राजनीति में ऐसा कम ही होता है कि एक ही महापुरुष के अपमान का आरोप लगाते हुए सरकार और विपक्ष दोनों के नेता, न सिर्फ आमने सामने आ जाएं- बल्कि बात धक्का-मुक्की तक जा पहुंचे और दो सांसदों को अस्पताल ले जाना पड़े. संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान 19 दिसंबर को ऐसा ही हुआ. भीमराव आंबेडकर के तथाकथित अपमान को लेकर सरकार और विपक्ष के नेताओं में इस कदर ठन गयी कि बीजेपी के दो नेता घायल हो गए और उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा.
खास बात ये है कि इस आग में घी डालने के लिए दो नेताओं के अधूरे वीडियो का जम कर इस्तेमाल हुआ. ये दो नेता हैं गृह मंत्री अमित शाह और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी.
कैसे शुरू हुआ आंबेडकर पर विवाद
विवाद की शुरूआत दो दिन पहले यानी 17 दिसंबर को अमित शाह के एक भाषण के बाद हुई. राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान बोलते हुए गृह मंत्री अमित शाह जवाहरलाल नेहरू की कैबिनेट से आंबेडकर के इस्तीफे के बारे में बात कर रहे थे. उनका भाषण इस बात पर केंद्रित था कि कांग्रेस के लोग आंबेडकर का नाम भुनाने में लगे हैं लेकिन अपने जीवनकाल में कांग्रेस के नेताओं ने उनको वो आदर-सम्मान नहीं दिया जिसके वो हकदार थे.
अमित शाह ने असल में क्या कहा था?
करीब डेढ़ घंटे के भाषण में 1 घंटा 7 मिनट के आसपास अमित शाह ने कहा, “अभी एक फ़ैशन हो गया है.. आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर. इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता.” उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर हमला जारी रखते हुए कहा, “हमें तो आनंद है कि आंबेडकर का नाम लेते हैं. आंबेडकर का नाम अभी सौ बार ज्यादा लो. परंतु आंबेडकर जी के प्रति आपका भाव क्या है ये मैं बताता हूं. आंबेडकर जी को देश कि पहली कैबिनेट से इस्तीफा क्यों दे दिया”.
गृह मंत्री ने आगे कहा, "उन्होंने (आंबेडकर) कई बार कहा कि वह अनुसूचित जातियों और जनजातियों के साथ होने वाले व्यवहार से असंतुष्ट हैं. उन्होंने सरकार की विदेश नीति से असहमति जताई थी, अनुच्छेद 370 से भी सहमत नहीं थे. आंबेडकर को आश्वासन दिया गया था, जो पूरा नहीं हुआ, इसलिए कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था."
अमित शाह यहीं नहीं रुके, उन्होंने इसके बाद जवाहरलाल नेहरू का एक बयान भी पढ़ा जो आंबेडकर के इस्तीफे के बारे में दिया गया था. उन्होंने कहा, “श्री बीसी रॉय ने पत्र लिखा कि आंबेडकर और राजाजी जैसे दो महानुभाव मंत्रिमंडल छोड़ेंगे तो क्या होगा, तो नेहरू जी ने उनको जवाब में लिखा है- राजाजी के जाने से तो थोड़ा बहुत नुकसान होगा, आंबेडकर के जाने से मंत्रिमंडल कमजोर नहीं होता है.” अमित शाह का पूरा भाषण यहां सुना जा सकता है.
शाह के चंद शब्दों को विपक्ष ने कैसे बनाया मुद्दा?
लेकिन अमित शाह के इस लंबे भाषण से महज दो लाइनों को विपक्ष ने उठा कर मुद्दा बना दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि आंबेडकर का नाम जपना फैशन हो गया है. उनके भाषण से सिर्फ 12 सेकंड का एक हिस्सा निकाल कर उसे सोशल मीडिया खूब शेयर किया जाने लगा. इस छोटे से क्लिप को शेयर करके कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के तमाम नेताओं-प्रवक्ताओं ने अमित शाह और बीजेपी पर आंबेडकर का अपमान करने के आरोप लगाए और शाह के इस्तीफे की मांग करने लगे. जिस इंडिया गठबंधन में दरारें दिखने लगी थीं, अचानक जैसे उन्हें साथ आने का मुद्दा मिल गया.
पीएम ने किया अमित शाह का बचाव
जब विवाद ने तूल पकड़ा तो बीजेपी के कई प्रवक्ताओं ने अमित शाह के बयान का पूरा हिस्सा शेयर करते हुए कहा कि उनके वीडियो को भ्रम फैलाने के लिए एडिट किया गया है.
कांग्रेस का रोज का ड्रामा है - सुबह उठो, बाबा साहेब अंबेडकर का अपमान करो, झूठ फैलाओ और बार बार इस कुचक्र को दोहराओ।
दलित समाज के देवतुल्य आराध्य का अपमान कांग्रेस की उनके प्रति घृणा को दर्शाता है।
दलितों की उपेक्षा करने वाली कांग्रेस ने नेहरू के समय से ही अंबेडकर जी को तिरस्कृत… pic.twitter.com/lKh01Is00l
खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छह ट्वीट्स का एक थ्रेड लिखा जिसमें उन्होंने कांग्रेस पर झूठ बोलने का आरोप लगाया और कहा कि कांग्रेस पार्टी झूठ बोल कर अपने द्वारा सालों तक किए गए आंबेडकर के अपमान को छुपा नहीं सकती है.
पीएम मोदी ने भी अमित शाह के अधूरे वीडियो का पूरा हिस्सा अपलोड किया और लिखा कि अमित शाह ने आंबेडकर का अपमान और एससी-एसटी समुदाय को नजरअंदाज करने वाले कांग्रेस के काले इतिहास का पर्दाफाश कर दिया है.
If the Congress and its rotten ecosystem think their malicious lies can hide their misdeeds of several years, especially their insult towards Dr. Ambedkar, they are gravely mistaken!
The people of India have seen time and again how one Party, led by one dynasty, has indulged in…
खुद अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके स्पष्टीकरण दिया और कहा कि वो आंबेडकर का अपमान सपने में भी नहीं कर सकते. शाह ने कांग्रेस पर आंबेडकर का अपमान करने का आरोप लगाते हुए कहा, “कांग्रेस ने फिर एक बार अपनी पुरानी पद्धति को अपनाकर, बातों को तोड़-मरोड़कर और सत्य को असत्य के कपड़े पहनाकर समाज में भ्रांति फैलाने का एक कुत्सित प्रयास किया है. संसद में चर्चा के दौरान ये सिद्ध हो गया कि बाबा साहेब आंबेडकर का कांग्रेस ने किस तरह से पुरजोर विरोध किया था. बाबा साहेब के न रहने के बाद भी किस प्रकार से कांग्रेस ने उन्हें हाशिये पर धकेलने का प्रयास किया.”
अमित शाह ने कहा, “मैं हमेशा आंबेडकर की राह पर चला हूं. मेरी विनती है कि मेरा पूरा बयान दिखाया जाए. कांग्रेस ने झूठ फैलाया है."
संसद में धक्का-मुक्की और राहुल गांधी को लेकर विवाद
अमित शाह के स्पष्टीकरण और बीजेपी प्रवक्ताओं द्वारा शाह के बयान का पूरा हिस्सा शेयर करने के बावजूद कांग्रेस द्वारा अमित शाह का विरोध 19 दिसंबर को भी जारी रहा. इस बीच संसद के गेट पर धक्का-मुक्की की नौबत तब आ गयी जब एनडीए और विपक्ष के नेता एक दूसरे पर आंबेडकर के अपमान का आरोप लगाते हुए आमने-सामने हो गए.
तभी खबर आयी कि इस धक्का-मुक्की में बीजेपी के दो सांसदों, प्रताप चंद्र सारंगी और मुकेश राजपूत को चोट लग गयी है. दोनों को बाद में अस्पताल ले जाया गया. सांसदों के साथ धक्का-मुक्की करने का आरोप लगा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर और सारंगी ने कहा कि उनको राहुल गांधी की वजह से चोट लगी है.
इसी बीच सोशल मीडिया पर एक और वीडियो वायरल होने लगा जिसे बीजेपी के कई नेताओं ने भी शेयर किया. इस वीडियो में राहुल गांधी का एक बयान था. इस वीडियो को दिखाकर कुछ लोग कहने लगे कि खुद राहुल गांधी ने बीजेपी सांसद प्रताप सारंगी को धक्का देने की बात स्वीकार कर ली है.
मगर पूरे वीडियो को देखने से पता चलता है कि राहुल दरअसल बीजेपी सांसदों पर आरोप लगा रहे हैं कि उनके साथ और कांग्रेस के अध्यक्ष, मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ धक्का-मुक्की की गई. लेकिन इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता.