प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे की वजह से भारतीय मीडिया और इंटरनेट पर रूस की काफी चर्चा हो रही है. भारत और रूस के रिश्तों पर बात की जा रही है और कई तथ्य शेयर किए जा रहे हैं. ऐसे में कुछ लोगों के मन में सवाल रूस और वहां के धर्म को लेकर भी है कि आखिर वहां किस धर्म को मानने वाले लोग ज्यादा है. वहां ईसाई धर्म के लोग भी अलग तरह से ईश्वर में विश्वास करते हैं तो समझते हैं कि वहां किस धर्म के लोग ज्यादा है और वो किस तरह से अलग हैं. साथ ही जानते हैं कि अन्य धर्म के लोगों का वहां क्या हाल है?
किस धर्म के लोग हैं सबसे ज्यादा?
रूस में करीब 142 मिलियन लोग रहते हैं, जिसमें अलग अलग धर्म के लोग रहते हैं. रूस में रहने वाले अलग-अलग धर्मों के लोगों की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा ऑर्थोडॉक्स क्रिश्चियन रहते हैं, जो कुल आबादी का 71 फीसदी हिस्सा है. यहां आधे से ज्यादा लोग ऑर्थोडॉक्स क्रिश्चियन हैं. इसके बाद 5 फीसदी लोग इस्लाम को मानते हैं और 15 फीसदी लोग वो हैं, जिनका किसी भी धर्म में विश्वास नहीं है. ऑर्थोडॉक्स क्रिश्चियन, अन्य कैथलिक ईसाइयों से अलग होते हैं. इनके अलावा 1 फीसदी बचे हुए लोगों में बौद्ध, प्रोटेस्टेंट्स ईसाई, रोमन कैथलिक, यहूदी, हिंदू, बहाई आदि धर्म को मानने वाले लोग हैं.
कौन होते हैं ऑर्थोडॉक्स क्रिश्चियन?
अब सवाल है कि ऑर्थोडॉक्स क्रिश्चियन कौन होते हैं. दरअसल, ऑर्थोडॉक्स क्रिश्चियन ईसाई धर्म को ही मानते हैं और उनका विश्वास भी ईसा मसीह में ही है. लेकिन, कुछ मान्यताएं और विश्वास उनके अमेरिकी ईसाइयों से अलग हैं. ऑर्थोडॉक्स ईसाई जूलियन कैलेंडर का पालन करते हैं. कुल ऑर्थोडॉक्स में भी सबसे ज्यादा लोग रूस में ही हैं और ये पूर्वी यूरोप में ज्यादा हैं. इनका ज्यादा विश्वास चर्च में है और इनका मानना है कि ईसाई धर्म और चर्च को अलग नहीं किया जा सकता और ईसाई होने के लिए ईसा मसीह को पढ़ना, जानना काफी जरूरी है.
ऑर्थोडॉक्स क्रिश्चियन ईसा मसीह को ही सबसे सर्वोपरि मानते हैं, ऐसे में वे अन्य लोगों को ज्यादा तरजीह नहीं देते हैं. उदाहरण से समझें तो ये पोप का नेतृत्व नहीं करते हैं और सीधे ईसा मसीह और चर्च में विश्वास करते हैं.
कैसे दूसरे ईसाइयों से अलग हैं?
पहले तो आपको बताते हैं कि मुख्य तौर पर ईसाइयों में मान्यताओं के आधार पर तीन डिविजन है, जिसमें कैथलिक, प्रोटेस्टेंट्स और ऑर्थोडॉक्स हैं. कई लोग इन्हें भी प्रोटेस्टेंट्स का ही हिस्सा मानते हैं. इसके अलावा भी अन्य डिविजन हैं, लेकिन सबसे अहम इन्हें ही माना जाता है. दरअसल, रोमन कैथलिक पोप को फॉलो करते हैं, जिन्हें 'क्राइस्ट ऑफ क्राइस्ट' माना जाता है. ये बाइबिल के साथ पोप का भी नेतृत्व करते हैं जबकि ऑर्थोडॉक्स रोम के पोप को नहीं मानते, पर अपने-अपने राष्ट्रीय धर्मसंघ के कुलपति (पैट्रिआर्च) को मानते हैं और परंपरावादी होते हैं.
साथ ही एक स्थान पर ज्यादा रहना पसंद करते हैं. वहीं प्रोटेस्टेंट किसी पोप को नहीं मानते है और इसके बजाय पवित्र बाइबल में पूरी श्रद्धा रखते हैं. लेकिन, ये कैथलिक्स की तरह ही सेवन sacraments को मानते हैं, जिसमें बेप्टिज्म आदि शामिल है. वहीं प्रोटेस्टेंट्स दो ही प्रेक्टिस करते हैं, जिसमें बैप्टिज्म और Eucharist शामिल है.
दुनियाभर में कितने हैं ऑर्थोडॉक्स क्रिश्चियन?
रिपोर्ट्स के अनुसार, दुनिया में 200 से 300 मिलियन ऑर्थोडॉक्स क्रिश्चियन हैं, इनमें से करीब 100 मिलियन तो रूस में ही रहते हैं. रूस के अलावा यूक्रेन, ग्रीस, मिस्र और इथियोपिया में भी इनकी काफी संख्या है.