राहुल गांधी का गुजरात जीत का दावा क्या बीजेपी की '400 पार' वाली ट्रिक है?

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लोकसभा चुनाव के बाद अब झारखंड, महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे राज्यों में चुनाव होने हैं लेकिन कांग्रेस और राहुल गांधी का फोकस गुजरात पर है. राहुल संसद के भीतर और संसद के बाहर लगातार ये दावे कर रहे हैं कि हम गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को हराएंगे. धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान लोकसभा में विपक्ष के नेता के रूप में अपनी मेडेन स्पीच में राहुल ने कहा कि हम इस बार बीजेपी को गुजरात में भी हराने जा रहे हैं. संसद सत्र की समाप्ति के बाद राहुल गुजरात दौरे पर पहुंचे और वहां भी अपनी यही बात दोहराई.

राहुल गांधी के इस दावे पर बीजेपी की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और मोदी कैबिनेट में मंत्री चिराग पासवान की प्रतिक्रिया आई है. चिराग ने कहा है कि आगामी चुनाव के परिणाम दिखा देंगे कि एनडीए कितना मजबूत है. इसके बाद उनका घमंड भी टूट जाएगा. राहुल के बयान, चिराग की प्रतिक्रिया के बाद बात गुजरात के चुनावी अतीत और लोकसभा चुनाव के नतीजों की भी हो रही है. गुजरात में हाल के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस महज एक सीट जीत सकी. विधानसभा सीटों के लिहाज से देखें तो पार्टी को 20 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त मिली थी. ऐसे में अब चर्चा इसे लेकर हो रही है कि क्या राहुल गांधी का ये दावा पीएम मोदी 400 पार के नारे जैसी ट्रिक है या वाकई इस दावे में दम भी है?

राहुल गांधी का ये दावा पीएम मोदी जैसी ट्रिक?

हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी और बीजेपी ने 'अबकी बार, 400 पार' का नारा दिया था. चुनाव नतीजों में बीजेपी 240 और एनडीए 293 सीटें ही जीत सका. एनडीए की सीटों का आंकड़ा बहुमत के लिए जरूरी 272 के जादुई आंकड़े से कहीं अधिक है. एनडीए ने बहुमत के साथ सरकार बना ली लेकिन 370 सीटें जीतने का टार्गेट सेट कर चुनाव मैदान में उतरी बीजेपी दो चुनाव बाद 272 के जादुई आंकड़े से पहले रुक गई. चुनाव नतीजों के बाद संसद के पहले सत्र में ही राहुल गांधी ने गुजरात में बीजेपी को हराने के दावे का दांव चल दिया.

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राहुल गांधी का ये दांव पीएम मोदी की 400 पार वाली ट्रिक जैसी ही कही जा रही है. लोकसभा चुनाव के दौरान बहस पीएम मोदी और बीजेपी के इस नारे के इर्दगिर्द ही होती रही. लोकसभा चुनाव के दौरान विमर्श का केंद्र यही रहा कि क्या बीजेपी 400 से अधिक सीटें जीत पाएगी या नहीं और क्या कांग्रेस सौ के आंकड़े तक भी पहुंच पाएगी या नहीं. अब राहुल गांधी ने गुजरात में जीत का दावा किया है तो इसके पीछे अभी से ही गुजरात चुनाव के लिए विमर्श के केंद्र में इस बात को लाना हो सकता है कि क्या ग्रैंड ओल्ड पार्टी 1998 से ही सूबे की सत्ता पर काबिज बीजेपी को हरा सरकार बना पाएगी?

विपक्षी को उसके मजबूत गढ़ में उलझाने की रणनीति

बीजेपी की सियासत को शीर्ष तक पहुंचाने में जिस राम मंदिर, अयोध्या मुद्दे का बड़ा रोल रहा है. वही अयोध्या जिस फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र में है, वह सीट पार्टी हार गई. चुनाव नतीजों के बाद बीजेपी के शीर्ष नेता भगवान राम और आयोध्या का जिक्र करने से जहां बच रहे हैं, वहीं विपक्ष इसे लेकर आक्रामक है.

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विपक्ष को शायद लग रहा है कि पिछले 10 साल से अपने दम पर पूर्ण बहुत के साथ एनडीए सरकार की अगुवाई करती आई बीजेपी इस समय उतनी मजबूत मजबूत स्थिति में नहीं है जितनी 2014 से 2024 के चुनाव तक रही है. पीएम मोदी के राष्ट्रीय राजनीति में उभार के बाद बीजेपी के चुनाव अभियानों में गुजरात और गुजरात मॉडल की बात प्रमुखता से होती रही है. कांग्रेस नेताओं को शायद ये लग रहा है कि पार्टी अगर 2027  के चुनाव में 29 साल लंबे शासन की एंटी इनकम्बेंसी को भुनाने में सफल रहती है, बीजेपी को हरा देती है तो इसका पूरे देश में अलग संदेश जाएगा.

जीते तो जय-जय, हारे तो भी योद्धा

राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी ने कहा कि गुजरात में जीत के दावे की राजनीति राहुल गांधी के लिए दसो उंगलियां घी में होने जैसी बात है. पीएम मोदी के गृह राज्य में कांग्रेस जीती तो विपक्ष के नेता का कद और मजबूत होगा, जीत का श्रेय उनके हिस्से और तीन साल पहले किए गए इस दावे को जाएगा. कांग्रेस अगर हारी तो भी पार्टी की सीटें 2022 की 17 से कम होंगी, इसकी संभावनाएं कम ही हैं. सीटें बढ़ीं तो वह भी कांग्रेस और राहुल गांधी के लिए पॉजिटिव मैसेज ही होगा. गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव नतीजों में कांग्रेस को सूबे के 20 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त मिली थी.

Article From: www.aajtak.in
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