दुनिया की सबसे बड़ी Technology कंपनी माइक्रोसॉफ्ट का Cloud Computing Server शुक्रवार को बंद हो गया, इससे Windows Software पर काम करने वाले दुनियाभर के तमाम IT सिस्टम, कंप्यूटर और लैपटॉप बंद हो गए और उनकी स्क्रीन BLUE हो गई. इस Blue Screen को Blue Screen of Death भी कहते हैं, जिसमें Browser सिस्टम के क्रैश होने के बाद कम्प्यूटर अपने आप Restart मोड में चला जाता है और ये घटना इतनी अप्रत्याशित होती है कि इसे मृत्यु के समान ही माना जाता है और दुनिया में यही हुआ है.
MICROSOFT के सर्वर ने दुनियाभर के IT सिस्टम और कम्प्यूटर्स की सांसें रोक दीं और इस सर्वर के ठप होने से अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, जापान और भारत समेत 40 से ज्यादा देशों में अफरा-तफरी मच गई और इसका सबसे ज्यादा असर हवाई सेवाओं पर देखने को मिला.
दुनियाभर में 2 हज़ार से ज्यादा फ्लाइट्स रद्द
सर्वर की ताकत क्या होती है, इसका अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इसके कारण दुनियाभर में 2 हज़ार से ज्यादा फ्लाइट्स रद्द हो गईं, जिनमें सबसे ज्यादा 500 उड़ानें अमेरिका में रद्द हुईं और भारत में 50 से ज्यादा फ्लाइट्स को रद्द किया गया. इसके अलावा कई देशों में रेल और मेट्रो की सेवाएं प्रभावित हो गईं. बैंकिंग सेवाएं ठप हो गईं. यहां तक कि जर्मनी और ब्रिटेन जैसे देशों में ATM से लेकर कई TV Channels भी बंद हो गए.
कई चैनल बंद हो गए
सिर्फ एक सर्वर के ठप होने से पेरिस Olympics के IT Operations बंद हो गए. ब्रिटेन का मशहूर न्यूज़ चैनल Sky News तीन घंटे ऑफ एयर रहा, जबकि ब्रिटेन में ही CBBC नाम का एक TV चैनल कुछ देर के लिए बंद हो गया. जर्मनी के अस्पतालों में Non-Emergency Operations रद्द कर दिए गए. पोलैंड में दुनिया के सबसे बड़े कंटेनर टर्मिनल की सेवाएं बाधित हो गईं.
ब्रिटेन में नेशनल रेल का IT सिस्टम ठप
ब्रिटेन में नेशनल रेल का IT सिस्टम बंद हो गया. यूरोप के कई देशों में टिकटिंग प्लेटफॉर्म की सेवाएं ठप हो गईं. न्यूजीलैंड की संसद का Computer Network क्रैश हो गया. ऑस्ट्रेलिया में बहुत सारे Supermarket के कम्प्यूटर और लैपटॉप बंद हो गए. कई देशों में ATM और Card Payments की सेवाएं बंद हो गईं. लंदन में स्टॉक एक्सचेंज की सेवाएं ठप हो गईं और भारत के हैदराबाद और बेंगलुरु शहर में भी कई बड़ी कम्पनियों में कामकाज ठप हो गया. इनमें भी इस संकट का सबसे ज्यादा असर हवाई सेवाओं पर हुआ.
भारत में कैसा रहा असर?
भारत में रेल सेवा पर इसका कोई असर नहीं हुआ है और बैंकिंग सेवाएं भी इससे ज्यादा प्रभावित नहीं हुई हैं और भारत के आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि भारत सरकार लगातार माइक्रोसॉफ्ट के संपर्क में है और इस मामले में सरकार की एक रिस्पॉन्स टीम जल्द ही नई टेक्नोलॉजी एडवाइजरी जारी करेगी, जो खास तौर पर उन प्राइवेट कम्पनियों के लिए होगी, जहां इस घटना से कामकाज ठप हो गया था और इनमें ज्यादातर कम्पनियां बेंगलुरु, हैदराबाद और गुरुग्राम की हैं.
माइक्रोसॉफ्ट के CEO बोले- इस समस्या को जल्द सुलझा लेंगे
माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला ने कहा कि क्राउडस्ट्राइक के एक अपडेट ने दुनियाभर के आईटी सिस्टम को प्रभावित किया है. उन्होंने कहा कि हमारी कंपनी इस मुद्दे से अवगत हैं और इसे सुलझाने के लिए क्राउडस्ट्राइक और पूरी इंडस्ट्री के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.
रूस और चीन इस संकट से कैसे बच गए?
हालांकि रूस और चीन की बहुत तारीफ हो रही है, क्योंकि इन दोनों देशों पर इस संकट का कोई असर नहीं हुआ है और जिस चीन से कोरोना वायरस फैला था, वो चीन टेक्नोलॉजी के कोरोना वायरस से बच गया है. रशिया और चीन दुनिया के दो ऐसे देश हैं, जो वर्ष 2002 में ही इस बात को समझ गए थे कि भविष्य में अगर वो तकनीकी के लिए अमेरिका की कम्पनियों पर निर्भर रहे, तो इससे उन्हें नुकसान होगा और वो दुनिया में उस भीड़ का हिस्सा बन जाएंगे, जहां कम्पनियां और व्यवस्थाएं तो उनकी होंगी, लेकिन टेक्नोल़ॉजी के लिए वो अमेरिका और यूरोप पर निर्भर होंगे और इसी खतरे को देखते हुए रशिया और चीन ने अपनी खुद की तकनीकी को विकसित किया और उसी का नतीजा है कि आज जब माइक्रोसॉफ्ट कंपनी का सर्वर ठप होने से दुनिया के कई देशों की अर्थव्यवस्था हिल गई, तब इस टेक्नोलॉजी वाले भूकम्प के झटके चीन और रशिया में ना के बराबर महसूस हुए.