उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में सोमवार से महाकुंभ की शुरुआत होने जा रही है. भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और आस्था का प्रतीक यह मेला हर 12 वर्ष पर आयोजित होता है. महाकुंभ भारत की पौराणिक परम्पराओं और आध्यात्मिक विरासत का उत्सव है. हर 12 वर्ष पर प्रयागराज में संगम के किनारे महाकुंभ का आयोजन होता है, जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का मिलन होता है. महाकुंभ का आयोजन 13 जनवरी, 2025 से शुरू होकर, 26 फरवरी तक चलेगा.
महाकुंभ मानवता का दुनिया में सबसे बड़ा समागम होगा, जिसका आयोजन 4,000 हेक्टेयर क्षेत्र में किया जाएगा. कुंभ में करोड़ों श्रद्धालुओं के साथ-साथ लाखों की संख्या में साधु-संत भी पहुंचते हैं जिसकी खास तैयारी की जाती है. इस बार महाकुंभ में 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है. न सिर्फ पूरे देश बल्कि दुनियाभर से आने वाले श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाएंगे. कुंभ मेले में बाबाओं के अलग-अलग रंग देखने को मिल रहे हैं. कोई पेशवाई में अपने अनूठे करतब से अभिभूत कर रहा है तो कोई अपने अनूठे संकल्पों और प्रणों के कारण चर्चा में है.
पौष पूर्णिमा से एक दिन पहले 50 लाख लोगों ने लगाई डुबकी
मान्यता है कि कुंभ के मेले में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिल जाती है. समुद्र के मंथन से निकले अमृत को पाने के लिए देवताओं और राक्षसों में 12 वर्षों तक युद्ध चला. इस युद्ध के दौरान कलश में से जिन स्थानों पर अमृत की बूंदें गिरीं वहां पर कुंभ मेला आयोजित किया जाता है. 12 वर्षों तक युद्ध चलने के कारण ही कुंभ हर 12 वर्ष में एक बार आता है. महाकुंभ के स्नान को शाही स्नान के नाम से जाना जाता है.
महाकुंभ के पहले स्नान पौष पूर्णिमा से एक दिन पहले ही बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई. पौष पूर्णिमा के पहले स्नान से पहले रविवार को लगभग 50 लाख श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई. बड़ी संख्या में साधु संतों के साथ ही पुरुषों, महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों ने संगम में डुबकी लगाई. इससे पहले शनिवार को भी 33 लाख श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया था.
पहले शाही स्नान का शुभ मुहूर्त
महाकुंभ का पहला शाही स्नान आज पूर्णिमा के शुभ अवसर पर होगा. हिंदू पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 13 जनवरी यानी आज सुबह 5 बजकर 03 मिनट पर होगी और तिथि का समापन 14 जनवरी को अर्धरात्रि 3 बजकर 56 मिनट पर होगा.
प्रयागराज कुंभ मेले में छह शाही स्नान होंगे. महाकुंभ मेला का पहला शाही स्नान 13 जनवरी यानी आज होगा. दूसरा शाही स्नान 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति पर होगा, तीसरा स्नान 29 जनवरी 2025 को मौनी अमावस्या पर होगा, चौथा शाही स्नान 2 फरवरी 2025 को बसंत पंचमी पर होगा, पांचवां शाही स्नान 12 फरवरी 2025 को माघ पूर्णिमा पर होगा और आखिरी शाही स्नान 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि पर होगा.
कुंभ में कल्पवास के खास इंतजाम
महाकुंभ की शुरुआत सोमवार को पौष पूर्णिमा स्नान के साथ होगी, जो प्रयागराज में संगम पर एक महीने के 'कल्पवास' की शुरुआत का प्रतीक है. एक तरफ जहां लाखों श्रद्धालु पवित्र संगम में डुबकी लगाएंगे तो वहीं बड़ी संख्या में लोग संगम किनारे कल्पवास की प्राचीन परंपरा का भी पालन करेंगे. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'कल्पवास के दौरान श्रद्धालु संगम पर एक महीने तक समर्पण और अनुशासन के साथ रहते हैं. वे गंगा में तीन बार पवित्र डुबकी लगाते हैं, जप, ध्यान, पूजा-अर्चना करते हैं और प्रवचनों में भाग लेते हैं. अनुमान है कि महाकुंभ 2025 के दौरान करीब 10 लाख श्रद्धालु कल्पवास करेंगे.'
अधिकारियों ने बताया कि महाकुंभ न केवल सनातन आस्था का सबसे बड़ा आयोजन है, बल्कि यह कई सनातन परंपराओं का वाहक भी है, जिनमें से एक संगम पर कल्पवास का पालन करना भी है. प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, कल्पवास पौष पूर्णिमा से शुरू होता है और माघ पूर्णिमा तक एक महीने तक चलता है. अधिकारियों ने बताया कि इस साल कल्पवास 13 जनवरी से शुरू होकर 12 फरवरी तक संगम पर चलेगा, जिसके दौरान श्रद्धालु निर्धारित अनुष्ठानों का सख्ती से पालन करेंगे.
प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने झूंसी से फाफामऊ तक गंगा के किनारे कल्पवासियों के लिए करीब 1.6 लाख टेंट लगाने समेत सभी जरूरी इंतजाम कर लिए हैं. इन टेंटों में शौचालय के साथ बिजली और पानी के कनेक्शन भी हैं. अधिकारी ने बताया कि टेंट तक आसानी से पहुंचने के लिए करीब 650 किलोमीटर लंबी चेकर प्लेट वाली अस्थायी सड़कें और 30 पांटून पुल बनाए गए हैं.
कल्पवासियों को सस्ते दरों पर राशन और सिलेंडर उपलब्ध कराए जाएंगे. अधिकारियों ने बताया कि गंगा में पवित्र स्नान के लिए विशेष घाट बनाए गए हैं, साथ ही जल पुलिस की तैनाती और नदी के किनारे बैरिकेड्स जैसे सुरक्षा उपाय किए गए हैं. श्रद्धालुओं को ठंड से बचाने के लिए अलाव की व्यवस्था की गई है और स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए मेला क्षेत्र में अस्पताल बनाए गए हैं.
कुंभ में किए जाने वाले यज्ञों का प्रभाव कहीं अधिक
सोमवार को पौष पूर्णिमा के अवसर पर होने वाले पहले प्रमुख स्नान से पहले संतों और अध्यात्म से जुड़े लोगों ने कहा कि इस बार महाकुंभ देश, श्रद्धालुओं और तीर्थयात्रियों को पिछले आयोजनों की तुलना में अधिक शक्ति देगा. संतों ने कहा कि प्रयागराज में कुंभ के दौरान किए जाने वाले किसी भी यज्ञ का प्रभाव किसी अन्य स्थान पर अन्य अवसरों पर किए जाने वाले यज्ञों की तुलना में कहीं अधिक होगा.
शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव अमृत अभिजात ने कहा, 'महाकुंभ 2025 के लिए लोगों का आना शुरू हो गया है. महाकुंभ 2025 के लिए सभी व्यवस्थाएं कर ली गई हैं. करीब 40 संगठन इस बात का अध्ययन कर रहे हैं कि महाकुंभ 2025 का प्रबंधन कैसे किया जाएगा. वे देखना चाहते हैं कि राज्य सरकार महाकुंभ 2025 के लिए किस तरह की व्यवस्था कर रही है.'
सरकार ने रविवार को कहा कि पर्यटन मंत्रालय इस साल महाकुंभ को न केवल आध्यात्मिक समागमों के लिए बल्कि वैश्विक पर्यटन के लिए भी एक 'ऐतिहासिक आयोजन' बनाने के लिए तैयार है. मंत्रालय इस महत्वपूर्ण अवसर को मनाने के लिए कई पहल कर रहा है, जिसका उद्देश्य घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा देना है.
सुरक्षा के बेहद कड़े इंतजाम
महाकुंभ के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाकर्मी तैनात हैं. प्रयागराज के डीआईजी वैभव कृष्ण ने इसकी जानकारी दी. प्रयागराज को जोड़ने वाले सभी 7 सड़क मार्गों तथा उन पर पड़ने वाले 8 जिलों में आने-जाने वाले वाहनों एवं व्यक्तियों की चेकिंग एवं फ्रिस्किंग किए जाने के लिए 102 मोर्चे बनाए गए हैं जहां 1026 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. इनमें 71 निरीक्षक, 234 उपनिरीक्षक, 645 आरक्षी एवं मुख्य आरक्षी तथा 76 महिला आरक्षी शामिल हैं.
इसके अलावा 113 होमगार्ड व पीआरडी के जवान तथा 3 सेक्शन पीएसी को भी तैनात किया गया है. साथ ही 5 वज्र वाहन, 10 ड्रोन एवं 4 एंटी सबोटाज टीम (एएस चेक टीम) द्वारा लगातार 24 घंटे इन मार्गों की निगरानी की जा रही है. डीजीपी मुख्यालय ने वर्ष 2022 और 2023 बैच के 23 आईपीएस अधिकारियों को महाकुंभ मेला के लिए संबद्ध किया है.
उत्तर प्रदेश के डीजीपी प्रशांत कुमार ने बताया कि जनपद प्रयागराज के समीपवर्ती जनपदों में ऑपरेशन चक्रव्यूह के अंतर्गत अभेद्य सुरक्षा का घेरा बनाया गया है. इस ऑपरेशन के तहत पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियां मिलकर श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगी.
कुंभ में कई गायक देंगे प्रस्तुतियां
महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में कैलाश खेर, शंकर महादेवन, कविता कृष्णमूर्ति और कई अन्य गायक अपनी प्रस्तुति देंगे. संस्कृति मंत्रालय ने भारत की कला, संस्कृति और विरासत के संगम का उत्सव मनाने के लिए कुंभ मेला क्षेत्र में एक जीवंत सांस्कृतिक स्थान- 'कलाग्राम' की स्थापना की है. संस्कृति मंत्रालय ने रविवार को एक बयान में कुछ सबसे मशहूर गायकों के नाम साझा किए, जो प्रयागराज में प्रस्तुति देने वाले हैं. इनमें शंकर महादेवन, मोहित चौहान, कैलाश खेर, हंस राज हंस, हरिहरन, कविता कृष्णमूर्ति और मैथिली ठाकुर के नाम शामिल हैं.
महाकुंभ मेले का एतिहासिक महत्व
मान्यतानुसार, महाकुंभ मेले का संबंध समुद्र मंथन से माना जाता है. कथा के अनुसार, एक बार ऋषि दुर्वासा के श्राप से इंद्र और अन्य देवता कमजोर पड़ गए थे. इसका लाभ उठाते हुए राक्षसों ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया था और इस युद्ध में देवताओं की हार हुई थी. तब सभी देवता मिलकर सहायता के लिए भगवान विष्णु के पास गए और उन्हें सारी बात बताई. भगवान विष्णु ने राक्षसों के साथ मिलकर समुद्र मंथन कर के वहां से अमृत निकालने की सलाह दी.
जब समुद्र मंथन से अमृत का कलश निकला, तो भगवान इंद्र का पुत्र जयंत उसे लेकर आकाश में उड़ गया. यह सब देखकर राक्षस भी जयंत के पीछे अमृत कलश लेने के लिए भागे और बहुत प्रयास करने के बाद दैत्यों के हाथ में अमृत कलश आ गया. इसके बाद अमृत कलश पर अपना अधिकार जमाने के लिए देवताओं और राक्षसों के बीच 12 दिनों तक युद्ध चला था. समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश से कुछ बूंदें हरिद्वार, उज्जैन, प्रयागराज और नासिक में गिरी थीं इसलिए इन्हीं चार स्थानों पर महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है.