PM मोदी के रूस दौरे पर नाराज हुए थे अमेरिकी राजदूत, अब भारत ने दिया दो टूक जवाब

3 months ago 21

भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कुछ दिनों पहले कहा था कि भारत-अमेरिका संबंध पहले से कहीं अधिक गहरे हैं लेकिन भारत को अमेरिका की दोस्ती को हल्के में नहीं लेना चाहिए. उनकी यह कड़ी टिप्पणी पीएम मोदी के रूस दौरे के ठीक बाद आई थी जिसे अमेरिका की नाराजगी की तरह लिया गया था. अब भारत ने गार्सेटी की इस टिप्पणी का जवाब दिया है.

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने अपनी साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमेरिकी राजदूत की टिप्पणी पर कहा कि दूसरे देशों की तरह भारत भी अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को महत्व देता है.

उन्होंने कहा, 'अमेरिकी राजदूत को अपनी राय रखने का हक है. जाहिर है, हमारे विचार अलग-अलग हैं. अमेरिका के साथ हमारी वैश्विक रणनीतिक साझेदारी हमें कुछ मुद्दों पर असहमति का सम्मान करने का भी अवसर देती है.'

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने आगे कहा, 'भारत और अमेरिका आपसी हित के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर नियमित चर्चा करते हैं. राजनयिक बातचीत का ब्योरा साझा करना हमारी परंपरा नहीं है.' 

ट्रंप पर हुए हमले पर विदेश मंत्रालय

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान रणधीर जायसवाल ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर हुए हमले पर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा, 'हम डोनाल्ड ट्रंप पर हमले से वाकिफ हैं. ये खबर आने के कुछ घंटों के अंदर ही हमारे प्रधानमंत्री ने हमले पर चिंता जताई और घटना की कड़ी निंदा की. उन्होंने यह भी कहा कि राजनीति और लोकतंत्र में हिंसा की कोई जगह नहीं है. अमेरिका हमारा सहयोगी लोकतंत्र है और हम उसकी भलाई चाहते हैं.'

पीएम मोदी के रूस दौरे से चिढ़े अमेरिका ने क्या कहा था?

पीएम मोदी 8-10 जुलाई के बीच रूस दौरे पर थे जिससे पश्चिमी देश चिढ़ गए थे. रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच पीएम मोदी का रूस जाना अमेरिका को रास नहीं आया और उसके कई वरिष्ठ अधिकारियों ने कड़ी टिप्पणी कर दी थी. अमेरिका इसलिए भी नाराज था क्योंकि पीएम मोदी का दौरा नेटो की बैठक के बीच हो रहा था.

इसे लेकर अमेरिकी राजदूत गार्सेटी ने कहा था कि भारत को अमेरिका की दोस्ती को फॉर ग्रांटेड यानी हल्के में नहीं लेना चाहिए. 

बिना मोदी के रूस दौरे का जिक्र किए दिल्ली में एक डिफेंस कॉन्क्लेव में गार्सेटी ने कहा था, 'मैं जानता हूं और मैं इसका सम्मान करता हूं कि भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को पसंद करता है. लेकिन किसी संघर्ष के समय रणनीतिक स्वायत्तता जैसी कोई चीज होती ही नहीं है. संकट के समय हमें एक-दूसरे को जानने की जरूरत है. मैं नहीं जानता कि इसे क्या नाम दिया जाए लेकिन हमें यह जानने की जरूरत है कि हम दोस्त, भाई, बहन और सहकर्मी हैं.'

अमेरिकी दूत ने आगे कहा कि एक-दूसरे से जुड़ी दुनिया में 'अब कोई युद्ध दूर नहीं है.' उन्होंने कहा कि किसी को भी केवल शांति के लिए नहीं खड़ा होना चाहिए बल्कि जो लोग शांति के साथ खिलवाड़ करते हैं उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई भी करनी चाहिए.

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन ने भी रूस के खिलाफ भारत को आगाह किया था. उन्होंने कहा था कि अगर कोई संघर्ष होता है कि रूस भारत की तुलना में चीन को तरजीह देगा.

Article From: www.aajtak.in
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