अब तक जिन राज्यों में ये नियम लागू है वहां ज्यादातर में विपक्ष की सरकार है. इनमें पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, पंजाब, केरल और तेलंगाना जैसे राज्य शामिल हैं. विपक्षी दल लगातार आरोप लगाते रहे हैं कि केंद्र सरकार विपक्षी दलों के कामकाज को प्रभावित करने के लिए जांच एजेंसियों के डर का इस्तेमाल कर रही है.
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मोहन यादव- फाइल फोटो
मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है.राज्य में अब CBI समेत तमाम केंद्रीय जांच एजेंसियों को किसी मामले की जांच से पहले राज्य सरकार से लिखित अनुमति लेनी होगी.मंजूरी मिलने के बाद ही जांच एजेंसियां एक्शन ले पाएंगी. मध्य प्रदेश के गृह विभाग ने इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी किया है. नोटिफिकेशन के अनुसार, एक जुलाई जुलाई से ही यह नई व्यवस्था प्रभावी मानी जाएगी. हालांकि, इसके संबंध में नोटिफिकेशन 16 जुलाई को जारी किया गया है.
गृह विभाग के सचिव गौरव राजपूत ने इस बाबत जानकारी दी है. राज्य सरकार के इस फैसले का मतलब है कि अब मध्य प्रदेश में किसी भी निजी व्यक्ति, सरकारी अधिकारियों या अन्य संस्थाओं की जांच करने से पहले सीबीआई को राज्य सरकार से स्पष्ट अनुमति प्राप्त करने की आवश्यकता होगी. दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (डीएसपीई) अधिनियम, 1946 की धारा 6 के अनुसार, सीबीआई को जांच करने के लिए संबंधित राज्य सरकारों से सहमति की आवश्यकता होती है.
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इन राज्यों में भी सीबीआई की मंजूरी का है नियम
मध्य प्रदेश से पहले भी कई राज्यों ने अपने यहां इस तरह की व्यवस्था लागू की है. हालांकि, अब तक जिन राज्यों में ये नियम लागू वहां ज्यादातर में विपक्ष की सरकार है. इनमें पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, पंजाब, केरल और तेलंगाना जैसे राज्य शामिल हैं. विपक्षी दल लगातार आरोप लगाते रहे हैं कि केंद्र सरकार विपक्षी दलों के कामकाज को प्रभावित करने के लिए जांच एजेंसियों के डर का इस्तेमाल कर रही है. लोकसभा चुनाव के समय भी विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाया था. इस मामले को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की है. सुप्रीम कोर्ट ने भी सुनवाई के दौरान कहा था कि सीबीआई को जांच के लिए राज्य सरकार की सहमति जरूरी है.