भारत-चीन के रिश्तों में लंबे समय से तल्खी देखी जा रही है, लेकिन एक बड़े घटनाक्रम में दोनों देशों के बीच सीमा पर कुछ समझौते हुए हैं. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने ऐलान किया है कि भारत-चीन के बीच विवादित पेट्रोलिंग पॉइंट्स को लेकर एग्रीमेंट हुआ है, जिसके बाद सेना यहां फिर से पेट्रोलिंग शुरू कर सकेगी. पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में दोनों देशों की सेना के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद तनाव पैदा हुआ था. तब से अब तक कई पॉइंट्स पर समझौते हुए हैं और सैन्य वापसी भी हुई है.
विक्रम मिस्री ने बताया कि यह एग्रीमेंट इसलिए भी अहम है क्योंकि इससे डिसइंगेजमेंट की दिशा में कदम बढ़ाया जा सकेगा. मसलन, डेपसांग और डेमचोक जैसे संवेदनशील पेट्रोलिंग पॉइंट्स पर इस एग्रीमेंट के बाद हालात सुधरेंगे. उन्होंने बताया कि बीते कुछ हफ्तों से भारत और चीन के डिप्लोमेटिक और सैन्य अधिकारी बातचीत कर रहे थे. इस लंबे विवाद को निपटाने के लिए कई मोर्चों पर चर्चा की गई है.
गलवान घाटी में हुई घटना के बाद कुछ पेट्रोलिंग पॉइंट्स पर पेट्रोलिंग रोक दी गई थी, लेकिन इस रिजॉल्यूशन से तनाव को कम करने मदद मिलेगी. मसलन, चीन ने कुछ क्षेत्रों में सैन्य ठिकाने भी बना लिए थे और इससे तनाव और बढ़ा जिसका इस रिजॉल्यूशन के बाद सॉल्यूशन निकाला जा सकेगा. खासतौर पर डेपसांग और डेमचोक क्षेत्रों को लेकर विवाद था, जिसपर निगोशियेशन में समस्या आई.
सैन्य सूत्रों ने एग्रीमेंट्स पर क्या कहा?
रक्षा सूत्रों ने बताया कि मीटिंग में विदेश मंत्रालय और भारतीय सेना के अधिकारी शामिल थे. इस मीटिंग का मकसद उन पॉइंट्स से डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया को पूरी करना था, जहां बातचीत फाइनल हो चुकी है. हालांकि, डेपसांग और डेमचोक जैसे पॉइंट्स रणनीतिक रूप से काफी अहम हैं और इन पॉइंट्स से डिसइंगेजमेंट भी जरूरी है लेकिन इन्हें लेकर सबसे बड़ा विवाद था. इन पॉइंट्स पर पेट्रोलिंग फिर से शुरू करने की प्रक्रिया चल रही है, जहं पांच से ज्यादा पेट्रोलिंग पॉइंट्स को फिर से रिएक्टिवेट किया जाएगा.
हालांकि, एग्रीमेंट्स की कई बातों को गुप्त रखा गया है, और दोनों पक्ष इस एग्रीमेंट में हुई रजामंदी को लागू करने के लिए काम कर रहे हैं. हालिया पॉजिटिव घटनाक्रम कई राउंड की सैन्य स्तर की बातचीत के बाद हुआ है, जहां एलएसी के पास कई अन्य फ्लैशपॉइंट्स जैसे कि पैंगोंग त्सो, गोगरा और हॉट स्प्रिंग से डिसइंगेजमेंट और तनाव कम करने पर बातचीत की गई. डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया चल रही है, जिससे माना जाता है कि तनाव कम होगा और भविष्य में सीमा पर किसी तरह के टकराव की संभावनाओं को कम किया जा सकेगा.
डिसइंगेजमेंट्स का संभावित मकेनिज्म
सूत्रों की मानें, तो अभी यह स्पष्ट नहीं है कि डेपसांग और डेमचोक पॉइंट्स पर पेट्रोलिंग 2020 से पहले फॉलो किए जाने वाले एसओपी पर आधारित होगा, या फिर दोनों पक्षों की तरफ से इसके लिए कोई नया प्रोटोकॉल स्थापित किया गया है.
रूस में ब्रिक्स समिट होने जा रहा है, और यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय वार्ता हो सकती है, और इस संभावित मीटिंग के बाद ही पता चल सकेगा कि यह डिसइंगेजमेंट किस तरह का होगा. एक सूत्र ने बताया कि हालात को सामान्य करने की दिशा में यह पहला कदम है, लेकिन उन्होंने यह भी संकेत दिया कि पूर्ण रूप से सैनिकों की वापसी और तनाव में कमी दोनों नेताओं के बीच वार्ता पर निर्भर हो सकती है.
डेपसांग पॉइंट्स को लेकर सूत्र ने बताया कि असल समस्या को निपटा लिया गया है. इसके बाद चीनी सेना के यहां से पीछे हटने की उम्मीद है, और यह भी उम्मीद की जाती है कि इस एग्रीमेंट के बाद चीनी सेना भारतीय पेट्रोल्स को ब्लॉक नहीं करेंगे, और वे 2020 से पहले जिन पॉइंट्स पर थे वहीं वापस चले जाएंगे.
मीटिंग के दौरान इस बात पर भी चर्चा की गई कि 2020 से पहले भी चीनी सेना भारतीय सेना को 'Y-Junction' के एक्सेस से रोका करते थे, जो कि बॉटलनेक के पास पड़ता है. हालिया रजामंदी के बाद उम्मीद है कि पहले के पेट्रोलिंग पॉइंट्स पर दोबारा से पेट्रोलिंग शुरू होगी.
डिसइंगेजमेंट की टाइमलाइन
गलवान घाटी में 2020 में हुई हिंसक झड़प के बाद डिसइंगेजमेंट को लेकर कई राउंड की बातचीत की गई, जिससे एलएसी पर तनाव को करने की कोशिश की गई. जून 2020 के बाद से कई पॉइंट्स से डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया पूरी भी की गई है:
1. गलवान घाटी (जून 2020): गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद, भारत-चीन चरणबद्ध सैन्य वापसी पर राजी हुए और एक बफर जोन बनाया गया. डिसइंगेजमेंट की दिशा में यह पहली सफलता थी, जिससे क्षेत्र में दोबारा तनाव को कम करने पर फोकस किया गया.
2. पैंगोंग त्सो (फरवरी 2021): दोनों पक्षों के सैनिक पैंगोंग त्सो लेक के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से पीछे हटे. यह एक अहम सफलता थी, क्योंकि पैंगोंग क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सैन्य निर्माण देखा गया था और यह तनाव के दौरान सबसे ज्यादा विवादित क्षेत्रों में से एक था.
3. गोगरा पोस्ट (अगस्त 2021): अगस्त 2021 में पेट्रोलिंग पॉइंट 17A (गोगरा पोस्ट) से भारतीय और चीनी सेनाएं पीछे हट गईं. दोनों पक्षों के सैनिक पीछे हट गए और शांति बनाए रखने और आगे के टकराव से बचने के लिए बफर जोन बनाए गए.
4. हॉट स्प्रिंग्स (सितंबर 2022): हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में पेट्रोलिंग पॉइंट 15 पर सैनिकों की वापसी हुई. कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता के 16वें दौर के बाद, सैनिकों को वापस बुला लिया गया और एक बफर जोन स्थापित किया गया.
5. डेपसांग प्लेन और डेमचोक (इसपर विवाद चल रहा है): कई पॉइंट्स पर डिसइंगेजमेंट हो चुका है लेकिन डेपसांग मैदान और डेमचोक का मुद्दा अभी भी अनसुलझा है. हालांकि, नए समझौते के साथ, दोनों पक्षों से इन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर डिसइंगेजमेंट शुरू होने की उम्मीद है, जो एक अहम फैसला है.
एग्रीमेंट पर क्या बोले रिटायर्ड सैन्य अधिकारी?
गौरतलब है कि, रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडे ने बताया कि अंदरूनी प्रॉब्लम और सामरिक सिचुएशन है, उसकी वजह से चीन आगे बढ़ा. उन्होंने कहा कि आगे की सोच सजग रखें. आगे इस तरह से सरप्राइज न हों. चीन चाहता था कि बॉर्डर को भारत भूल जाए लेकिन सरकार अड़ी रही.
रिटायर्ड एयर मार्शल संजीव कपूर ने बताया कि ये फैसला इसलिए लिया गया है, क्योंकि चीन के कई ट्रेड रिलेटेड मामले फंसे हुए हैं. री-बैलेंसिंग के तौर पर चीन को भारत की आवश्यकता है. आने वाले समय में स्थायी सीजफायर की दिशा में भी यह पहला कदम है, लेकिन यह समय बताएगा.