महाराष्ट्र एमएलसी चुनाव में शरद पवार ने कैसे 'No Risk, More Gain' का दांव चला है?

4 months ago 12

महाराष्ट्र विधान परिषद की 11 सीटों के लिए हो रहे चुनाव में 12 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई वाले गठबंधन ने आठ सीटों पर जीत सुनिश्चित करने के लिए जरूरी नंबर होने के बावजूद नौवां उम्मीदवार उतार दिया है तो वहीं विपक्षी गठबंधन के पास करीब-करीब उतना ही संख्याबल है जितना जीत के लिए चाहिए होगा. बीजेपी की ओर से महाराष्ट्र सरकार के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस तो विपक्षी गठबंधन की ओर से कमान शरद पवार और उद्धव ठाकरे ने संभाल रखी है.

विपक्षी गठबंधन की ओर से तीन उम्मीदवार मैदान में हैं. सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस और शिवसेना, दोनों ने एक-एक उम्मीदवार उतारा है, लेकिन जो शरद पवार फ्रंट पर नजर आ रहे हैं, उनकी पार्टी से कोई मैदान में नहीं है. शरद पवार की अगुवाई वाली एनसीपी (एसपी) इस चुनाव में भारतीय शेतकारी कामगार पार्टी (पीडब्ल्यूपी) के उम्मीदवार जयंत पाटिल का समर्थन कर रही है. एमएलसी चुनाव में एक विधायक वाली पीडब्ल्यूपी के उम्मीदवार के समर्थन के पीछे शरद पवार की रणनीति क्या है?

पवार का 'नो रिस्क, मोर गेन' वाला दांव

शरद पवार की पार्टी के इस दांव को 'नो रिस्क, मोर गेन' वाला दांव भी बताया जा रहा है. राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी ने कहा कि महा विकास अघाड़ी का संख्याबल 69 है, जितने की जरूरत तीन उम्मीदवारों की जीत के लिए होगी. इन 69 में कांग्रेस के कुछ ऐसे विधायक भी शामिल हैं जिनके दूसरे गठबंधन के संपर्क में होने के कयास लगते रहे हैं. हाफ चांस की स्थिति में शरद पवार ने इस दांव से एक तो यह संदेश दे दिया कि गठबंधन में छोटी से छोटी पार्टी का भी पूरा सम्मान है. पीडब्ल्यूपी उम्मीदवार के जीतने पर भी क्रेडिट पवार को ही जाएगी, हार पर भी ऐसी चर्चा नहीं होगी कि पवार या उनकी पार्टी हार गई. दूसरा ये कि अगर पवार की पार्टी कैंडिडेट उतारती और उनका कोई विधायक क्रॉस वोटिंग कर जाता तो उनकी अधिक किरकिरी होती. पवार के इस दांव से हार हो या जीत, एनसीपी या एमवीए को कोई नुकसान नहीं होना.

लोकसभा चुनाव का टेंपो बनाए रखने की रणनीति

अजित पवार के हाथों पार्टी का नाम और निशान गंवा चुके शरद पवार और उनकी सियासत को लोकसभा चुनाव के नतीजों से संजीवनी मिली है. पवार की रणनीति अब लोकसभा चुनाव नतीजों से कार्यकर्ताओं में आए उत्साह को विधानसभा चुनाव तक बनाए रखने की होगी. विधान परिषद चुनाव में एक तरफ जहां अजित के उम्मीदवारों की जीत तय बताई जा रही है, शरद पवार की पार्टी का उम्मीदवार अगर फंसता तो कार्यकर्ताओं के मनोबल पर नकारात्मक असर पड़ने का खतरा था.  

महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष की स्ट्रेंथ कितनी?

महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) की स्ट्रेंथ 69 है. कांग्रेस 37 विधायकों के साथ सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है तो वहीं उद्धव ठाकरे की पार्टी के 16 और एनसीपी के 12 विधायक हैं. इन तीन दलों के 65 विधायक हैं. समाजवादी पार्टी (सपा) के दो, सीपीएम और पीडब्ल्यूपी के एक-एक विधायकों को मिलाकर ये संख्या 69 पहुंचती है. इनके अलावा दो विधायक एआईएमआईएम के भी हैं लेकिन पार्टी ने विधान परिषद चुनाव को लेकर अपना स्टैंड क्लियर नहीं किया. एआईएमआईएम को हटाकर देखें तो विपक्षी गठबंधन का संख्याबल उतना ही है जितने की जरूरत उसे तीन सीटें जीतने के लिए है.

वहीं, सत्ताधारी महायुति के पास 203 विधायक हैं. महायुति को अपने नौवें उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए और चार विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी. कांग्रेस की बैठक से तीन विधायकों की गैरमौजूदगी ने भी विपक्षी गठबंधन की चिंता बढ़ा दी है. हो सकता है कि शरद पवार ने जोड़तोड़ की सियासत के आसार देखकर भी उम्मीदवार उतारने से परहेज किया हो जिससे कांग्रेस और शिवसेना उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित की जा सके.

Article From: www.aajtak.in
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