भारत में ऑनलाइन सट्टेबाजी एप्स के स्ट्रेंज वर्ल्ड में आखिर क्या छिपा है?

4 months ago 15

दिल्ली की हवा की गुणवत्ता से लेकर नासा के अगले अंतरिक्ष मिशन की टेस्टिंग तक या फिर चैटजीपीटी (Chat GPT) के अगले वर्जन की घोषणा हो, इन सब पर नए जमाने के माइक्रो-बेटिंग प्लेटफॉर्म पर दांव लगाने के विकल्प मौजूद हैं. इसे यूज करने वालों के लिए किसी भी घटनाओं पर केवल 1 रुपए जितना कम दांव लगाने का भी विकल्प मौजूद है. यह एक ऐसा बाजार है जो पारंपरिक क्षेत्रों, जैसे खेलों की लोकप्रियता के सहारे पनपा था. लेकिन अब इसका विस्तार एक असंभावित जगह तक हो गया है.

मशरूम की तरह उपज रहे इन प्लेटफॉर्म्स पर यूजर्स के लिए न्यूज सहित कई सामान्य सी घटनाओं पर सबसे छोटा से छोटा दांव लगाने के ऑप्शन मौजूद हैं. 

इंडिया टुडे की OSINT टीम ने यहां लगाए जाने वाले कई दांव को करीब से देखा और इनकी गतिविधियों को समझने की कोशिश की, जहां इसके खेल के दायरे से बाहर फलने-फूलने के संकेत मिले. हालांकि, ये तर्क अक्सर कानूनी कवच प्रदान करने के लिए दिया जाता है. ये प्लेटफॉर्म अपने कैजुअल वातावरण के कारण नए यूजर्स को अपनी ओर खींचने में सफल होते हैं, लेकिन इन मामलों के जानकार यहां के व्यवसाय और उसकी वैधता पर सवाल उठाते हैं. 

थिंक चेंज फोरम की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में ऑनलाइन सट्टेबाजी का बाजार अगले कुछ वर्षों में 8.59% की वार्षिक दर से बढ़ने का अनुमान है. इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) जैसे प्रमुख टूर्नामेंट अक्सर इन नंबरों को बल प्रदान करते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, तमाम प्रतिबंधों के बावजूद भारत के सट्टेबाजी और ऑनलाइन जुआ बाजार ने उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की है. जिसमें क्रिकेट से जुड़ी सट्टेबाजी प्रमुखता से शामिल है. इतना ही नहीं क्रिकेट न सिर्फ इस मार्केट को लीड कर रहा है, बल्कि इसके लगातार विस्तार का कारण भी बनकर सामने आ रहा है. 

इवेंट्स और बेटिंग ऐप्स

ओपिनियन-आधारित ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म प्रोबो के 2 करोड़ से अधिक यूजर्स हैं. यूट्यूब वीडियो एनालिटिक्स से लेकर मौसम की भविष्यवाणी करने तक, गुड़गांव स्थित यह फर्म यूजर्स को प्रति इवेंट रु. 25,000 की अधिकतम सीमा के साथ पैसा लगाने की अनुमति देती है. यूजर्स यहां कम से कम रु. 1 का भी दांव लगा सकते हैं. यहां इस बात पर भी दांव खेला जा सकता है कि देश की राजधानी में वायु गुणवत्ता 'मॉडरेट' रहेगी या ' सैटिसफैक्ट्री'.

ऐप यूजर्स को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए अच्छे स्लोगन्स जैसे - 'क्रिकेट मैचों पर भविष्यवाणी करें और रोजाना जीतें' और 'प्रोबो ऐप डाउनलोड करें और आज ही कमाई शुरू करें' - के अलावा गूगल पर पेड प्रचार का भी सहारा लेता है. सट्टेबाजी से जुड़े अन्य एप्लिकेशन भी ओलंपिक गेम्स पेरिस 2024 जैसे आयोजनों पर दांव लगाने को लेकर प्रचार करने में जुटे हैं. यहां चीन के पदक जीतने की संभावना पर कई तरह के विकल्प प्रदान किए जाते हैं. उदाहरण के लिए, वे 'चीन ओलंपिक में 90 पदक जीतेगा' जैसे दांव का विज्ञापन कर रहे हैं. इसके बाद हां या ना के विकल्प में से कोई एक चुनने और अपना दांव लगाने ऑप्शन मौजूद होता है.

ट्रेडएक्स, वेटार्क और मैनीफोल्ड जैसे कुछ और इवेंट-आधारित सट्टेबाजी ऐप हैं जो आगामी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव, तकनीकी भविष्यवाणियों और सामान्य घटनाओं पर सट्टा लगाने के विकल्प दे रहे हैं. उदाहरण के लिए, यूजर्स अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2024 के विजेता को लेकर अपना दांव लगा सकते हैं. इसके अलावा यहां इस पर भी सट्टा लगाया जा सकता है कि GPT-5 2025 से पहले जारी कर दिया जाएगा या फिर नहीं. एक सट्टेबाजी विकल्प में यह पूछा गया कि क्या 2028 में AI कम से कम गर्भपात (abortion) जितना बड़ा राजनीतिक मुद्दा होगा या नहीं. 

इस तरह के इवेंट-आधारित सट्टेबाजी ऐप कई तरह की चिंताएं पैदा करते हैं. इस तरह के ऐप यूजर्स के लिए बड़े वित्तीय नुकसान का कारण बन सकते हैं. कर्णिका सेठ, साइबर कानून विशेषज्ञ और सेठ एसोसिएट्स की संस्थापक सदस्य ने इंडिया टुडे को बताया कि भारत में पब्लिक गैंबलिंग एक्ट, 1867 के तहत इवेंट-आधारित सट्टेबाजी/जुआ सख्त रूप से मना है. इसके अलावा ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप का विज्ञापन भी अवैध है और कानूनी कार्रवाई के योग्य है.

उन्होंने कहा, 'इस संबंध में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम और भ्रामक विज्ञापनों के प्रचार-प्रसार के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं. साथ ही, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भी जुए और सट्टेबाजी के विज्ञापनों को बढ़ावा देने से बचने के लिए बिचौलियों को चेतावनी देते हुए सलाह जारी की है. केवल कौशल के खेल की अनुमति है और यदि कोई खेल पूरी तरह से मौके पर आधारित है, तो अदालतों ने इसे अवैध गतिविधि घोषित कर दिया है.' जबकि कुछ राज्यों के अपने नियम हैं. सामान्य तौर देखा जाए तो भारत में मौके पर आधारित सट्टेबाजी की अनुमति नहीं है. कानूनी स्थिति पर स्पष्टीकरण के लिए हमने आधिकारिक चैनलों के माध्यम से प्रोबो से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन हमें कोई जबाव नहीं मिला.

घोटाला और प्रचार

अपने ऐप को बढ़ावा देने के लिए, प्लेटफॉर्म अक्सर मशहूर हस्तियों का सहारा लेते हैं और कभी-कभी डीप फेक वीडियो का इस्तेमाल करते हैं. इसी सिलसिले में सचिन तेंदुलकर का एक डीपफेक वीडियो इंस्टाग्राम पर दिखाई दिया, जिसमें सट्टेबाजी ऐप के जरिए आसानी से पैसे कमाने का वादा किया गया था. बाद में तेंदुलकर ने स्पष्ट किया कि उनका यह वीडियो फर्जी तरीके से बनाया गया था. 

इस साल की शुरुआत में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने एक सख्त सलाह जारी की जिसमें गेमिंग के रूप में सट्टेबाजी और जुए सहित ऐसी अवैध गतिविधियों के विज्ञापन, प्रचार और इसके समर्थन पर रोक लगाई गई. एडवाइजरी के अनुसार 'पब्लिक गैम्ब्लिंग एक्ट, 1867 के तहत सट्टेबाजी और जुआ सख्त रूप से वर्जित है और देश भर के अधिकांश क्षेत्रों में इसे अवैध माना जाता है. इसके बावजूद गेमिंग की आड़ में ऑनलाइन सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म और ऐप सीधे तौर पर सट्टेबाजी और जुए का विज्ञापन करते रहते हैं. ऐसी गतिविधियों का समर्थन करने से खास तौर पर युवाओं पर वित्तीय और सामाजिक-आर्थिक प्रभाव पड़ता है.'

Article From: www.aajtak.in
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