इस्लामाबाद में स्पेशल इन्वेस्टमेंट फैसिलिटेशन काउंसिल (SIFC) की एपेक्स कमेटी को संबोधित करते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने तालिबान को लेकर सख्त बयान दिया है. उन्होंने कहा कि तालिबान को कुचले बिना पाकिस्तान आगे नहीं बढ़ सकता. बता दें कि ये बयान पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर बढ़ते तनाव और बढ़ती हिंसक घटनाओं के बीच आया है. शहबाज शरीफ ने कहा कि तालिबान ने फिर से सिर उठाया है और इसे कुचले बिना हम आगे नहीं बढ़ सकते.
शरीफ ने आगे कहा कि हर दिन कोई न कोई घटना होती है. चाहे वह 10 अधिकारी हों, 5 हों, फ्रंटियर कॉर्प्स, पुलिस या सेना के सदस्य हों, उनकी शहादत सबसे बड़ा बलिदान है. हमें न केवल उनका सम्मान करना चाहिए, बल्कि राष्ट्र को यह भी बताना चाहिए कि इस राक्षस को हराना हमारा साझा लक्ष्य है.
शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान के राजनीतिक और सैन्य स्टेक होल्डर से एकजुट होने की अपील की और देश में बढ़ते सुरक्षा संकट से निपटने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि हमें इस खतरे को हराने और देश के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए एक मंच पर आना होगा.
बता दें कि 24 दिसंबर 2024 को पाकिस्तानी सेना ने अफगानिस्तान के पक्तिका प्रांत में कई स्थानों को निशाना बनाया, जिसमें कम से कम 46 लोग मारे गए, जिनमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे थे. ये हवाई हमले तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के ठिकानों को खत्म करने के लिए किए गए थे, जो पाकिस्तान में कई हमलों के लिए जिम्मेदार है. इस हमले के बाद अफगान तालिबान ने इन हमलों को संप्रभुता का उल्लंघन बताते हुए निंदा की और बदला लेन की कसम खाई. तालिबान का दावा है कि मरने वालों में कई पाकिस्तानी शरणार्थी थे. इसके जवाब में 28 दिसंबर को अफगान तालिबान ने पाकिस्तान के कई इलाकों पर हमला किया, जिसमें कम से कम 16 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए. इस बीच, TTP भी इस बढ़ते संघर्ष में सक्रिय रही है और उसने पाकिस्तानी बलों पर कई हमलों की जिम्मेदारी ली है.
पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बिगड़ते रिश्ते
यह हिंसा पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बिगड़ते रिश्तों को उजागर करती है. दोनों देशों ने एक-दूसरे पर सीमा पार आतंकवाद के लिए जिम्मेदार आतंकवादियों को शरण देने का आरोप लगाया है.
पाकिस्तान के लिए बड़ा खतरा कैसे बन गया TTP?
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) अगस्त 2021 में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से पाकिस्तानी के लिए एक गंभीर चुनौती और खतरे के रूप में उभरा है. इस बदलाव ने TTP को फिर से संगठित और मजबूत होने का मौका दिया, जिसके बाद पाकिस्तानी सुरक्षाबलों पर हमले तेज हो गए. पिछले कुछ वर्षों में TTP ने 1200 से अधिक हमले किए हैं, जिससे पाकिस्तान घबराया हुआ है. ये समूह अन्य आतंकवादी गुटों के साथ अपने गठजोड़ का लाभ उठा रहा है और कथित तौर पर अफगान तालिबान से समर्थन प्राप्त कर रहा है, जिससे पाकिस्तान की सुरक्षा स्थिति और अधिक जटिल हो गई है.
क्या है TTP का मकसद?
TTP का मकसद पाकिस्तान की सरकार को गिराकर शरिया कानून की अपनी कट्टर सोच पर आधारित एक इस्लामी अमीरात बनाना है. इस मकसद को पूरा करने के लिए वह आत्मघाती हमले और टारगेट किलिंग जैसी हिंसक घटनाओं को अंजाम दे रहा है, जिससे सेना पाकिस्तानी सेना और सरकार दोनों घबराई हुई है.