केजरीवाल से ऐसी क्या 'दुश्मनी' कि राहुल गांधी ने इंडिया गुट को ही दांव पर लगा दिया?

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कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का दिल्ली में लोकसभा चुनाव के दौरान गठबंधन जरूर था, लेकिन राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल कभी वैसे साथ खड़े नहीं दिखे जैसे यूपी के लड़कों के साथ की मिसाल दी जाती रही है. जैसे राहुल गांधी और अखिलेश यादव साथ में प्रेस कांफ्रेंस या रोड शो करते देखे गये हैं. 

हां, अरविंद केजरीवाल ने अखिलेश यादव के साथ प्रेस कांफ्रेंस जरूर की है, और स्वाति मालीवाल केस से जुड़े सवाल पर दोनो के बीच एक खास केमिस्ट्री भी देखने को मिली है. और, दिल्ली चुनाव में तो अरविंद केजरीवाल को अखिलेश यादव का सपोर्ट भी मिला हुआ है, जो कांग्रेस के खिलाफ ही जाता है. 

लोकसभा चुनाव के दौरान जेल से अंतरिम जमानत पर छूट कर आये अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस उम्मीदवारों के समर्थन में रोड शो भी किया था, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व पहले ही दूरी बना चुका था. तब तो एक खबर ये भी आई थी कि मल्लिकार्जुन खड़गे और अरविंद केजरीवाल के लखनऊ में एक साथ प्रेस कांफ्रेंस का कार्यक्रम बना था, लेकिन दोनो ने ही दूरी बना ली. 

कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का गठबंधन तो लोकसभा चुनावों में भी अजीब ही लग रहा था. दिल्ली, गुजरात, हरियाणा और चंडीगढ़ में दोनो मिलकर चुनाव लड़ रहे थे, लेकिन पंजाब में एक दूसरे के खिलाफ खड़े थे. और, लोकसभा चुनाव खत्म होते ही दिल्ली को लेकर भी तस्वीर साफ होने लगी.

आम आदमी पार्टी की तरफ से लोकसभा चुनाव खत्म होते ही गठबंधन टूट जाने के संकेत मिलने लगे थे, लेकिन राहुल गांधी को उम्मीद थी कि हरियाणा चुनाव भी दोनो साथ मिलकर लड़ेंगे - अरविंद केजरीवाल के जेल में रहते ही हरियाणा में चुनावी गठबंधन भी अधर में दिखने लगा था, और उनके बाहर आते ही पक्का भी हो गया. 

दिल्ली चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के एक दूसरे के खिलाफ मैदान में उतरने के बावजूद ऐसा लग रहा था जैसे अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी दोनो एक दूसरे पर हमले से परहेज कर रहे हों. क्योंकि, तब तक दोनो में से कोई भी एक दूसरे को निशाना बनाकर कुछ नहीं बोल रहा था. 

राहुल गांधी के नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र में कैंपेन का कार्यक्रम सामने आते ही लगा ये लगा था कि अरविंद केजरीवाल को टार्गेट किये जाने की रणनीति बन चुकी है, लेकिन वो कार्यक्रम रद्द हो गया. और, कार्यक्रम रद्द होने से एकबारगी लगा कि कोई मैसेज देने की कोशिश हो रही है - लेकिन अब तो राहुल गांधी ने मनीष सिसोदिया के पटपड़गंज विधानसभा क्षेत्र में दिल्ली शराब घोटाले का नाम लेकर आम आदमी पार्टी के नेता और सरकार को भ्रष्टाचारी बता डाला है, और पलटवार में अरविंद केजरीवाल ने पूछ लिया है, आप और आपका परिवार अभी तक नेशनल हेराल्ड केस में गिरफ्तार क्यों नहीं हुआ? 

भविष्य की राजनीति में कुछ भी संभव हो सकता है, लेकिन फिलहाल तो राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल के बीच कुछ बचा हो, ऐसा तो नहीं लगता. और जाहिर है, ऐसी बातों का सीधा असर तो इंडिया ब्लॉक पर ही होने वाला है - सवाल है कि राहुल गांधी ने जानबूझ कर ये जोखिम क्यों उठाया?

1. देखा जाये तो राहुल गांधी ने कोई नई या अनोखी बात नहीं की है. सिर्फ वही किया है, जो दिल्ली कांग्रेस के नेता शुरू से चाहते रहे हैं. नेताओं के पक्ष में वो पहले भी खड़े नजर आये हैं, लेकिन पर्दे के पीछे से. इस कदर खुलकर कभी सामने नहीं आये थे. अरविंद केजरीवाल के साथ चुनावी गठबंधन की बात पहले वो क्षेत्रीय नेताओं की राय पर पर छोड़कर टाल देते थे. 

शीला दीक्षित के हाथ में कमान रहते तो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का गठबंधन हो भी नहीं सका. बाद के दिनोंं में देखें, तो कांग्रेस को केजरीवाल के करीब आने की कीमत भी चुकानी पड़ी. कांग्रेस के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष रहे अरविंदर सिंह लवली तो इस कदर नाराज हुए कि दोबारा कांग्रेस छोड़ दी - और फिर से बीजेपी में लौट गये. 

लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को केजरीवाल के साथ हाथ मिलाने से लेकर कन्हैया कुमार को दिल्ली से टिकट देने तक के लिए कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी झेलनी पड़ी थी - लेकिन अब राहुल गांधी दिल्ली कांग्रेस के साथ खुलकर खड़े हो गये हैं.  

2. जब से राहुल गांधी ने दिल्ली में शराब घोटाला बोलकर अरविंद केजरीवाल को घेरा है, इंडिया ब्लॉक का होना बेमानी लगने लगा है. कहने को तो पहले से ही ये भी कहा जाने लगा था कि दिल्ली चुनाव बाद इंडिया ब्लॉक का अस्तित्व खत्म हो जाएगा. 

3. वैसे भी इंडिया ब्लॉक दिल्ली में दो हिस्सों में तो बंट ही गया है. एक धड़ा कांग्रेस के खिलाफ अरविंद केजरीवाल के साथ खड़ा हो गया है. उस गुट में अखिलेश यादव और ममता बनर्जी भी अरविंद केजरीवाल के साथ खड़े हो गये हैं.

4. दिल्ली में तो इंडिया ब्लॉक के नाम पर आप और कांग्रेस ही थे, और दोनो चुनाव में आमने सामने ही हैं - फिर तो दिल्ली में इंडिया ब्लॉक का बहुत मतलब रह भी नहीं जाता. चुनाव बाद जो भी तस्वीर बनती हो. 

5. भविष्य की राजनीति के हिसाब से देखें तो अरविंद केजरीवाल इंडिया ब्लॉक ही नहीं, पूरे विपक्ष की राजनीति में भी कांग्रेस के लिए खतरा बनने वाले हैं, और यही वजह है कि कांग्रेस केजरीवाल को पहले ही निबटा देना चाहती है - राहुल गांधी भी अब यही सब सोचकर आगे बढ़ रहे हैं.

Article From: www.aajtak.in
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