भारतीय सेना ने हाल ही में करगिल विजय दिवस के 25वें साल के मौके पर Know Your Army प्रोग्राम रखा. करगिल हेलीपैड पर सेना के कई हथियार, मिसाइल और यंत्रों को प्रदर्शित किया गया. इसी दौरान वहां दिखाई पड़ा सरफेस टू एयर मिसाइल फॉर एश्योर्ड रीटैलिएशन यानी SAMAR एयर डिफेंस सिस्टम.
यह एयर डिफेंस सिस्टम लद्दाख में सीमा के नजदीक तैनात किया गया है. इस मिसाइल सिस्टम को पिछले साल दिसंबर में ही सेना में शामिल किया गया है. असल में समर एयर डिफेंस सिस्टम हवा से हवा में मार करने वाली पुरानी रूसी मिसाइलें R-73 और R-27 हैं.
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ये मिसाइलें एक्सपायर होने वाली थीं, तब भारतीय वायुसेना ने इन्हें मॉडिफाई करके एयर डिफेंस सिस्टम बना दिया. कुछ महीनों पहले ही पोखरण में हुए वायुशक्ति युद्धाभ्यास में इसकी मारक क्षमता का प्रदर्शन किया गया था. जिसका वीडियो यहां नीचे है.
आइए अब आपको इस हथियार की ताकत बताते हैं...
समर मिसाइल ट्रक से लॉन्च की जाती है. यह 2982 km/hr की स्पीड से किसी भी हवाई टारगेट को हिट कर सकती है. इस मिसाइल सिस्टम का संचालन वायुसेना की BRD यूनिट करती है. यह किसी भी तरह के हवाई टारगेट यानी हेलिकॉप्टर और फाइटर जेट्स को निशाना बना सकता है.
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समर-1 कम रेंज की मिसाइल
इसके लॉन्चर पर दो मिसाइलों को लगाने की व्यवस्था है. इस मिसाइल की रेंज 12 से 40 km है. समर एयर डिफेंस सिस्टम में दो तरह की मिसाइलें लगती हैं. SAMAR 1. बदलाव के बाद अब यह सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल बन गई है. इसका वजन 105 kg, लंबाई 9.7 फीट, व्यास 6.5 इंच और इसमें 7.4 kg का वॉरहेड लगता है.
समर-2 ज्यादा घातक और भारी
SAMAR 2 यानी हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल. ये 253 kg वजनी मिसाइल है. यह 13.4 फीट लंबी है. इसका व्यास 9.1 इंच है. इसमें पंखें लगे होते हैं. जिनका विंगस्पैन 30.4 इंच है. इसमें 39 kg का वॉरहेड लगा सकते हैं. जो ब्लास्ट फ्रैगमेंटेशन या कॉन्टीन्यूअस रॉड हो सकता है.
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दोनों को दागने के लॉन्चर भी अलग
इन मिसाइलों को दागने वाले लॉन्च ट्रक भी अलग-अलग हैं. समर-1 के लिए अशोक लीलैंड स्टैलियन 4x4 ट्रक लगता है. जबकि समर-2 मिसाइलों को दागने के लिए बीईएमएल टाट्रा टी815 8x8 ट्रक लगता है. इसमें लगने वाली मिसाइलें असल में रूस की हैं. जिन्हें भारत में बदला गया है. ये मिसाइलें हैं- Vympel R-73 और R-27 मिसाइलें. भारतीय वायुसेना के पास हजारों की संख्या में Vympel R-73E मिसाइलें हैं.