GTB Hospital Firing Case: साल 1997 की बात है. दिल्ली पुलिस के एक एसीपी ने कनॉट प्लेस में दो कारोबारियों को गोली मार दी. पुलिस का दावा था कि उत्तर प्रदेश के एक गैंगस्टर यासीन के धोखे में ये सब हुआ. यानी पहचान में हुई गलती की वजह से मारना किसी को था और मर कोई और गया. ठीक वैसी ही गलती इस बार दिल्ली के जीटीबी यानी गुरु तेग बहादुर अस्पताल में हुए शूटआउट में भी हुई है. इस बार गलती पुलिस से नहीं बदमाशों से हुई है.
दरअसल, गुरु तेग बहादुर अस्पताल के जिस वार्ड में रियाजजुद्दीन नामक मरीज भर्ती थी, उसी वार्ड में उसकी बेड के ठीक सामने बदमाश वसीम भी भर्ती था. रियाजजुद्दीन 32 साल का था. वो श्रीराम कॉलोनी (खजूरी खास) का रहने वाला था. अपने पिता की मौत के बाद डिप्रेशन में जाने की वजह से वो भयंकर नशा करने लगा था. इसकी वजह से उसके पेट में संक्रमण हुआ और 2 महीने पहले उसका ऑपरेशन हुआ था. फिर उसे नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया गया था.
कुछ दिन पहले रियाजजुद्दीन पेट में दर्द उठने लगा. परिजनों को सूचना मिली तो वो 23 जून को उसे जीटीबी अस्पताल लेकर पहुंचे. यहां अस्पताल की चौथी मंजिल पर स्थित वार्ड नंबर 24 में भर्ती कराया गया. उसके परिवार में उसकी मां, पत्नी और दो बच्चे हैं. 14 जुलाई रविवार शाम 4 बजे की बात है. 3 बदमाश असलहा लिए वार्ड नंबर 24 में एकाएक आ धमके. अचानक उन्होंने रियाजजुद्दीन के पेट पर गोलियां बरसानी शुरू कर दी. ये देखकर आसपास लोग डर गए.
उस वक्त रियाजजुद्दीन की देखभाल उसकी बहन तरन्नुम कर रही थी. गोली बरसाने के बाद बदमाश हवा में हथियार लहराते हुए भाग गए. अस्पताल में हंगामा मच गया. मौके पर पुलिस पहुंची. तब तक रियाजजुद्दीन की मौत हो चुकी थी. बदमाशों ने करीब सात राउंड गोलियां चलाईं. पुलिस को मौके से 5 खोखे मिले. जांच में पता चला कि बदमाशों के निशाने पर तो वसीम था. वो सामने वाले बेड पर लेटा हुआ था, लेकिन गलती से निशाना रिजाजजुद्दीन बन गया था.
गोली चलाने वाले बदमाश से गलती कैसे हो गई?
अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि गोली चलाने वाले बदमाश से गलती कैसे हो गई? या फिर दाल में कुछ काला है. पुलिस ने वसीम से पूछताछ शुरू कर दी है. वसीम शास्त्री पार्क थाने में बदमाश घोषित है और वो 17 मामलों में आरोपी है. उसके परिवार का दावा है कि वेलकम थाना क्षेत्र के बदमाश समीर बाबा ने इस पूरी घटना को अंजाम दिलवाया है. समीर बाबा ने अपने गुर्गों को अस्पताल भेजा था. वो वसीम की हत्या करना चाहते थे. पहले भी दो बार कोशिश हुई थी.
पहले वसीम पर दो बार हो चुका है जानलेवा हमला
वसीम की पत्नी आफरीन का कहना है कि उसके पति की हत्या के लिए दो बार पहले भी बदमाश आए थे, लेकिन मौका ना लग पाने की वजह से वापस लौट गए थे. समीर दिल्ली के गैंगस्टर हाशिम बाबा के लिए काम करता है. वसीम जब जेल में बंद था, तब उसकी लड़ाई वेलकम इलाके के समीर बाबा से हो गई थी. आरोप है कि समीर के इशारे पर हत्या का प्लान बनाया गया. इससे पहले भी वसीम के मर्डर की कोशिश की गई, लेकिन वो बच गया.
शूटआउट के बाद गैंगवार की आशंका ने बढ़ाई टेंशन
12 जून को वसीम को वेलकम थाना क्षेत्र के शैतान चौक बुलाया गया था. यहां दो बदमाशों ने वसीम और उसके दोस्त आसिफ पर जानलेवा हमला किया था. वसीम को उस वक्त चार, आसिफ को तीन और फुटपाथ पर सो रहे दो बुजुर्गों को एक-एक गोली लगी थी. पुलिस ने इस मामले में आरोपी फैजान, मोहसिन और जुनैद को गिरफ्तार किया था. तभी से वसीम का जीटीबी अस्पताल में इलाज चल रहा था. हालांकि दिल्ली पुलिस के सूत्रों का कहना है कि चूंकि वसीम बदमाश है, लिहाजा पुलिस भी उसकी सुरक्षा को लेकर ज्यादा चिंतित नहीं थी. हां, अब जो घटना हुई है, उसने दिल्ली पुलिस की टेंशन और बढ़ा दी है.
गैंगवार की आशंका के बीच लोगों में फैली दहशत!
वसीम के खिलाफ हत्या की कोशिश, जबरन वसूली, झपटमारी और लूट के 17 मामले दर्ज हैं. दिल्ली पुलिस ने इस सिलसिले में दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन अभी तक गोली चलाने वाला मास्टरमाइंड फरार है. इस घटना ने फिर गैंगवार की आशंका को तो जन्म दे ही दिया है, साथ ही आम लोगों में दहशत भी फैला दी है. गैंगस्टर हाशिम बाबा, नासिर और छेनू गैंग के गुर्गे उत्तर-पूर्वी जिला पुलिस के लिए सिर दर्द बन गए हैं.
ऐसे शुरू हुई हाशिम बाबा और वसीम में दुश्मनी
इस केस में मर्डर के मास्टरमाइंड फहीम उर्फ बादशाह खान की तलाश की जा रही है. फहीम, गैंगस्टर हाशिम बाबा का गुर्गा है. अस्पताल में भर्ती वसीम इरफान छेनू गैंग का सदस्य है. वहीं हमलवार हाशिम बाबा गैंग से ताल्लुक रखते थे. दोनों के बीच पुरानी दुश्मनी थी. इस साल की शुरुआत में गैंगस्टर वसीम ने मंडोली जेल में बंद हाशिम बाबा को धमकी दी थी और उसके गुर्गे पर हमले की साजिश रची थी. इसके बाद से ही दोनों के बीच दुश्मनी पैदा हो गई है.