यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोदिमीर जेलेंस्की ने सोमवार (28 अप्रैल) को कहा कि अमेरिका के साथ यूक्रेन के खनिज संसाधनों के विकास को लेकर जो समझौता हो रहा है, वह अब 'ज्यादा मजबूत और न्यायसंगत' बन गया है. यह बात दोनों देशों के बीच चली हालिया बातचीत के बाद सामने आई.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दबाव बनाते हुए कहा है कि अगर अमेरिका को उसके खर्च का कोई फायदा नहीं मिला, तो वह यूक्रेन को दी जा रही सैन्य मदद रोक सकते हैं. अमेरिका यूक्रेन को रूस से चल रही लड़ाई में अब तक अरबों डॉलर की सैन्य मदद दे चुका है.
खनिजों पर निर्भर यूक्रेन का बजट
यह समझौता यूक्रेन के लिए बहुत संवेदनशील है, क्योंकि वहां कोयला और लौह अयस्क (iron ore) के खनन का एक पुराना इतिहास रहा है. अब यूक्रेन उन दुर्लभ खनिजों को निकालने की तैयारी कर रहा है, जिनकी दुनिया में मांग लगातार बढ़ रही है. खनिज देश के बजट का एक अहम हिस्सा हैं.
क्रिवी रीह से ताल्लुक रखने वाले राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि 18 अप्रैल को साइन किए गए एक समझौता ज्ञापन के बाद अमेरिका के लिए एक खनिज राजस्व कोष (Mineral Revenue Fund) बनाने की दिशा में प्रगति हुई है, जिससे अमेरिका को हिस्सा मिलेगा.
यूक्रेन के प्रधानमंत्री डेनीस श्मिहाल ने रविवार को कहा कि अब इस बात पर सहमति हो गई है कि यह डील अमेरिका द्वारा अतीत में दी गई सहायता की भरपाई के रूप में नहीं होगी. यह बयान उन यूक्रेनवासियों को राहत दे सकता है जो मानते हैं कि 2022 से वे केवल अपने लिए नहीं, बल्कि पश्चिमी देशों के लिए भी रूस से लड़ रहे हैं- उन पश्चिमी देशों में नाटो जैसे अमेरिका-नेतृत्व वाले रक्षा गठबंधन और यूरोपीय देश शामिल हैं, जिनसे यूक्रेन गहराई से जुड़ाव महसूस करता है.
डील से क्या चाहता है यूक्रेन?
कीव, इस समझौते के हिस्से के रूप में अमेरिका से सुरक्षा गारंटी चाहता है- ट्रंप इसे उस सहायता के बदले 'भुगतान' के तौर पर देख रहे हैं जो युद्ध के दौरान अमेरिका ने कीव को दी है. ट्रंप ने कई बार दावा किया है कि अमेरिका ने यूक्रेन को 350 अरब डॉलर भेजे हैं, हालांकि इस आंकड़े की स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई. जबकि अमेरिकी कांग्रेस ने रूस के 2022 में पूर्ण पैमाने पर किए गए हमले के बाद से अब तक 175 अरब डॉलर की सहायता को मंजूरी दी है.
ट्रंप के प्रस्ताव में क्या-क्या है?
इस दौरान युद्ध भी जारी है, और यूक्रेन पर लगातार रूसी मिसाइलों और ड्रोन से हमले हो रहे हैं. यह यूरोप में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे घातक संघर्ष है. हाल के राजनयिक दौरों के बीच, ट्रंप प्रशासन की शांति वार्ता को लेकर जो स्थिति है, वह यूक्रेन और उसके यूरोपीय सहयोगियों से अलग दिख रही है.
Reuters को प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार, अमेरिका एक प्रस्ताव रख रहा है जिसमें क्रीमिया- जिसे रूस ने 2014 में कब्जा कर लिया था- को रूस का अधिकृत क्षेत्र के रूप में कानूनी मान्यता देने की बात कही गई है. लेकिन यह यूक्रेन और उसके यूरोपीय सहयोगियों के लिए 'रेड लाइन' है, जिसे वे पार नहीं करना चाहते.
शांति समझौता होने की स्थिति में रूस पर लगे प्रतिबंध कितनी जल्दी हटाए जाएंगे, यूक्रेन को क्या सुरक्षा गारंटी दी जाएंगी, और उसे कैसे आर्थिक रूप से मुआवजा दिया जाएगा- इन तमाम मुद्दों पर भी मतभेद हैं।
ट्रंप और जेलेंस्की के रिश्तों में भी खटास
ट्रंप और जेलेंस्की के बीच व्यक्तिगत रिश्ते भी तनावपूर्ण रहे हैं. व्हाइट हाउस में हुई एक मुलाकात में ट्रंप ने जेलेंस्की पर 'तीसरे विश्व युद्ध के साथ जुआ खेलने' का आरोप लगाया था. बाद में कीव ने रिश्तों को सुधारने की कोशिश की, लेकिन तीखी बयानबाजी जारी रही. जेलेंस्की ने कहा कि ट्रंप एक 'भ्रम की स्थिति' में हैं जो मास्को के पक्ष में है, जबकि ट्रंप ने जेलेंस्की पर शांति वार्ता में देरी और 'उकसाने वाले बयान' देने का आरोप लगाया.
हालांकि, सच्चाई यह है कि दोनों को एक-दूसरे की जरूरत है- ट्रंप को जेलेंस्की का समर्थन चाहिए ताकि वे रूस-यूक्रेन युद्ध को जल्द समाप्त करने का अपना लक्ष्य हासिल कर सकें, जबकि कीव को ट्रंप की जरूरत है ताकि वे मास्को पर दबाव बनाएं और युद्धविराम की शर्तों को कुछ हद तक नरम कर सकें.