे 100 करोड़ रुपये दो. यह अपराध की आय ही है. हमने 45 करोड़ का पता लगा लिया है. हमने दिखाया है कि गोवा चुनाव में पैसे का इस्तेमाल कैसे किया गया. फिर भी अदालत कहती है कि ED के पास दिखाने के लिए ठोस सबूत नहीं हैं. एएसजी एसवी राजू ने कहा कि एक न्यायाधीश जो स्वीकार करता है कि मैंने पूरे कागजात नहीं पढ़े हैं और मैं जमानत दे रहा हूं, इससे बड़ी विकृति नहीं हो सकती है, ज़मानत के आदेश को इसी आधार पर खारिज किया जा सकता है.
ASG राजू ने कहा कि हमारा केस यह है कि केजरीवाल दो मामलों में मनी लॉन्ड्रिंग के दोषी हैं.
क्या संवैधानिक पद पर बैठना जमानत का आधार?
ASG ने दलील दी कि, केजरीवाल परोक्ष रूप से उत्तरदायी है क्योंकि AAP पार्टी मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध की दोषी है. क्योंकि आम आदमी पार्टी ने अपराध की कमाई से प्राप्त धन का उपयोग अपने उम्मीदवारों और उनके कार्यक्रमों के लिए चुनाव प्रचार में किया. AAP पार्टी के मामलों के संचालन के लिए जिम्मेदार प्रत्येक व्यक्ति मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध का दोषी होगा. क्या संवैधानिक कुर्सी पर बैठना जमानत का आधार है? इसका मतलब है कि हर मंत्री को जमानत मिलेगी. आप सीएम हैं इसलिए आपको जमानत मिलेगी? इससे ज्यादा विकृत कुछ नहीं हो सकता.
इससे पहले ईडी के वकील ने आज ही हाईकोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की थी. ED की तरफ से ASG राजू और वकील जोएब हुसैन हाईकोर्ट मे मौजूद रहे. दिल्ली हाईकोर्ट में केजरीवाल की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मौजूद रहे.
अंतरिम जमानत में भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केजरीवाल आधिकारिक फाइलों पर दस्तखत नहीं करेंगे और सीएम सचिवालय नहीं जा सकते. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हे क्लीन चिट नहीं दी. हाईकोर्ट ने कहा कि आपकी दलील यह है कि आपके द्वारा उठाए गए सभी बिंदुओं पर लोवर कोर्ट द्वारा विचार नहीं किया गया.
इस पर एएसजी ने कहा कि बिल्कुल भी विचार नहीं किया गया. हमारे पास विनोद चौहान और केजरीवाल के बीच मोबाइल चैट हैं. चौहान ने 100 करोड़ की रिश्वत में से 25 करोड़ सागर पटेल नामक व्यक्ति को भेजे थे. ASG राजू ने कहा कि जमानत के क्रम में गवाहों बयानों की विश्वसनीयता पर विचार नहीं किया जा सकता है. जमानत के स्तर पर CRPC की धारा 161 के बयानों को भी देखा जाता है. अदालतों ने उन पर भरोसा किया और जमानत देने से इनकार किया है, इस मामले में गवाहों के बयान धारा 50 PMLA के तहत हैं जो अदालतों में स्वीकार्य हैं
इसके बाद, केजरीवाल की तरफ से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी.
क्या बोले केजरीवाल के वकील
केजरीवाल के वकील सिंघवी ने कहा कि जमानत की सुनवाई कैसी होनी चाहिए, इस बारे में गलत धारणा है. सिर्फ़ इसलिए कि इसमें राजनीतिक विरोध शामिल है और अगर जज द्वारा सभी मांगों का निपटारा नहीं किया जाता है, तो इससे ASG राजू को जज को बदनाम करने का अधिकार मिल जाता है. यह निंदनीय है, दुखद है. यह कभी भी सरकारी अधिकारी की ओर से नहीं होना चाहिए था.
'ईडी पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण'
ईडी पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण है. हर तर्क में पूरी तरह पक्षपात दिखता है. निचली अदालत मे यह मामला पांच घंटे तक चला.राजू ने करीब 3 घंटे 45 मिनट का समय लिया और फिर ट्रायल जज पर दोष लगाया गया क्योंकि उन्होंने हर कॉमा और फुल स्टॉप को दोहराया नहीं. ईडी की दलील है कि सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस स्वर्णकांता के फैसले को पलटा नहीं है, इसलिए जमानत कभी नहीं दी जा सकती. जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा और सुप्रीम कोर्ट जमानत नहीं, बल्कि गिरफ्तारी की वैधता पर सुनवाई कर रहे थे. जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा है कि मैं जमानत के बारे में नहीं बल्कि गिरफ्तारी के बारे में बात कर रही हूं. ईडी ने इस पहलू पर 20 मिनट से अधिक समय तक बहस की, लेकिन इस बिंदु का उल्लेख करना भूल गई. लेकिन जस्टिस स्वर्णकांता का फैसला अंतिम फैसला नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि आप जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट जा सकते हैं. मेरा प्रश्न यह है कि यदि जस्टिस शर्मा का निर्णय अंतिम था जैसा कि ईडी बता रही है तो सुप्रीम कोर्ट ने यह स्वतंत्रता क्यों दी? दूसरा, यदि अवैध गिरफ्तारी की कार्यवाही को जमानत के साथ जोडा जा सकता है जैसा कि ईडी कर रहा है तो सुप्रीम कोर्ट ने जमानत पर जाने और अवैध गिरफ्तारी पर आदेश सुरक्षित रखने के बीच अंतर क्यों किया?