दिल्ली में धर्म के बाद जाति की सियासत तेज हो गई है. अरविंद केजरीवाल ने एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है. दरअसल, केजरीवाल ने चुनाव से पहले जाट आरक्षण का दांव चल दिया है. दिल्ली में आठ प्रतिशत वोट की ताकत के साथ दस सीट पर नतीजे में फेरबदल की ताकत रखने वाले जाट वोट को लेकर केजरीवाल ने प्रधानमंत्री को एक चिट्ठी लिखी. चुनाव से ऐन पहले मांग की है कि जाट समुदाय को ओबीसी वर्ग में शामिल किया जाए.
आम आदमी पार्टी ने पहले पुजारियों को 18 हजार रुपये महीना देने का वादा किया. फिर बीजेपी के मंदिर प्रकोष्ठ के मुकाबले सनातन सेवा समिति बनाने का दांव चला. धर्म की पिच से जाति की पिच पर आकर अब अरविंद केजरीवाल ने सियासी बैटिंग शुरू करते हुए दिल्ली में जाटों के ओबीसी वर्ग में शामिल ना होने और पिछड़े वर्ग का आरक्षण ना मिलने का मुद्दा उठाया. उन्होंने आरोप का तीर बीजेपी की तरफ मोड़ा. इसके पीछे का मकसद है दिल्ली के 8 प्रतिशत जाट वोटों को साधना, जो 10 सीट पर निर्णायक हैं.
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जाट वोट पर जंग छिड़ने की ये हैं 5 वजह?
अचानक जाट वोट पर जंग छिड़ने की वजह ऐसे ही नहीं है. इसके पीछे पहली वजह है कि 2015 के मुकाबले 2020 में हिंदू वोट की जातियों में वैश्य के अलावा इकलौता जाट वोट ही था, जो आम आदमी पार्टी का बढ़ा था, बाकी सब कुछ ना कुछ घटे थे. इस दूसरी वजह ये है कि 2015 के मुकाबले 2020 में कांग्रेस का पूरा जाट वोट आम आदमी पार्टी अपनी तरफ खींच चुकी है. जिसे वो अब और नहीं घटने या बंटने देना चाहती है. तीसरी वजह है कि दिल्ली के 364 में से 225 गांव जाट बहुल हैं. चौथी वजह है कि दिल्ली में केजरीवाल के ही जाट नेता कैलाश गहलोत अब बीजेपी से चुनावी मैदान में हैं. पांचवीं वजह है कि नई दिल्ली सीट पर प्रवेश वर्मा केजरीवाल के खिलाफ बीजेपी उम्मीदवार हैं, जो जाट समाज से ही आते हैं.
जाटों को बीजेपी से 10 साल से धोखा मिल रहा: केजरीवाल
केजरीवाल ने आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली के जाट समाज को बीजेपी से 10 सालों से धोखा मिल रहा है. केंद्र सरकार के किसी कॉलेज, यूनिवर्सिटी या संस्था में दिल्ली के जाट समाज को आरक्षण नहीं मिलता. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को दिल्ली के जाटों की याद चुनाव से पहले आती है. दिल्ली के अंदर राजस्थान के जाट समाज को आरक्षण मिलता है लेकिन दिल्ली के जाट समाज को आरक्षण नहीं मिलता. दिल्ली की स्टेट ओबीसी लिस्ट में पांच और जातियां हैं, जो केंद्र की ओबीसी लिस्ट में नहीं है.
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पीएम को चिट्ठी लिखकर जाट आरक्षण की मांग की
इस संबंध में अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी को चिट्ठी भी लिखी. उन्होंने इस चिट्ठी में मांग की है कि जाट समुदाय को ओबीसी की सूची में शामिल किया जाना चाहिए. केजरीवाल ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी में कहा है कि आपने दिल्ली के जाट समाज को धोखा दिया है. दिल्ली में ओबीसी का दर्जा प्राप्त जाटों व अन्य सभी जातियों को केंद्र की ओबीसी लिस्ट में शामिल किया जाए. केंद्र ने 2015 में जाट समाज के नेताओं को घर बुलाकर वादा किया था कि दिल्ली के जाट समाज को केंद्र की ओबीसी लिस्ट में शामिल किया जाएगा. 2019 में अमित शाह ने जाट समाज को केंद्र की ओबीसी लिस्ट में लाने का वादा किया था.
केजरीवाल दिल्ली को जाति के आधार पर बांट रहे: प्रवेश वर्मा
आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी नेता और नई दिल्ली सीट से उम्मीदवार प्रवेश वर्मा ने दावा किया कि केजरीवाल की राजनीतिक जमीन खिसक रही है, इसलिए आप नेता ने दिल्ली को जाति के आधार पर बांटना शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा कि केजरीवाल ने पिछले 11 सालों में कभी जाट समुदाय को याद नहीं किया. कभी धर्मनिरपेक्षता की बात करने वाले अरविंद केजरीवाल अब दिल्ली को जाति के आधार पर बांट रहे हैं. अगर किसी ने राष्ट्रीय ओबीसी आयोग को संवैधानिक मान्यता दी है, तो वह प्रधानमंत्री मोदी हैं. जाटों या किसी भी जाति को ओबीसी सूची में शामिल करने के लिए, राज्य सरकार को पहले प्रस्ताव को मंजूरी देनी होगी और उसे ओबीसी आयोग को भेजना होगा. केजरीवाल की सरकार ने विशेष सत्र आयोजित किए, लेकिन उनका इस्तेमाल केवल केंद्र और एलजी की आलोचना करने के लिए किया, जाटों को ओबीसी में शामिल करने के प्रस्ताव को कभी पारित नहीं किया."