NEET UG परीक्षा रद्द होगी या नहीं, इस पर सुप्रीम कोर्ट में 18 जुलाई को भी फैसला नहीं हो पाया है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने NTA से पूछा कि आखिर NEET परीक्षा में फ़ॉर्म भरवाने से कितना पैसा आया, तो जवाब मिला 400 करोड़ रुपए. जिसमें दावा किया गया कि NEET परीक्षा कराने में 300 करोड़ रुपए खर्च भी हो गए. इसका मतलब ये कि नीट परीक्षा कराने में ही NTA को यानी सरकार को 100 करोड़ रुपए का लाभ हुआ है, ऐसे में सवाल ये है कि परीक्षा से 100 करोड़ का फायदा पाने वाली एजेंसी NTA इस परीक्षा को बिना पेपरलीक के नहीं करा पाई.
हालांकि सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस की बेंच ने ऐसी छन्नी लगा दी है, जिससे छनकर आने वाले जवाब NEET परीक्षा की पवित्रता में मिलावट को लेकर दूध का दूध और पानी का पानी कर देंगे. ऐसे में सवाल ये भी है कि क्या नीट परीक्षा में इस बार बड़े स्तर पर पेपरलीक हुआ था? इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में 22 जुलाई को सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट ने नीट पेपर लीक और रिजल्ट धांधली की तह तक जाने वाले कई सवालों का जवाब शनिवार तक मांगा है.
NEET पर कोर्ट की पहली छन्नी है ये पता करना है कि पेपर लीक कहां तक हुआ? इसीलिए अब सुप्रीम कोर्ट ने NTA से कहा है कि शनिवार तक पूरा रिजल्ट शहरवार और सेंटरवाइज अपनी वेबसाइट पर अपलोड करें. जिस पर NTA की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पहले विरोध किया तो CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि हजारीबाग और पटना में पेपर लीक होना तथ्य है.
वहीं, छात्रों के वकील और याचिककर्ता धीरज सिंह ने कहा कि परीक्षा से पहले ही पेपरलीक हुआ था, इसमें कोई संदेह नहीं है. ऐसे में पेपर लीक कहां तक हुआ? क्या पेपर लीक कुछ केंद्र तक ही हुआ? या फिर पेपर लीक व्यापक स्तर पर हुआ? इसलिए जरूरी है कि NTA पूरे रिजल्ट को जारी करे, ताकि संपूर्ण डेटा का विश्लेषण हो सके.
सुप्रीम कोर्ट ये मान चुका है कि NEET में पेपर लीक हुआ था. अब कोर्ट छन्नी लगाकर ये तीन बातें जानने में जुटा है, पहली- जिन जगहों पर पेपर लीक हुआ वहां से कितने छात्र पास हुए हैं? दूसरी- पेपर लीक होने और परीक्षा के बीच में कितना वक्त था? तीसरी- क्या परीक्षा से पहले ही पेपर लीक हो गया, तो कितनी जगह तक पेपर फैला?
यही सब समझने के लिए कोर्ट ने पूछा कि NTA के मुताबिक पेपरलीक कब लीक हुआ? पेपर लीक का समय पूछने पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि परीक्षा के दिन सुबह 8.02 बजे से 9.23 बजे के बीच. इस पर सीजेआई ने कहा कि क्या ये संभव है कि 9.30 बजे से 10.15 बजे के बीच लीक पेपर के 180 सवालों को सॉल्व भी करा दिया गया और जवाब कुछ लोगों को 45 मिनट के भीतर दे भी दिया गया. इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हर 25 बच्चों के लिए पेपर लीक कराने वालों ने 7 सॉल्वर लगा रखे थे. तो कोर्ट ने कहा कि इसके मुताबिक आप मानते हैं कि 225 स्टूडेंट्स इसमें शामिल थे? तब सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि पक्का नंबर तो नहीं बता सकते, लेकिन 150 से ज्यादा लोग नहीं हैं.
अब यही सवाल आ जाता है कि सरकार जहां खुद मानने लगी है कि 150 बच्चों तक पेपर लीक हुआ तो क्या इसे छोटी बात माना जाए और अगर 150 बच्चों तक परीक्षा की पवित्रता भंग हुई तो क्या उसे नहीं माना जाएगा? सुप्रीम कोर्ट अब ये समझने में जुटा है कि पेपर लीक हुआ तो कब हुआ, कितनी देर पहले हुआ, कितने सेंटर तक पहुंचा, कितने लोगों तक पहुंचा और लीक पेपर पाने वाले कितने लोग पास हो गए? इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने बिहार से बड़ी रिपोर्ट मंगवाई है. यानी जिस बिहार में सबसे बड़े पेपर लीक का दावा पुलिस और EOU करती रही और सरकार, NTA लगातार चुप्पी साधे रहे. वहां से आने वाली रिपोर्ट के बाद 22 जुलाई का दिन नीट की पवित्रता को लेकर बहुत अहम होने वाला है.
(इनपुट- संजय शर्मा)