60 साल की ड्यूटी में 400 क्रैश, 200 पायलट शहीद... अगले साल वायुसेना से हटेगा फ्लाइंग कॉफिन MiG-21

7 months ago 18

कोल्ड वॉर के जमाने का फाइटर जेट है MiG-21. भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) अगले साल यानी 2025 में इस फाइटर जेट को अपनी फ्लीट से हटा रही है. The Flying Coffin के नाम से कुख्यात इस फाइटर जेट ने 1971 की जंग में पाकिस्तान को धूल जरूर चटाई. लेकिन... 

अपने 60 साल की हवाई ड्यूटी में इसने 200 पायलटों और 60 आम नागरिकों की जान ले ली. तकनीकी वजहों से क्रैश हो जाता था. इतना ही नहीं इसे Widow Maker भी कहते हैं. भारत के पास 1966 से 1984 के बीच 840 MiG-21 फाइटर जेट थे. लेकिन आधे क्रैश हो गए. हाल-फिलहाल में भी हादसे हुए हैं. 

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MiG-21 Fighter Jet, Indian Air Force

28 जुलाई 2022 को राजस्थान में मिग-21 क्रैश होने की वजह से दो पायलट शहीद हो गए.  8 मई 2023 को तकनीकी गड़बड़ी की वजह से फाइटर जेट में से इजेक्ट होना पड़ा. पायलट तो बच गया. लेकिन मिग-21 क्रैश होने की वजह से दो आम लोग मारे गए. साल 2010 के बाद से 20 से ज्यादा मिग-21 क्रैश हो चुके हैं. 

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MiG-21 Fighter Jet, Indian Air Force

अब सिर्फ तीन स्क्वॉड्रन बचे हैं. जिन्हें अगले साल रिटायर कर दिया जाएगा. हर स्क्वॉड्रन में 20 फाइटर जेट हैं. MiG-21 फाइटर जेट की बदौलत इंडियन एयरफोर्स ने पाकिस्तान की धज्जियां उड़ाई थीं. विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान ने इसी विमान से PAK के F-16 फाइटर जेट को मार गिराया था. ये विमान लगातार अपडेट होता रहा. 

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MiG-21 Fighter Jet, Indian Air Force

इसे सिर्फ एक पायलट उड़ाता है. 48.3 फीट लंबे विमान की ऊंचाई 13.5 फीट है. अधिकतम 2175 KM प्रतिघंटा की गति से उड़ता है. अधिकतम रेंज 660 KM है. यह अधिकतम 57,400 फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. इतनी ऊंचाई पर यह सिर्फ 8.30 मिनट में पहुंचता है. 

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MiG-21 Fighter Jet, Indian Air Force

इसमें 23 मिलिमीटर की 200 राउंड प्रतिमिनट फायर करने वाली गन लगी होती है. इसके अलावा पांच हार्ड प्वाइंट्स होते हैं. इसमें चार रॉकेट्स लगाते जा सकते हैं. साथ में हवा से हवा में मार करने वाले तीन प्रकार की मिसाइलें तैनात की जा सकती हैं. 

MiG-21 Fighter Jet, Indian Air Force

इसके अलावा 500 किलोग्राम के दो बम लगा जा सकते हैं. फिलहाल इसकी जगह वायुसेना तेजस फाइटर जेट को शामिल कर रही है. MiG-21 की पहली उड़ान 16 जून 1955 में सोवियत संघ में हुई थी. चार महाद्वीपों के करीब 60 देश इसका इस्तेमाल करते आए हैं. 

Article From: www.aajtak.in
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