SpaDeX Mission की तैयारी तेज... पहली बार देखिए ISRO के लॉन्च पैड की शानदार तस्वीरें

2 days ago 5

Spadex Mission, ISRO

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) SpaDeX मिशन की पुरजोर तैयारी कर चुका है. PSLV-C60 रॉकेट पहले लॉन्चपैड पर तैनात है. उसकी चिपटी नाक में स्पेडेक्स सैटेलाइट रखे हैं. लॉन्चिंग की तारीख बताई नहीं गई है लेकिन इसरो इसे संभवतः 30 दिसंबर या उसके आसपास कर सकता है. (सभी फोटोः ISRO)

Spadex Mission, ISRO

इस मिशन में दो सैटेलाइट हैं. पहला चेसर दूसरा टारगेट. चेसर सैटेलाइट टारगेट को पकड़ेगा. उससे डॉकिंग करेगा. इसके अलावा इसमें एक महत्वपूर्ण टेस्ट और हो सकता है. सैटेलाइट से एक रोबोटिक आर्म निकले जो हुक के जरिए यानी टेथर्ड तरीके से टारगेट को अपनी ओर खींचे. ये टारगेट अलग क्यूबसैट हो सकता है. 

Spadex Mission, ISRO

इस प्रयोग से फ्यूचर में इसरो ऑर्बिट छोड़ अलग दिशा में जा रहे हिस्से को वापस कक्षा में लाने की तकनीक मिल जाएगी. साथ ही ऑर्बिट में सर्विसिंग और रीफ्यूलिंग का ऑप्शन भी खुल जाएगा. स्पेडेक्स तय करेगा कि भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन कैसे बनेगा और चंद्रयान-4 कैसे जाएगा. इस तस्वीर में दाहिने रॉकेट असेंबलिंग यूनिट और बाएं लॉन्च पैड है. बीच में पीएसएलवी रॉकेट है, जिसे लॉन्च पैड पर ले जाया जा रहा है. 

Spadex Mission, ISRO

स्पेडेक्स मिशन में दो अलग-अलग स्पेसक्राफ्ट को अंतरिक्ष में जोड़कर दिखाया जाएगा. चंद्रयान-4 के लिए अंतरिक्ष में डॉकिंग बहुत जरूरी तकनीक है. डॉकिंग मतलब जो अलग-अलग हिस्सों को एकदूसरे की तरफ लाकर उसे जोड़ना. रॉकेट असेंबलिंग यूनिट से बाहर निकलता पीएसएलवी-सी60 रॉकेट. 

Spadex Mission, ISRO

अंतरिक्ष में दो अलग-अलग चीजों को जोड़ने की ये तकनीक ही भारत को अपना स्पेस स्टेशन बनाने में मदद करेगी. साथ ही चंद्रयान-4 प्रोजेक्ट में भी हेल्प करेगी. स्पेडेक्स यानी एक ही सैटेलाइट के दो हिस्से होंगे. इन्हें एक ही रॉकेट में रखकर लॉन्च किया जाएगा. अंतरिक्ष में ये दोनों अलग-अलग जगहों पर छोड़े जाएंगे. 

Spadex Mission, ISRO

भविष्य में इसी तकनीक के आधार पर भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन भी बनाया जाएगा. इसके बाद इन दोनों हिस्सों को धरती से निचली कक्षा में जोड़ा जाएगा. ताकि ये फिर से एक यूनिट बन जाएं. ये नजारा देखिए कितना खूबसूरत है. प्रकृति और साइंस का मिला-जुला चमत्कार. इस तस्वीर में रॉकेट असेंबली यूनिट और पीछे बाई तरफ लॉन्च पैड दिख रहा है. 

Spadex Mission, ISRO

इस पूरे प्रोसेस कई तरह के काम होंगे- जैसे दोनों अलग-अलग हिस्से एकदूसरे को खुद से अंतरिक्ष में खोजेंगे. उनके पास आएंगे. ताकि एक ही ऑर्बिट में आ सकें. इसके बाद दोनों एकदूसरे से जुड़ जाएंगे. इस तरह से रॉकेट को बेहद बड़े और मजबूत प्लेटफॉर्म पर रख कर ट्रेन की पटरियों की तरफ खिसकाते हुए लॉन्च पैड तक ले जाते हैं. इसमें काफी समय लगता है. 
 

Spadex Mission, ISRO

एक बार रॉकेट लॉन्च पैड तक पहुंच जाए, फिर उसकी फ्यूलिंग वगैरह का काम शुरू होता है. ये 24 घंटे के काउंटडाउन के बाद शुरू होता है. या यूं कहें कि उसी समय से काउंटडाउन शुरू करते हैं. कई तरह की जांच-पड़ताल होती है. रॉकेट के पूरे सिस्टम्स चेक किए जाते हैं. 

Article From: www.aajtak.in
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