शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने अपने 15 उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी कर दी है. इस सूची में उस बायकुला सीट का नाम भी है जहां कांग्रेस भी अपना दावा कर रही है. शिवसेना यूबीटी ने बायकुला से मनोज जमसुतकर को चुनावी मैदान में उतारा है.
इससे पहले शिवसेना यूबीटी ने 65 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की थी. पार्टी ने अभी वर्सोवा सीट पर उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. दूसरी लिस्ट में जिन 15 उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है, उनमें प्रमुख हैं:
- धुले शहर - अनिल गोटे
- चोपड़ा (आज) - राजू तडवी
- जलगांव शहर- जयश्री सुनील महाजन,
- बुलढाणा- जयश्री शेलके,
- दिग्रस- पवन श्यामलाल जयसवाल
- हिंगोली- रूपाली राजेश पाटिल
- परतुर- आसाराम बोराडे
- देवलाली (अजा) योगेश घोलप
- कल्याण पश्चिम-सचिन बसारे
- कल्याण पूर्व - धनंजय बोडारे
- वडाला- श्रद्धा श्रीधर जाधव
- शिवडी-अजय चौधरी
- बायकुला-मनोज जामसुतकर
- श्रीगोंडा- अनुराधा राजेंद्र नागवाडे
- कंकावली-संदेश भास्कर पारकर
लोकसभा में जीती थी 9 सीटें
लोकसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी में सबसे ज्यादा 21 सीटों पर शिवसेना ने चुनाव लड़ा था. लेकिन वे सिर्फ 9 सीटें ही जीत सकी थी. हालांकि, उनके गठबंधन से उनके दोनों सहयोगियों, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) को बहुत फायदा हुआ. यही कारण है कि ठाकरे विधानसभा चुनाव में अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने पर अड़े हुए हैं.
यह भी पढ़ें: आदित्य ठाकरे के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे मिलिंड देवड़ा, शिंदे की शिवसेना के टिकट पर उतर सकते हैं मैदान में
इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे के सामने सबसे बड़ी चुनौती सीएम एकनाथ शिंदे की शिवसेना है. क्योंकि इस चुनाव में दोनों पार्टियों का अस्तित्व दांव पर है. एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद विधानसभा चुनाव में पहली बार दोनों शिवसेना आमने-सामने हैं.
2019 में तोड़ दिया था बीजेपी से गठबंधन
2019 के विधानसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने बीजेपी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था. उस वक्त शिवसेना ने 124 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. जिसमें से 56 विधायक चुने गए. बीजेपी के 105 विधायक जीते हैं. उस समय मुख्यमंत्री पद के लिए बातचीत विफल होने पर उद्धव ठाकरे ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया था और फिर शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस की मदद से सत्ता हासिल की और मुख्यमंत्री बने. हालांकि, 2022 में एकनाथ शिंदे ने पार्टी में बड़ी बगावत कर दी. जिसके चलते उद्धव ठाकरे को अपना मुख्यमंत्री पद गंवाना पड़ा.