उत्तर प्रदेश के हाथरस में सत्संग के दौरान मची भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई है. ये सत्संग नारायण साकार हरि का था. उनके अनुयायी उन्हें भोले बाबा बुलाते थे.
दो जुलाई को हाथरस के सिंकदराराउ इलाके के फुलराई गांव में भोले बाबा की सत्संग में भगदड़ मच गई थी. मामले में पुलिस एफआईआर दर्ज कर ली है. हालांकि, एफआईआर में बाबा का नाम दर्ज नहीं है. वहीं, भगदड़ मचने पर भोले बाबा ने असामाजिक तत्वों को जिम्मेदार ठहराया है.
भोले बाबा ने बुधवार को एक बयान जारी कर बताया कि वो पहले ही वहां से निकल गए थे और कुछ असामाजिक तत्वों ने भगदड़ मचाई. बाबा ने ये भी बताया कि इस पूरे मामले में असामाजिक तत्वों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के वकील एपी सिंह यानी अजय प्रकाश सिंह पैरवी करेंगे.
ये एपी सिंह वही वकील हैं, जिन्होंने निर्भया के दोषियों की भी पैरवी की थी. चार साल पहले हाथरस में हुए रेप के मामले के आरोपियों के वकील भी एपी सिंह ही थे. एपी सिंह का नाम कुछ सालों से चर्चा में बना हुआ है. उन्होंने बीते कुछ सालों में कई हाई प्रोफाइल केस में आरोपियों की तरफ से लड़ चुके हैं.
पहले केस में की थी विवादित बाबा की पैरवी
1972 में दिल्ली में जन्मे एपी सिंह 24 साल से वकालत कर रहे हैं. लखनऊ यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई करने के बाद एपी सिंह ने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से क्रिमिनोलॉजी से डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की थी.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, वकालत में एपी सिंह की करियर की शुरुआत विवादित बाबा रहे चंद्रस्वामी के केस से की थी. चंद्रस्वामी तांत्रिक थे और खुद को भगवान बताते थे. चंद्रस्वामी कई विवादों में फंसे थे. कहा जाता है कि ब्रुनेई के सुल्तान, एक्ट्रेस एलिजाबेथ टेलर, ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री मार्गरेट थेचर और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम भी चंद्रस्वामी से सलाह लेते थे. जैन आयोग ने अपनी रिपोर्ट में राजीव गांधी की हत्या में चंद्रस्वामी का हाथ होने का भी दावा किया था.
एक इंटरव्यू में एपी सिंह ने बताया था कि केस लड़ने के लिए चंद्रस्वामी ने ही उन्हें कोट-पैंट और वकील की ड्रेस तोहफे में दी थी. इसके बाद एपी सिंह ने चंद्रस्वामी के साथ कई बार विदेश दौरे भी किए.
इसके बाद उन्होंने कई हाई प्रोफाइल केस लड़े. 2014 में बरवाला कांड हुआ था, जिसमें जगतगुरु तदवदर्शी महाराज का आश्रम जला दिया गया था और उनके छह अनुयायियों की मौत हो गई थी. तब एपी सिंह ने आश्रम की तरफ से केस लड़ा था.
पुरुषों के लिए मंत्रालय की मांग करते हैं एपी सिंह
एपी सिंह का मानना है कि हर आरोपी को अपना बचाव करने का अधिकार है. सितंबर 2020 में हाथरस में 19 साल की महिला के साथ गैंगरेप हुआ था. दो हफ्ते बाद इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी. इस मामले में एपी सिंह चार आरोपियों की तरफ से केस लड़ रहे हैं.
आरोपियों की तरफ से केस लड़ने पर एपी सिंह की आलोचना भी हुई थी. हाथरस कांड पर बचाव करते हुए एपी सिंह ने इंटरव्यू में कहा था, 'क्या मुझे ये नहीं पूछना चाहिए कि लड़की इतनी रात में लड़के साथ क्या कर रही थी? ये सबूत का हिस्सा है. मैं ये नहीं कह रहा कि उनके बीच भाई-बहन का रिश्ता था और वो रक्षाबंधन का त्योहार मनाने के लिए बाहर थे. मैंने बस इतना कहा कि वो दोस्त हैं. उनके समाज में प्रेमी-प्रेमिका के रिश्ते को माना जाता होगा, लेकिन जहां से मैं आता हूं, वहां नहीं माना जाता.'
एपी सिंह ने रेप के आरोपी स्वामी चिन्मयानंद का केस भी लड़ा था और उन्हें जमानत दिलवाई थी. एपी सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में दलील दी थी कि लड़की ने स्वामी चिन्मयानंद का इस्तेमाल किया था और उसकी सहमति थी, इसलिए रेप जैसा कोई मामला नहीं बनता. इसके बाद हाईकोर्ट ने चिन्मयानंद को जमानत दे दी थी.
एपी सिंह पुरुषों के लिए आयोग या मंत्रालय बनवाना चाहते हैं. वो इसके लिए अभियान भी चलाते हैं. उनका दावा है कि भारत में हर दिन 50 से 175 पुरुष आत्महत्या करते हैं और उनमें से ज्यादातर वो होते हैं जो अपने जीवन में किसी न किसी महिला से तंग आ चुके होते हैं.
निर्भया के दोषियों के लिए आखिरी तक लड़ा था केस
16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में निर्भया कांड हुआ था. इसके चार दोषियों- अक्षय, पवन, विनय और मुकेश के लिए एपी सिंह ने आखिर तक केस लड़ा था और उन्हें फांसी से बचाने की खूब कोशिश की थी.
एपी सिंह ने बताया था कि एक आरोपी की पत्नी ने उनकी मां से मुलाकात की थी और मदद की गुहार लगाई थी. उन्होंने कहा था कि मां के कहने पर ही उन्होंने आरोपियों के लिए केस लड़ने का फैसला लिया था.
निर्भया कांड के बाद जब देशभर में कैंडल मार्च निकाले गए थे तो एपी सिंह ने 'मोमबत्ती, धूपबत्ती और अगरबत्ती' कहकर इसका मजाक उड़ाया था. उन्होंने कहा था, 'मेरे माता-पिता सीधे-सादे लोग हैं. वो आध्यात्मिक हैं और टीवी नहीं देखते. इसलिए उन्हें विरोध प्रदर्शन, जंतर-मंतर, रामलीला मैदान, मोमबत्ती, धूपबत्ती, अगरबत्ती के बारे में कुछ पता नहीं है.'
दिल्ली की साकेत कोर्ट ने जब निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा सुनाई तो एपी सिंह ने अदालत में चिल्लाते हुए कहा था कि जज ने 'झूठ' का साथ दिया है. उन्होंने कहा था कि ये फैसला राजनीतिक दबाव में और वोट बैंक की राजनीति के लिए लिया गया है. अदालत के बाहर एपी सिंह ने कहा था, 'अगर मेरी बहन या बेटी शादी से पहले किसी के साथ संबंध बनाती है तो मैं उसे अपने फार्महाउस लेकर आउंगा और पेट्रोल डालकर जला दूंगा.'
निर्भया के दोषियों का मामला सात साल तक अदालत में चला था. निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा था. राष्ट्रपति ने भी उनकी दया याचिका खारिज कर दी थी. 20 मार्च 2020 को चारों दोषियों को दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई थी. इस पर एपी सिंह ने कहा था कि 'महात्मा गांधी कहते थे कि मौत की सजा हिंसा का एक रूप है. उन्हें सुधार का मौका मिलना चाहिए. फूलन देवी और बाकी खूंखार अपराधियों को सुधारा जा सकता है तो इन बच्चों को क्यों नहीं?'
अब भोले बाबा की तरफ से लड़ेंगे केस
हाथरस में सत्संग के दौरान मची भगदड़ के बाद से भोले बाबा फरार हैं. भोले बाबा ने बयान जारी कर बताया है कि एपी सिंह असामाजिक तत्वों के खिलाफ केस लड़ेंगे.
एपी सिंह का कहना है कि जब नारायण साकार हरि वहां से चले गए, उनके वाहन चले गए, तो हमारे वॉलेंटियर और अनुयायी समझ नहीं पाए कि हो क्या रहा है. उन्होंने कहा कि असामाजिक तत्वों ने ये साजिश रची और इसकी जांच होनी चाहिए.