उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है. इनमें से 9 सीटें लोकसभा चुनाव लड़ने वाले विभिन्न दलों के विधायकों के सांसद बनने के चलते खाली हुई हैं. वहीं कानपुर की सीसामऊ सीट सपा विधायक इरफान सोलंकी के सजायाफ्ता होने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द होने के चलते खाली हुई है. इसे लेकर राजनीतिक पार्टियों की हलचल बढ़ गई है. सभी दल साम दाम दंड भेद के हथकंडे अपना कर उपचुनाव की 10 सीटें जीतना चाहते हैं.
भारतीय जनता पार्टी 10 सीटों में से 9 पर अपनी दावेदारी पेश कर रही है, तो वहीं उसकी सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय लोकदल मीरापुर के अलावा दो अन्य सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करना चाहती है. आरएलडी विधायक चंदन चौहान के सांसद बनने के कारण मीरापुर विधानसभा सीट खाली हुई है. इसलिए एनडीए में सीट बंटवारे के तहत मीरापुर रालोद के खाते में जाने की पूरी उम्मीद है. इसके अलावा जयंत चौधरी की पार्टी दो और सीटें चाहती है.
अलीगढ़ की खैर और गाजियाबाद सदर सीट चाहती है रालोद
आरएलडी के राष्ट्रीय सचिव अनुपम मिश्रा ने कहा कि अलीगढ़ के खैर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र और गाजियाबाद सदर सीट पर उनकी पार्टी मजबूत है. खैर सीट पर आरएलडी का प्रत्याशी ही जीतता आया है. ऐसे में अगर खैर और गाजियाबाद सदर सीट पर भाजपा से बात बन जाती है, तो एनडीए ये तीन सीटें आसानी से जीत सकती है. अनुपम मिश्रा ने बताया कि आरएलडी अपना विस्तार कर रही है, जिसके चलते संगठनात्मक बदलाव भी किए जाएंगे. हमारे ऐसे कार्यकर्ता जो निष्क्रिय हैं या किसी दूसरे दल में चले गए हैं, उनसे संपर्क साधा जाएगा. उनकी फिर से राष्ट्रीय लोकदल में वापसी कराने के पूरे प्रयास किए जाएंगे. इससे पार्टी को मजबूती मिलेगी.
दादा चौधरी चरण सिंह के ‘अजगर’ फार्मूले को धार देंगे जयंत
अनुपम मिश्रा के मुताबिक आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी अपने दादा चौधरी चरण सिंह के आजमाए ‘अजगर’ फार्मूले को धार देने के लिए नए सिरे से काम कर रहे हैं. अजगर फार्मूले का मतलब है कि रालोद ‘अहीर, अनुसूचित और अगड़ा’ समाज के अलावा जाट, गुर्जर और राजपूत समुदाय को अपने साथ जोड़ने के लिए और अधिक काम करेगी. आरएलडी के राष्ट्रीय सचिव अनुपम मिश्र ने कहा कि 'अजगर' को साधने से पार्टी का राजनीतिक कद और बढ़ेगा और इससे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को भी अतिरिक्त ऊर्जा मिलेगी.
उपचुनाव वाली 10 सीटों में से 5 समाजवादी पार्टी के पास थीं
आगामी उपचुनावों के लिए निर्धारित 10 विधानसभा सीटों में से, 2022 के चुनावों में 5 सीटें समाजवादी पार्टी ने जीती थीं, 3 सीटें बीजेपी ने और 1-1 सीट उसके एनडीए सहयोगियों निशाद पार्टी और आरएलडी (2022 में एसपी पार्टनर) ने जीती थी. मैनपुरी की करहल सीट अखिलेश यादव के कन्नौज से सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई है. अयोध्या जिले की मिल्कीपुर विधानसभा सीट सपा विधायक अवधेश प्रसाद पासी के सांसद बनने के बाद खाली हुई है. अलीगढ़ जिले की खैर विधानसभा सीट भाजपा विधायक अनूप प्रधान वाल्मिकी के हाथरस (एससी-आरक्षित) लोकसभा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित होने के कारण खाली हुई है.
RLD विधायक के सांसद बनने के बाद खाली हुई मीरापुर सीट
मुजफ्फरनगर जिले की मीरापुर विधानसभा सीट बिजनौर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है. रालोद के चंदन चौहान ने 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रशांत चौधरी के साथ करीबी मुकाबले में यह सीट जीती थी. तब रालोद का समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन था, अब वह एनडीए का हिस्सा है. 2024 के लोकसभा चुनाव में आरएलडी विधायक चौहान ने सपा के दीपक सैनी को करीब 37 हजार वोटों से हराकर बिजनौर लोकसभा सीट से जीत हासिल की है. उनके सांसद बनने के बाद यह विधानसभा सीट खाली हुई है.
अतुल गर्ग के सांसद बनने से खाली हुई गाजियाबाद सदर सीट
इसी तरह मुरादाबाद जिले की कुंदरकी सीट निवर्तमान सपा विधायक जिया-उर-रहमान के संभल लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने जाने के कारण खाली हुई है. मुरादाबाद की कुंदरकी और बिलारी विधानसभा सीटों संभल लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती हैं. गाजियाबाद सदर सीट भाजपा के मौजूदा विधायक अतुल गर्ग के गाजियाबाद लोकसभा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित होने के कारण खाली हुई है. प्रयागराज जिले की फूलपुर सीट से मौजूदा भाजपा विधायक प्रवीण पटेल फूलपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित हुए हैं. इस कारण यह सीट खाली हुई है.
इरफान सोलंकी को सजा होने के कारण शीशामऊ में उपचुनाव
मिर्जापुर जिले की मंझवा सीट से विधायक रहे निषाद पार्टी के विनोद कुमार बिंद भाजपा के टिकट पर भदोही लोकसभा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित हुए हैं, इस कारण यह सीट खाली हुई है. अंबेडकर नगर जिले की कटेरी विधानसभा सीट से मौजूदा सपा विधायक लालजी वर्मा अंबेडकर नगर लोकसभा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित हुए हैं. इस कारण यह सीट खाली हुई है. कानपुर जिले की सीसामऊ सीट सपा विधायक इरफान सोलंकी को अयोग्य ठहराए जाने के बाद खाली हुई है. आगजनी के एक मामले में अदालत ने उन्हें 7 साल जेल की सजा सुनाई थी, जिस कारण उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द हो गई थी.